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यूरोप की सूखती नदियों ने लगाया मुश्किलों का अंबार

९ अगस्त २०२२

यूरोप की नदियों में पानी बहुत ज्यादा घट गया है. सैलानियों और माल ढुलाई से कमाई करने वाले बेहाल हैं. कारोबार मुश्किल होने के साथ ही लोगों और खेतों की प्यास बुझाना भी चुनौती बन गई है.

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फ्रांस की डूब नदी इस हाल में पहुंच गई है
फ्रांस की डूब नदी इस हाल में पहुंच गई हैतस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images

फ्रांस और स्विट्जरलैंड की सीमा पर डूब नदी में जैसे जैसे पानी घट रहा है फ्रांसोआ ड्रो बार्थोल का काम भी ठप्प होता जा रहा है. वो इसी नदी पर क्रूज बोट चलाती हैं. पूरे पश्चिमी यूरोप में नदियों, झीलों और जल भंडारों का पानी लगतार घटता जा रहा और कई जगह तो यह पूरी तरह सूख गया है.

कई दशकों के बाद इस इलाके में इस तरह का सूखा पड़ा है. हालत इतनी बुरी है कि कई जगहों पर तो पीने के पानी की सप्लाई की दिक्कत हो गई है. दूसरी तरफ माल ढुलाई करने वाले जहाज और सैलानियों को लेकर जाने वाले क्रूज का चलना मुश्किल हो गया है और फसलों की सिंचाई बाधित हुई है.

इटली की पो नदी में 70 सालों के बाद ऐसा सूखा पड़ा है
इटली की पो नदी में 70 सालों के बाद ऐसा सूखा पड़ा हैतस्वीर: DW

पहाड़ी नाले में बदल गई नदी

डूब नदी जंगल के इलाकों से गुजरते हुए झरनों का रूप लेकर आगे बढ़ती है और फिर ब्रेनेट लेक में जा कर मिलती है. फ्रांस के जुरा इलाके में सैलानी इसे देखने खिंचे चले आते हैं. कई महीनों से अच्छी बारिश नहीं होने के कारण नदी का पानी कम हो कर कई जगहों पर किसी पहाड़ी नाले में बदल गया है जो बहुत धीमी गति से पतले रास्तों से गुजर कर झील तक पहुंच रहा है.

ड्रोड बार्थोले की नाव में दूसरे सालों की तुलना में इस बार बुकिंग 20 फीसदी कम है. अब उन्हें अपने ग्राहकों को क्रूज के शुरुआत वाली जगह से बस में लेकर वहां तक जाना पड़ रहा है जहां नदी में नाव चलाने लायक पर्याप्त पानी है. दूसरे नाव चलाने वाले भी कम बुकिंग होने की बात कह रहे हैं.

डूब नदी में सैलानियों की कम नाव का मतलब है कि रेस्त्रां मालिक भी कम ही लोगों को भोजन परोसेंगे. दो साल तक कोरोना की मार सहने के बाद इस साल उन्हें अच्छी कमाई की उम्मीद थी लेकिन वो भी इस गर्मी में ध्वस्त हो गई.

यूरोप के एक बड़े हिस्से में बारिश का कहीं कोई अता पता नहीं है
यूरोप के एक बड़े हिस्से में बारिश का कहीं कोई अता पता नहीं हैतस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP

बहुत कम हुई है बारिश

पूरे यूरोप में हालात अच्छे नहीं हैं. गर्म हवायें चल रही हैं और बारिश या तो बिल्कुल नहीं हो रही है या फिर बहुत कम. दक्षिणी स्पेन के किसानों को डर है कि ये सूखी गर्मी उनके जैतून की पैदावार को घटा देगी. दुनिया का एक तिहाई जैतून स्पेन में ही पैदा होता है. स्पेन की तरह ही फ्रांस में भी हाल ही में जंगलों की आग बड़े पैमाने पर लगी थी. यहां कई गांवों में पानी की भारी कमी है. बिना पानी के रह रहे दर्जनों गांवों में टैंकरों के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है.

जर्मनी में मालवाहक जहाजों का प्रमुख रास्ता राईन नदी है लेकिन फिलहाल नदी में पानी इतना कम हो गया है कि पूरी क्षमता के साथ मालवाहक जहाजों का गुजरना संभव नहीं है. मालवाहक जहाज या तो चल नहीं रहे या फिर कम सामान लेकर जा रहे हैं और जल्दी ही पानी नहीं बरसा तो इसमें और कमी आयेगी.यही हाल इटली की पो नदी का भी है  जिसमें जगह-जगह पानी घटने के कारण जगह जगह सूरज की गर्मी में तपते रेत और पत्थर ही नजर आ रहे हैं. जुलाई में इटली ने पो नदी के आस पास के इलाकों में आपातकाल घोषित कर दिया. यह नदी इटली की एक तिहाई फसलों को पानी देती है.

राईन नदी में मालवाहक जहाजों का चलना मुश्किल हो गया है
राईन नदी में मालवाहक जहाजों का चलना मुश्किल हो गया हैतस्वीर: Roberto Pfeil/dpa/picture alliance

फ्रांस में इस हफ्ते चौथी बार लू चली है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार की गर्मी में ऊंचा तापमान यूरोप में मौसम के बिगड़ते तेवरों का हाल बता रहा है जो बीते कुछ सालों में लगातार उग्र होते जा रहे हैं. ब्रिटेन के मौसम विभाग ने मंगलवार को इंग्लैंड और वेल्स के कुछ इलाकों में "अत्यधिक गर्मी" की चेतावनी जारी की है. जाहिर है कि पिछले कुछ हफ्तों से चले आ रही सूखी गर्मी से फिलहाल राहत के कोई संकेत नहीं है. इस गर्मी में ना सिर्फ उच्च तापमान के रिकॉर्ट टूट रहे हैं बल्कि जंगल भी खाक होते जा रहे हैं.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)