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यूपी में अनिवार्य होगा शादी का रजिस्ट्रेशन

फैसल फरीद
१४ जून २०१७

अभी ट्रिपल तलाक पर बहस थमी नहीं थी कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा राज्य में सभी के लिए मैरिज रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है.

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Indien Hochzeit Muslima Braut
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khanna

उत्तर प्रदेश में इससे पहले भी शादियों के रजिस्ट्रेशन पर बात चली थी लेकिन प्रदेश में मुस्लिम समुदाय द्वारा आपत्ति जताने पर मामला आगे नहीं बढ़ सका. इस बार प्रक्रिया लागू होने की उम्मीद है. प्रदेश के महिला कल्याण विभाग को इसके लिए नियमावली बनाने को अधिकृत किया गया है. नियमावली बन जाने पर इसे कैबिनेट से पास करा कर लागू किया जा सकता है.

इस बार शादी का रजिस्ट्रेशन सभी के लिए करवाने की मंशा जतायी गयी है और इसमें किसी समुदाय को कोई छूट नहीं मिलेगी. सबसे बड़ी बात ये शर्त होगी कि लोगों को तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ तभी मिलेगा, अगर शादी का पंजीकरण करवाया गया है.

अब तक आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से इस पर ऐतराज रहा है. लेकिन अब उसके स्वर भी धीमे हो गए हैं. बोर्ड के कार्यकारिणी के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के अनुसार शादियों के अनिवार्य पंजीकरण के खिलाफ कभी भी बोर्ड नहीं रहा. लेकिन कुछ बिंदु हैं, जिन पर विचार होना चाहिए. जैसे मुस्लिम समुदाय में निकाह काजी द्वारा करवाया जाता है और एक दस्तावेज निकाहनामा के रूप में दिया जाता है, जिस पर गवाहों के दस्तखत होते हैं. उसकी एक कॉपी काजी के पास भी रहती है. बोर्ड के अनुसार इसी को रजिस्ट्रेशन मान लेना चाहिए. उसी प्रकार धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार किया गया विवाह सिर्फ रजिस्ट्रेशन न होने से कैसे अवैध हो जायेगा. 

महली का कहना है कि इन बिन्दुओं पर सरकार को धर्मगुरूओं से भी विचार विमर्श करना चाहिए. 

पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार में भी इसी प्रकार की बात चली थी लेकिन मुस्लिम समुदाय की आपत्ति देखते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. इस बार ऐसी कोई उम्मीद नहीं दिखती. विचार ये भी है कि विलम्ब से पंजीकरण करने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाए. हालांकि पहले से विवाहित जोड़ों को इससे छूट दी जाने की उम्मीद है. 

इसके बहुत से फायदे बताये जा रहे हैं. पहला फायदा यह गिनाया जा रहा है कि इससे बाल विवाह के मामले रुक जाएंगे. दूसरा यह कि इससे दूसरी शादी करने पर लगाम कस जाएगी. महिलाओं के उत्पीड़न पर भी रोक लगेगी क्योंकि सब कुछ लिखा पढ़ी में होगा. दोनों पक्षों की सहमति भी लिखित में होगी, इसीलिए जबरदस्ती विवाह नहीं हो सकेगा. तमाम विरासत के मामले पहले से पंजीकरण होने से आसानी से निपट जाएंगे. बहुत से विदेशी मुल्क शादी के रजिस्ट्रेशन का पेपर मांगते हैं. ऐसे में पहले से ही कई मुस्लिम विदेश जाने के लिए अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाते आये हैं. अगर उनका निकाहनामा उर्दू या अरबी में होता है, तो वे बाकायदा उसका ट्रांसलेशन करवा कर रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है. 

इस समय प्रदेश में शादियों का रजिस्ट्रेशन स्पेशल मैरिज एक्ट 1954  के तहत होता है. इसके लिए प्रत्येक जिले में एक मजिस्ट्रेट को अधिकृत कर दिया जाता है. इस प्रकार के रजिस्ट्रेशन में धर्म का कोई बंधन नहीं होता है. लेकिन आमतौर पर लोग इसका इस्तेमाल तभी करते हैं, जब उनको कहीं सर्टिफिकेट देने की जरूरत होती है. हालांकि अभी तय नहीं है कि अनिवार्य होने की दशा में रजिस्ट्रेशन करने के लिए क्या अलग से मैरिज मजिस्ट्रेट तैनात किये जाएंगे. इसके लिए शादी के बाद कुछ समय देने पर विचार चल रहा है. 

2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी 121 करोड़ है. अगर हम सिर्फ हिंदू और मुसलमानों की संख्या पर गौर करें, तो आबादी में ऐसे 25 करोड़ से अधिक हिंदू पुरुष और 19 करोड़ से अधिक हिंदू महिलाएं हैं, जिन्होंने कभी शादी नहीं की. मुसलमानों में ये संख्या 5 करोड़ पुरुष और 4 करोड़ से अधिक महिलाओं की है. हिंदूओं में 23 करोड़ से अधिक पुरुष और लगभग इतनी ही महिलाएं शादीशुदा हैं. वहीं मुसलमानों में चार करोड़ से कम पुरुष और महिलाएं शादीशुदा हैं. पौने चार लाख हिंदू पुरुष और 6 लाख महिलाएं तलाकशुदा के रूप में दर्ज हैं. वहीं मुसलमानों में ये संख्या 57,000 पुरुष और 21,000 महिलाओं की है.