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यूनेस्को धरोहर बनने की ओर जर्मन ब्रेड

९ जुलाई २०१३

फ्रांस के बागेट और इटली के चियाबाटा की तरह जर्मन ब्रेड भी दुनिया भर में जाना जाता है. उसमें विविधता और बहुलता भी है. अस्तित्व के संकट से जूझ रहा बेकरी उद्योग इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल कराने की कोशिश में है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

मास्टर बेकर कार्ल डीटमार प्लेंत्स ट्रे में रखे आटे में अंगुली घुसाकर उसे लपेटते हुए कहते हैं, "यह घर की याद दिलाता है." उनकी 136 साल पुरानी पारिवारिक बेकरी के ओवन में 26 प्रकार की रोटियां सेकीं जा रही हैं. उनके पीछे कटिंग मशीन से आटे के गोले कट रहे हैं और एक कर्मचारी दो टुकड़ों को गूंथते हुए एक जैसे ब्रेड लोफ बनाए जा रहा है. यह पोटैटो ब्रेड है जो प्लेंत्स की बेकरी की विशेषताओं में से एक है. इसे अभी भी उस तरह से बनाया जाता है जैसे प्लेंत्स के दादा बनाया करते थे.

जर्मनी में बेकरी का पेशा मुश्किलें झेल रहा है. जब से डिस्काउंट वाले सुपर बाजारों ने किफायती बेकरी सामान बेचना शुरू किया है, बेकरियों की बिक्री घटी है. इसलिए जर्मन बेकर मांग कर रहे हैं कि बेकिंग की कला को संयुक्त राष्ट्र संगठन यूनेस्को अर्जेंटीना के टैंगो, ईरान के कालीन निर्माण और फ्रांस के फोर कोर्स खाने की तरह वैश्विक सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दे. जर्मनी के पूर्वोत्तर में मौजूद श्वांते में चार पीढ़ियों से बेकरी चला रहे प्लेंत्स इसकी वजह यह बताते हैं कि हर बेकर अपनी तरह से ब्रेड और पेस्ट्री बनाता है.

Bäckereisterben in Deutschland
कैसे कैसे ब्रेडतस्वीर: dapd

सुपर मार्केट और पेट्रोल पंप ब्रेड, केक और पेस्ट्री बेचने को बेताब हैं और तेजी से लोकप्रिय हो रहे टू गो लाइफस्टाइल का मतलब यह है कि जर्मनी में 'आबेंडब्रोट' यानि कोल्ड मीट, सॉसेज और ब्रेड वाले शाम का खाने की परंपरा धीरे धीरे मिट रही है. जर्मन बेकरी फेडरेशन के अनुसार पिछले साल करीब 500 बेकरियां बंद हो गईं. फेडरेशन के प्रमुख पेटर बेकर का कहना है कि यूनेस्को की सूची में शामिल होने की कोशिश के केंद्र में बहुलता है जो हमारे सामान में सम्मान की भावना को मान्यता देगा. जर्मन बेकरी पीढ़ियों से आ रहे नुस्खे से प्रोडक्ट बनाते हैं, जो क्षेत्रीय पहचान को भी दिखाते हैं.

जर्मनी इस हफ्ते यूनेस्को की 2003 की उस संधि में शामिल होने वाला 153वां देश बन रहा है, जिसका उद्देश्य अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा है. उसके 16 प्रांत अब राष्ट्रीय सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव इकट्ठा कर रहे हैं. धरोहरों की राष्ट्रीय सूची यूनेस्को की सूची में शामिल होने की पहली शर्त है.

जर्मनी के यूनेस्को आयोग के बेंजामिन हांके कहते हैं कि देश के अतीत की वजह से इस संधि में शामिल होने में देर हुई. लोगों को आशंका थी कि नाजियों और पूर्वी जर्मन शासन में बिगाड़ी गई परंपराओं को प्रस्तावित किया जा सकता है लेकिन जानकारी या ज्ञान के आधार पर धरोहर को परिभाषित करने में विफलता भी इस देरी की वजह थी. बेकर फेडरेशन ने पिछले महीने पहली बार जर्मन ब्रेड दिवस मनाया और दो ब्रोटशाफ्टरों की नियुक्ति की. यह शब्द जर्मन में ब्रेड और राजदूत शब्दों को मिलाकर बनाया गया है. फेडरेशन ने ब्रेड रजिस्टर भी बनाया है जिसमें 3000 किस्में दर्ज हैं.

