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यूरोपीय संघ को तोड़ना नहीं चाहता है रूस: पुतिन

५ जून २०१८

अमेरिका और पश्चिमी यूरोप ने रूस को 1945 के बाद से ही साझा दुश्मन की तरह देखा है. लेकिन ट्रंप ने यह तस्वीर बदल दी है. अमेरिका के दूर जाते यूरोप को अब रूस रिझाने की कोशिश कर रहा है.

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Russland Wladimir Putin legt Amtseid ab
तस्वीर: Reuters/S. Bobylyov

यूरोपीय संघ के साथ बिगड़े रिश्तों को सुधारने की कवायद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना पहुंचे हैं. चौथी बार राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन का यह पहला ईयू दौरा है. ऑस्ट्रिया जाने से पहले पुतिन ने कहा कि रूस यूरोपीय संघ को तोड़ना नहीं चाहता है. यूक्रेन से क्रीमिया को हथियाने के बाद ऐसी आशंकाएं उठने लगी थीं कि मॉस्को यूरोपीय संघ को तोड़ने की कोशिश कर रहा है. ऑस्ट्रिया के सरकारी प्रसारक ओआरएफ से बात करते हुए रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "इसके उलट, हम यूरोपीय संघ के साथ अपना सहयोग बढ़ाना चाहते हैं." पुतिन ने ईयू को रूस का सबसे अहम कारोबारी साझेदार भी बताया.

यूक्रेन और सीरिया के मुद्दे पर रूस और यूरोपीय संघ के देशों की सोच बिल्कुल अलग है. यूरोपीय संघ मॉस्को पर यूक्रेन और सीरिया में आक्रामक तरीके से दखल देने के आरोप लगाता रहा है. ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस सेर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर हुए रासायनिक हमले के बाद यूरोपीय संघ के कई देशों ने रूसी राजनयिकों को निकाल दिया था, लेकिन ऑस्ट्रिया की दक्षिणपंथी सरकार ने ऐसा नहीं किया.

(यूरोप और यूरोपीय संघ में क्या फर्क है, जानिए)

ऑस्ट्रिया के चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स चरणबद्ध तरीके से मॉस्को के खिलाफ लगाए गए यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को हटाने की वकालत करते रहे हैं. कुर्त्स का कहना है कि अगर मॉस्को यूक्रेन में तनाव को कम करेगा तो प्रतिबंध हटाए जा सकते हैं. कुर्त्स को समर्थन देने वाली अतिदक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी भी मॉस्को पर लगाए गए प्रतिबंधों को पूरी तरह हटाने की मांग कर रही है. फ्रीडम पार्टी यूरोजोन के साझा मुद्रा यूरो के भी खिलाफ है. फ्रीडम पार्टी और रूस की सत्ताधारी यूनाइटेड रसिया पार्टी के बीच सहयोग संधि भी है. ऊर्जा के मामले में मॉस्को और वियना एक दूसरे पर निर्भर हैं. यूरोप बड़ी मात्रा में रूसी गैस खरीदता है. इस गैस का बड़ा हिस्सा ऑस्ट्रिया के जरिए ही पश्चिमी यूरोप पहुंचता है.

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही पश्चिमी यूरोप और अमेरिका घनिष्ठ कारोबारी व रणनैतिक साझेदार हैं. लेकिन डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से यह रिश्ता झटके झेल रहा है. नाटो के बजट, आपसी कारोबार में अड़ियल रुख और पेरिस जलवायु समझौते व ईरान न्यूक्लियर डील से अमेरिका के बाहर निकलने से यूरोपीय संघ को झटका लगा है.

जर्मनी और फ्रांस जैसे देश मजबूत और आत्मनिर्भर यूरोपीय संघ की वकालत कर रहे हैं. जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल तो पहले ही कह चुकी हैं कि यूरोप को अब अपना भविष्य अपने हाथ में लेना होगा. पुतिन के साथ तमाम मतभेदों के बावजूद मई 2018 में मैर्केल भी सोची गईं. वहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति से यूक्रेन, सीरिया, तेल-गैस सप्लाई और ईरान डील जैसे मुद्दों पर बात की. 2014 के क्रीमिया संकट के बाद पहली बार यूरोपीय संघ और रूस करीब आते दिख रहे हैं. ट्रंप उन्हें करीब ला रहे हैं. मॉस्को और यूरोपीय संघ मिलकर ईरान परमाणु डील और दूसरे अंतरराष्ट्रीय समझौतों को बचाना चाहते हैं.

(कैसे टुकड़ों में बंट गया सोवियत संघ)

ओएसजे/एमजे (डीपीए, एएफपी)