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यूरो के लिए अहम रहेगा यह साल

१ जनवरी २०१२

वित्तीय संकट का सामना कर रहे यूरो जोन के लिए अगला साल बनने या बिगड़ने का साल साबित हो सकता है. नया राजस्व संघ बनाने की तैयारी और एक देश के यूरो क्षेत्र छोड़ने की आशंका के बीच यूरो के दस साल पूरे हो गए हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/chromorange

यूरोपीय संघ की एकता के प्रतीक यूरो के लिए लागू होने का दसवां साल 2011 एक भयानक साल था जबकि 2012 में संघ के सबसे बड़े देश जर्मनी तथा फ्रांस के अलावा कर्ज में डूबे अन्य सदस्यों के लिए कठोर विकल्पों का साल होगा. फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने हाल ही में कहा है कि यूरो क्षेत्र में कर्ज का संकट पूरे यूरोप को घुटने पर ला सकता है. यह इस बीमारी के डर को दिखाता है जो ग्रीस से शुरू होकर आयरलैंड और पुर्तगाल को छूता हुआ स्पेन और इटली तक जा पहुंचा है. उन्होंने अपने भाषण में पूछा, हम किस प्रकार का यूरोप पीछे छोड़ेंगे, यदि यूरो नहीं रहता है, यदि यूरोप का आर्थिक दिल दम तोड़ जाता है?

Angela Merkel und Nicolas Sarkozy
तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूरो क्षेत्र में व्यापक सुधार

ऐसी स्थिति न आने देने के लिए व्यापक सुधार किए जा रहे हैं, जो अंत में यूरो जोन की मुख्य अर्थव्यवस्थाओं में टैक्स और सामाजिक सुविधाओं के अंतर को पूरी तरह समाप्त कर देगा. लेकिन दूसरी ओर ऐसे सुधार जो आरंभ में बलि भी लेंगे. मसलन रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के अध्यक्ष फिलिप हैम्पटन का अनुमान है कि एक छोटा देश 2012 में यूरो जोन छोड़ देगा. यह बयान तब आया था जब ग्रीस कुछ बड़े बैंकों के साथ कर्ज माफी की बातचीत पूरी कर रहा था. इस बयान को लंदन में कुछ और वित्तीय विशेषज्ञों ने भी दुहराया है.

2011 के आरंभ में एथेंस, डब्लिन और लिसबन में वित्तीय मुश्किलों को यूरो जोन की सतही समस्या माना गया था. लेकिन तब मामला यूरोप के दिल तक नहीं पहुंचा था. लेकिन बाद में क्रेटिंग रेटिंग गिराने की धमकी और सरकारी बांड की बिक्री पर लोगों के उत्साह में कमी ने फ्रांस और जर्मनी को भी नींद से जगा सा दिया. सबसे पहले 2007 में अमेरिका में वित्तीय संकट की शुरुआत हुई थी और तब से इस संकट ने अलग अलग रूप दिखाए हैं. इसने ऋण बाजार के अलावा पिछले सालों में उपभोक्ताओं के खर्च और उद्योग में कैश के प्रवाह को भी प्रभावित किया है और अंत में यूरोप में सरकारी कर्ज पर दहशत फैल गई, जहां के बैंक वित्तीय संकट का शिकार हो गए थे.

10 Jahre Euro Wim Duisenberg
तस्वीर: picture-alliance/dpa

आर्थिक या राजनीतिक संकट

आरंभ में यह संकट आर्थिक था लेकिन जल्द ही राजनीतिक बन गया और धीरे धीरे नेताओं के सर कटने लगे. सबसे पहला शिकार आयरलैंड के प्रधानमंत्री हुए, बाद में ग्रीस के गियोर्गोस पापांद्रेऊ और इटली के सिलवियो बर्लुसकोनी की कुर्सियां गईं और समाजिक असंतोष ऑकुपाई वाल स्ट्रीट आंदोलन के रूप में सामने आया. यूरो संकट ने ग्रीस से स्लोवाकिया तक आधे दर्जन से अधिक नेताओं को लील लिया. बाजार के भरोसे को जीतने के लिए निर्वाचित नेताओं के बदले भूतपूर्व यूरो नौकरशाहों को एथेंस और रोम में गद्दी पर बिठाया गया है.

आने वाले 12 महीनों में पता चलेगा कि क्या यूरो जोन में इटली और स्पेन को वित्तीय संकट में गिरने से बचाने की क्षमता है. यदि ऐसा नहीं होता है तो फ्रांस उसका अगला शिकार होगा. रोम में मारियो मोंटी की सरकार को चुनाव तक चलाने के लिए पहले तीन महीनों में 150 यूरो की जरूरत होगी और अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने के लिए 400 अरब यूरो की जरूरत होगी. साल के बीच तक स्थायी यूरोपीय स्थिरता मेकेनिज्म काम करने लगेगा.

उत्तर और दक्षिण में मतभेद

यूरोप की कई सरकारें चाहती हैं कि यूरोपीय केंद्रीय बैंक मुश्किल में फंसी सरकारों के बांड को खरीदने का कार्यक्रम बढ़ाएगी. वे फ्रैंकफर्ट में स्थित संस्थान को मर्ज का इलाज समझते हैं. लेकिन उत्तर और दक्षिण के देशों में मतभेद हैं. ईयू के भूतपू्र्व डच कमिश्नर फ्रित्स बोल्केनस्टाइन यूरो जोन के बंटवारे को अपरिहार्य मानते हैं. इसकी वजह वे अलग अलग संस्कृतियों को मानते हैं, जिसमें जर्मनी के नेतृत्व वाला ब्लॉक बजटीय अनुशासन चाहता है जबकि मध्यसागरीय धड़ा आर्थिक समस्याओं का राजनीतिक हल चाहता है.

इस बीच लंदन के बैंकों के अलावा अमेरिकी और एशियाऊ बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी यूरो जोन को भंग किए जाने की स्थिति के लिए तैयार हो रहे हैं. लंदन में यूरोपीय संघ के वित्तीय सेवा उद्योग का दो तिहाई स्थित है. लेकिन दुनिया भर में करेंसी रिजर्व का एक चौथाई हिस्सा यूरो में रखा जा रहा है और इसलिए कम ही लोग संकट जारी रहने की संभावना देखते हैं.

रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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