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यूरोप की वित्तीय राजधानीः फ्रैंकफ़र्ट

शिव प्रसाद जोशी२० अगस्त २००९

फ्रैंकुफुर्ट बहुमंज़िला इमारतों और हवाई जहाज़ों का शहर है. इसकी ऊंची इमारतें आकाश के सीने तक पहुंचा देती है.यह जर्मनी की आर्थिक राजधानी है. यूरोपीय यूनियन का सेंट्रल बैंक भी यही हैं.

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कला और अर्थव्यवस्था का शहर फैंक्रफुर्टतस्वीर: AP

फ्रैंकफुर्ट- वित्तीय ऊंचाइयों का शहर

लोग अक्सर इसे फ्रैंकफर्ट कहते हैं पर असली नाम है फ्रैंकफुर्ट. बहुमंज़िली इमारतों वाले इस शहर से उसका आकाश कुछ अलग ही नज़र आता है. आकाश तक पहुंचती इमारतों से ऐसा लगता है कि ये शहर आधा आकाश में बसा हुआ है. कांच और कंक्रीट की तैतालीस भव्य ठोस कद्दावर इमारतें गगन चूमती हैं. और भी ऐसी इमारतें प्रस्तावित हैं. अपनी गगनचुंबी इमारतों की वजह से फ्रैंकफुर्ट को अमेरिकी शहरों शिकागो औऱ मैनहाटन का नाम भी दिया जाता है.

देश की आर्थिक धड़कन

फ्रैंकफुर्ट की असली पहचान है इसका आर्थिक राजधानी का दर्जा. फ्रैंकफुर्ट स्टॉक एक्सचेंज के अलावा कई वित्तीय संस्थानों और बैंकों के दफ़्तर यहीं हैं. फैंकफुर्ट स्टॉक एक्सचेंज दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्टॉक संस्थान है. सघन बैंकिंग संजाल के साथ वित्तीय कारोबार शहर और देश की अर्थव्यवस्था का सबसे जीवंत सेक्टर है. दस फीसदी से ज़्यादा कर्मचारी यहां पैसों के कारोबार की वजह से अपना जीवन बिता रहे हैं और अच्छा ख़ासा बिता रहे हैं. लेकिन पैसा ही नहीं, फ्रैंकफुर्ट में राजनीति की दिशाएं भी तय होती है, ख़ासकर वित्तीय राजनीति की. देश की सर्वोच्च वित्तीय नियंत्रक संस्था, बुंदेसबांक यानी राष्ट्रीय बैंक यहीं है. 1999 से यूरोपियन युनियन का सेंट्रल बैंक भी फ्रैंकफुर्ट ले आया गया. यूरोप की एक मुद्रा यूरो इसी बैंक की देखरेख में संचालित होती है.

BdT Zirkus Afrika
हुनरमंदों का शहरतस्वीर: AP

लोकतंत्र का पालना
फ्रैंकफुर्ट हमेशा से एक सक्रिय और जीवंत जगह रही है. माइन नदी के तट पर बसा होने की वजह से ये प्रमुख जलमार्गों का रूट है और जल मार्ग से होने वाले कारोबार का केंद्र भी बन गया है. लेकिन इन व्यापारिक गतिविधियों से पहले फ्रैंकफुर्ट अपनी राजनैतिक सजगता के लिए भी जाना जाता है. राजनीति का इस शहर का इतिहास काफी पुराना है. शहर के पुराने इलाक़े में है जर्मन संविधान और लोकतंत्र का पालना यानी एक चर्च जिसका नाम है पाउलकिर्शे. 19 वीं सदी के मध्य में कई छोटे प्रांत यहां राष्ट्रीय असेंबलियों के लिए मिलते थे. 1849 में उन्होंने इसी चर्च में “जर्मन लोगों के संवैधानिक अधिकारों” का मसविदा तैयार कर उसे पास किया था.

