यूरोजोन के लिए खतरनाक हफ्ता
९ सितम्बर २०१२यूरो जोन देशों के लिए यह हफ्ता काफी तनाव से भरा होगा. शुक्रवार को यूरोपीय वित्त मंत्री साइप्रस में मिलने वाले हैं जहां वे बैंकों पर निगरानी और स्पेन के लिए अतिरिक्त मदद पर चर्चा करेंगे. ग्रीस के हालात पर भी बहस की जाएगी. इसी हफ्ते नीदरलैंड्स में आम चुनाव होने वाले हैं और जर्मन संवैधानिक अदालत तय करेगी कि यूरो जोन के लिए राहत राशि जर्मन कानून के अनुकूल है या नहीं.
हालांकि स्पेन और ग्रीस पर फैसले शायद अक्तूबर तक ही तय हो पाएंगे. पहले यह देखना होगा कि स्पेन यूरोपीय संघ से मदद मांगता है या नहीं, क्योंकि मदद लेने का मतलब स्पेन की बैंकों पर यूरोपीय निगरानी और सख्त शर्तें होगा. उधर ग्रीस के मामले में यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश के प्रमुख एक और राहत पैकेज पर सोच रहे हैं.
रॉयटर्स समाचार एजेंसी की एक सर्वे के मुताबिक 20 विश्लेषकों का मानना है कि जर्मनी की संवैधानिक अदालत यूरोपीय स्थिरता कार्यक्रम और यूरोपीय वित्तीय अनुशासन को अपनी मंजूरी दे देगी. लेकिन उनका मानना है कि इसमें शर्तें भी उतनी ही सख्त होंगी. अदालत का फैसला जर्मन चांसलर मैर्केल के लिए चुनौती साबित हो सकता है. पिछले हफ्ते यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने वित्तीय खतरे में पड़ रहे देशों के बॉन्ड को खरीदने का फैसला लिया जिसके बाद जर्मनी की जनता के बीच मैर्केल की स्थिति और कमजोर हो गई. अगर अदालत यूरोपीय स्थिरता कार्यक्रम के खिलाफ फैसला लेती है तो बॉन्ड और मुद्रा बाजार पर इसका बुरा असर पड़ेगा, खासकर इसलिए क्योंकि स्पेन और ग्रीस को भविष्य में अपने उधार चुकाने में और परेशानी आएगी.
ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि जर्मन संवैधानिक अदालत यूरो को बचाने के लिए अपनी मंजूरी दे देगी. लेकिन जज जर्मन संसद को भविष्य में हर राहत राशि को वीटो करने का अधिकार दे सकते हैं या जर्मन मदद पर एक सीमा तय कर सकते हैं. सर्वे में संवैधानिक कानून पर काम कर रहे विश्लेषकों का कहना है कि यूरोपीय संघ में और एकता के लिए एक नए संविधान पर जनमत संग्रह करने की जरूरत पड़ेगी.
अभी से जर्मन वित्त मंत्री वोल्फगांग शोएब्ले का मानना है कि यूरोपीय केंद्रीय बैंक यूरो देशों के 6,000 बैंकों की निगरानी नहीं कर सकता और जर्मनी अपने स्थानीय बैंकों को बचाकर भी रखना चाहता है. वहीं यूरोपीय आयोग और यूरोपीय केंद्रीय बैंक चाहते हैं कि निगरानी करने वाले प्राधिकरण को सारे बैंकों पर अंतिम अधिकार दिए जाएं. बैंकों के प्रमुख इस सुझाव से सहमत हैं. इटली के यूनिक्रेडिट के प्रमुख फेडेरीको गिजोनी का कहना है कि इससे सारे बैंकों के अधिकार बराबर हो जाएंगे. लेकिन यूरोपीय संघ स्पेन और ग्रीस के बैंकों के लिए राहत राशि की शर्तें कुछ आसान करना चाहते हैं, खास कर इसलिए ताकि स्पेन की सरकार को बैंकों का उधार नहीं चुकाना पड़े और अपने सरकारी खर्च में कटौती नहीं करनी पड़े.
एमजी/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)