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ये तीन लोग तय करेंगे, अयोध्या विवाद कैसे सुलझेगा

ऋषभ कुमार शर्मा
८ मार्च २०१९

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर तीन सदस्यों की एक मध्यस्थता समिति बनाई है. कौन हैं ये तीनों लोग आइए जानते हैं.

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Indien Stadtansicht Ayodhya
तस्वीर: DW/S. Waheed

अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर चल रहे जमीनी विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की एक मध्यस्थता समिति बनाई है. ये समिति आठ हफ्तों में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को देगी. इस कमेटी का अध्यक्ष जस्टिस खलीफुल्लाह को बनाया गया है. श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर इस कमिटी के सदस्य होंगे.

जस्टिस एफ एम इब्राहिम खलीफुल्लाह

खलीफुल्लाह का जन्म 23 जुलाई 1951 को तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के कराईकुडी में हुआ. इनका पूरा नाम फकीर मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्लाह है. इनके पिता फकीर मोहम्मद भी न्यायधीश रहे थे.

खलीफुल्लाह ने 1975 में वकालत शुरू की थी. वो लेबर लॉ के मामलों को देखते थे. अपनी करियर में वो तमिलनाडु राज्य बिजली बोर्ड के स्थायी वकील रहे. साल 2000 में वो मद्रास हाई कोर्ट में जज बने. 2011 में वह जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट मुख्य न्यायधीश बन गए.

जम्मू कश्मीर के लोगों के बीच कानूनी समझ पैदा करने के लिए लीगल ऐड क्लीनिक नाम की संस्था की स्थापना की. 2012 में वो सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस खलीफुल्लाह उस बेंच का भी हिस्सा रहे जिसने बीसीसीआई के कामकाज पर नजर रखी और इसमें बदलाव लाने के आदेश दिए.

खलीफुल्लाह ने तत्कालीन चीफ जस्टिल टीएस ठाकुर के साथ मिलकर बीसीसीआई को पारदर्शी बनाने के लिए काम किया. 22 जुलाई 2016 को वो सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए.

श्रीश्री रविशंकर

रविशंकर का जन्म तमिलनाडु के थंजवूर जिले के पपंसम में 13 मई 1956 को हुआ था. बचपन में परिवार वालों ने रवि नाम रखा. संन्यास लेने के बाद नाम बदलकर श्रीश्री रविशंकर हो गया. बेंगलुरू के सेंट जोसेफ कॉलेज से सांइस में ग्रेजुएशन किया और संन्यास ले लिया. 1981 में रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की. उन्होंने 1982 में सुदर्शन क्रिया नाम के एक योग की खोज की.

Bildergalerie Sri Sri Ravishankar
तस्वीर: DW/V. Deepak

अभी आर्ट ऑफ लिविंग के भारत के अलावा 100 से ज्यादा देशों में सेंटर हैं. 1997 में रविशंकर ने इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ह्यूमन वैल्यूज की स्थापना की. 2009 में रविशंकर को फोर्ब्स मैग्जीन ने भारत की पाचंवी सबसे ताकतवर शख्सियत बताया था. साल 2016 में रविशंकर को भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पदम विभूषण दिया गया.

आर्ट ऑफ लिविंग श्रीश्री तत्व के नाम से बाजार में अपने उत्पाद बेचता है. रविशंकर ने सरकार से खुद को इस मामले में मध्यस्थ बनाने का आग्रह किया था. इससे पहले वो कई बार बड़े मामलों में मध्यस्थ की भूमिका निभा चुके हैं, या पेशकश की है लेकिन ज्यादातर मामलों में कुछ खास सफलता नहीं मिली. 

श्रीराम पंचू

श्रीराम पंचू चेन्नई के रहने वाले हैं. वो जाने-माने वकील और मध्यस्थ हैं. श्रीराम ने एलफिंसटन कॉलेज, मुंबई से अर्थशास्त्र में बीए किया और फिर सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी किया है. 40 सालों से लॉ प्रैक्टिस कर रहे हैं. पिछले 20 साल से मध्यस्थता का काम भी कर रहे हैं. कॉनकोर्ड मीडिएशन नाम की संस्था के फाउंडर हैं. ये संस्था मीडिएशन यानी मध्यस्थता करने का काम करती है.

साथ ही नेशनल एसोसिएशन ऑफ मीडिएटर्स के अध्यक्ष भी हैं और इंटरनेशनल मीडिएशन इंस्टीट्यूट के बोर्ड मेंबर हैं. पंचू ने 2005 में भारत का पहला कोर्ट आधारित मीडिएशन सेंटर बनाया था जिसके कारण अब मीडिएशन भारत की कानूनी व्यवस्था का एक हिस्सा बन गया है.

उन्हें बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से इंडिया डे पुरुस्कार भी दिया जा चुका है. पंचू को सुप्रीम कोर्ट ने असम और नगालैंड के बीच 500 वर्ग किलोमीटर के जमीन विवाद, मुंबई में पारसी समुदाय के सार्वजनिक विवाद जैसे कई मामलों में मध्यस्थ बनाया है. पंचू ने मीडिएशन पर दो किताबें भी लिखी हैं.

ऋषभ

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