ये है बच्चों के लिये कैफे
११ सितम्बर २००९बर्लिन का प्रेन्सलाउएरबर्ग, जर्मनी के सबसे फैशनेअबल इलाकों में गिना जाता हैं. शाम को यहां की सडकें, युवा माता-पिता और उनके प्रैम में बैठे बच्चों से खचा-खच भरा रहता हैं. गर्मी के मौसम मे तो बच्चों को पार्क ले जा सकते हैं, जाडे के मौसम में समस्या यह हैं, कि हर जगह बर्फ होती है. मौसम की मजबूरी से पैदा हुए नए विचार. इसी विचार से बने किन्डर कैफै यानी बच्चों के लिये कैफे. किन्डर कैफै या बच्चों के कैफै में कई खिलौने है और चारों तरफ छोटे-छोटे बच्चे हैं. इस कैफ़े में आने वाले कई बच्चे कुछ ही महीने के हैं.
मांओं या बच्चों के लिये
कैफे मिल्शबार्ट की मालकिन यासमिन कहती हैं कि उन्होने अपने कैफै में अनेक खेल और खिलौने रखे हैं. ये बच्चो को व्यस्त रखते हैं और माता-पिता को सांस लेने की फुर्सत देते. किन्डर कैफै का फैशन दो साल पहले शुरु हुआ. अब हालात ये हैं कि जहां पर बच्चो की आबादी ज्यादा हैं, वहां पर आपको हर कोने में किन्डर कैफै मिलेंगे. इनके बढ़ने का एक कारण है जर्मनी में माता पिता को सरकार की तरफ़ से दिये जाने वाली राशि किन्डरगेल्ड. इस योजना के हिसाब से माता-पिता शिशु के देखभाल के लिए अपने दफ्तर से एक साल तक छुट्टी ले सकते हैं. इस दौरान, उन्हें अपने वेतन का दो तिहाई मिलता हैं.
रिश्तेदारों की कमी पूरी करते कैफे
बर्लिन के एक और कैफे पुस्टनब्लूम की मालकिन केटरीन बताती हैं कि हमारे यहां एक साल और अधिकतर एक साल और उससे कम आयु के बच्चे हैं हमारे यहां कुर्सी, मेज़ नहीं हैं.. यहां अन्दर आने से पहले अपने जूते बाहर उतारने पडते हैं. बर्लिन में जीवन की गति इतनी तेज और रिशतेदार इतने दूर. ऐसे में किन्डरकैफ़ै ही ऐसी जगहें बन जाती हैं जहां माएं मिलजुल सकती हैं.
तो इन किन्डर कैफे में बच्चे तो वक़्त गुज़ार ही सकते हैं माएं भी फ़ुरसत की सांस ले सकती हैं.
रिपोर्ट बर्लिन से प्रीति जॉन
संपादन आभा मोंढे