ये है आज का मोगली
पशुओं और इंसानों के बीच मोहब्बत, प्रेम और लगाव की तमाम कहानियां सुनने में आती है. ऐसी ही एक कहानी है लंगूर और चार साल के बच्चे समर्थ की. बंदरों के साथ इसकी सहजता देख इसे आज का "मोगली" कहना गलत नहीं होगा.
लंगूर बने दोस्त
बेंगलूरु से 400 किमी दूर स्थित गांव अलापुर में रहने वाला समर्थ आज चर्चा का विषय बना हुआ है. कारण है समर्थ के लंगूर दोस्त. जो रोजाना उससे मिलने आते हैं. अगर वह सो रहा होता है तो उसे नींद से उठा दते हैं और उसके साथ खूब खेलते हैं.
गहरा है याराना
समर्थ की उम्र महज चार साल है और वह ठीक से बोल भी नहीं पाता लेकिन बंदरों के साथ इसका याराना बेहद ही गहरा है. लोगों को बंदर के साथ इसे देखकर डर लगता था लेकिन इस बच्चे के चेहरे पर कभी कोई शिकन नहीं दिखती.
आपसी सहजता
बच्चे के चाचा बरामा रेड्डी कहते हैं, "पहले हम सभी गांववालों को डर लगता था कि कही ये बंदर, समर्थ के माता-पिता की गैरमौजूदगी में उस पर हमला न कर दें." लेकिन जल्द वे समझ गए कि बंदर और समर्थ एक दूसरे के साथ आपस में बेहद ही सहज हैं.
लोगों को होती हैरानी
हालांकि न केवल बच्चे का बल्कि बंदरों का भी समर्थ के साथ इस तरह का व्यवहार आसपास के लोगों के लिए हैरानी का विषय बना हुआ है. लोग अब देखने आते हैं कि कैसे समर्थ और लंगूरों की टोली आपस में व्यवहार करती हैं.
साथ मिलकर खाना
यहां तक कि यह दो साल का बच्चा अपने इन दोस्तों के साथ खाना भी शेयर करता है. परिवार वाले बताते हैं कि ये लंगूर रोजाना आते हैं, और इनका आने का समय भी लगभग तय है. अगर कभी समर्थ घर पर सो रहा होता है तो उसे नींद से जगा देते हैं.
लंगूरों का गुस्सा
पहले परिवारजनों को लगा की ये लंगूर बच्चों का साथ पसंद करते हैं और इनके आसपास सहज महसूस करते हैं. लेकिन जब अन्य बच्चे लंगूरों के पास गए तो लंगूरों की टोली थोड़ा उग्र हो गई, जैसे कि उन्हें गुस्सा आ गया हो.
खास रिश्ता
अब सभी मानते हैं कि समर्थ और इन लंगूरों के बीच कोई खास रिश्ता है. हालांकि बच्चा अभी बोल नहीं पाता लेकिन परिजनों और अन्य लोगों को लगता है कि समर्थ का हां-हूं में कुछ कहना बंदरों को समझ आता है. इसलिए यह रिश्ता वक्त के साथ और गहरा होता जा रहा है.
मोगली की याद
समर्थ का व्यवहार सभी को रुडयार्ड किपलिंग की किताब, "द जंगल बुक" की याद दिला देता है. इस किताब का मुख्य पात्र मोगली भी जंगलों में वन्य जीवों के बीच पलता है. ये किताब इंसानों और पशुओं के बीच गहरी होती खाई को कम करती है.