Goethe in der Campagna, Gemälde von Johann Heinrich Wilhelm Tischbein
फ्रैंकफुर्ट में देखने लायक हैं गोएथे संग्रहालयतस्वीर: picture-alliance / akg-images

गोएथे का शहर

ये शहर जितना आर्थिक वजहों और अपनी राजनैतिक थाती से विख्यात है उतनी ही ख्याति इसकी अपनी सांस्कृतिक विरासतों की वजह से भी है. महा-कवि, उपन्यासकार, नाटककार यॉन वुल्फगांग गोएथे का जन्म यहां 28 अगस्त 1749 को हुआ था. उनका घर यानी गोएथेहाउस दूसरे विश्व युद्ध में तबाह हो गया था लेकिन बाद में इसका पुनर्निर्माण किया गया और अपने कवि की याद में आज शहर ने एक संग्रहालय भी निर्मित कर दिया है. दुनिया में अपनी तरह का सबसे विशाल प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला यहीं लगता है और यहां की कला दीर्घाओं का दुनिया भर में नाम है. कई प्रमुख प्रकाशन संस्थानों के भी यहां दफ़्तर हैं. पढ़ने लिखने वालों और मीडिया जगत के लिए तो फ्रैंकफुर्ट स्वर्ग है. यूरोप के सबसे ताक़तवर अख़बारों में एक 'फ्रैंकफुर्टर आल्गेमाइने त्साईंटुंग' यहीं से छपता है.

जगमग के फीके किनारे

Europäische Zentralbank, Frankfurt am Main
यूरोपियन सेंट्रल बैंकतस्वीर: AP

हाल तक फ्रैंकफुर्ट अंतरराष्ट्रीय संस्कृति के परिदृश्य में एक झलक भर नज़र आता था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. संस्कृति के दरिया में अब पैसा भी बह रहा है. पिछले दस साल में फ्रैंकफुर्ट ने ख़ुद को कला महानगर के रूप में विकसित किया है. 13 नए प्रदर्शनी हॉल स्थापित किए गए हैं. मेन नदी के किनारे संग्रहालय सामने आए हैं जहां कला आंदोलनों से लेकर कई ऐतिहासिक काम, दस्तावेज़ और निशानियां संजो कर रखे गए हैं. कला प्रेमियों के लिए ये जगह मक्का से कम नहीं.

फ्रैंकफुर्ट के उद्दाम बिजनेस सेक्टर और सांस्कृतिक संपदा ने दुनिया के समक्ष शहर का एक समृद्ध, कॉस्मोपॉलिटन और उदार चेहरा पेश किया है. लेकिन शहर के खाते में कुछ स्याह सच्चाईयां भी हैं. उसकी रोशनियों के किनारों के अंधेरों में ग़रीबी ज़लालत और काला धंधा भी फलता फूलता रहा है. नशीले पदार्थों का लेनदेन और बेघर लोगों की ज़िंदगियां फ्रैंकफुर्ट की भव्य झिलमिलाहट और पैसे की रंगीनियों का मुंह सा चिढ़ाती है,

लेकिन अपने स्वप्न, अपने अच्छे बुरे सम्मिलित यथार्थ और अपनी जीवंत स्मृतियों के साथ फ्रैंकफुर्ट शहर एक रोमान तो जगाता ही है. आप इसे देखते रह सकते हैं पढ़ते रह सकते हैं या सिर्फ अभिभूत हुए रह सकते हैं. जैसे कि इसी शहर के कवि गोएथे ने लिखा था: “मैंने श्रम साधना के कष्ट से दर्शन पढ़ लिया, न्याय प्रणाली और चिकित्सा शास्त्र भी और यहां तक कि धर्मशास्त्र भी पढ़ डाला, शुरू से आखिर तक. लेकिन इतना कुछ हासिल कर लेने के बाद भी मैं रहा वैसा ही बोदा, पहले जितना कमअक्ल.”

एक जीवन, एक शहर की विराटता को समझने के लिए गोएथे का फ़लसफ़ा काम आ सकता है. ख़ासकर जब उनके ही शहर फैंकफुर्ट को समझना हो.