Bäckereisterben in Deutschland Bäckerei 1950er Jahre
लंबी परंपरातस्वीर: picture-alliance/dpa

हाल में जर्मन ब्रेड को हाई प्रोफाइल एंडोर्समेंट भी मिला. अमेरिकी राष्ट्रपति के बर्लन दौरे से पहले बर्लिन में अमेरिकी राजदूत फिलिप मर्फी की पत्नी टैमी ने पत्रकारों से कहा कि वे फर्स्ट लेडी मिशेल को जो सुझाव देंगी उनमें जर्मन ब्रेड भी होगा. उन्होंने कहा, "यह किसी से कम नहीं", तो अमेरिकी रॉक बैंड 30 सेकंड्स टब मार्स के जैरेड लेटो ने अपने कंसर्ट में कहा, "आई लव जर्मन ब्रेड". पेटर बेकर का कहना है कि ब्रेड की बहुलता की वजह जर्मनी का मौसम है, जहां हर तरह की फसल होती है.

लेकिन जर्मनी बेकरी के विकास में इतिहास और भूगोल की भी भूमिका रही है. स्थानीय ब्रेड जर्मनी के छोटे छोटे रजवाड़ों के लिए अपनी पहचान बनाने का जरिया रहे हैं. बेकर कहते हैं, "जर्मनी समुद्र के रास्ते पर है. यहां से बहुत से देशों के लोग गुजरे हैं, मसलन फ्रांसीसी. नेपोलियन ने हैम्बर्ग में लंगर डाला था और वहां फ्रांसब्रोएचेन है जो निश्चित तौर पर फ्रेंच अतीत के साथ जुड़ा होगा." उनका मानना है कि इन सबने जर्मनी की परंपरा पर अपनी छाप छोड़ी है.

बेकरी को सिर्फ सुपर बाजारों और पेट्रोल पंपों से ही खतरा नहीं है, बल्कि उसे नए एप्रेंटिस पाने में भी मुश्किल हो रही है. घटती और बूढ़ी होती आबादी के बीच 2007 से बेकरी में पेशा सीखने वालों की तादाद 30 फीसदी गिरी है. सुबह जल्दी काम शुरू होने की वजह से भी बहुत से युवा इससे किनारा कर रहे हैं. अब नया खून पाने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. प्लेंत्स अपने 24 वर्षीय ट्रेनी गुइलम शांशो को दिखाते हुए कहते हैं, "हमने एक दूसरे को फेसबुक पर पाया. वह बेकर बनना चाहता था और हम एप्रेंटिस खोज रहे थे."

Bäckereisterben in Deutschland
बंद हुई डिर्क राउख की सौ साल पुरानी बेकरीतस्वीर: picture-alliance/dpa

एक बेटे और चार बेटियों के पिता प्लेंत्स ने अब तक तय नहीं किया है कि अगली पीढ़ी में वे बेकरी किसे सौंपेंगे. बर्लिन से 35 किलोमीटर दूर ओरानिएनबुर्ग के इलाके में उनकी बेकरी की पांच शाखाएं हैं और उनमें 100 लोग काम करते हैं. जब वे छोटे थे तो अपने पिता की मदद किया करते थे और स्कूल पास करने के बाद ईसाई होने के कारण कम्युनिस्ट शासन के दौरान उन्हें आगे पढ़ने का मौका नहीं मिला तो उन्होंने बेकरी में ही काम करना शुरू कर दिया. लेकिन अब 47 वर्षीय प्लेंत्स को इसका कोई अफसोस नहीं है. अपने काम के बारे में बताते हुए वे अपने जुनून और सृजन की बात करते हैं.

प्लेंत्स के लिए यूनेस्को धरोहर बनने का मतलब है उनके पेशे पर मान्यता की मुहर और लड़की की आग की भट्टी में ब्रेड बनाने के सदियों पुराने तरीके को मान्यता. लेकिन उन्हें आधुनिक तरीकों को अपनाने से भी परहेज नहीं, शर्त यह है कि क्वालिटी बनी रहे. उन्होंने मशीन से भी पोटैटो ब्रेड बनाने की कोशिश की, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें पुराने हुनर पर भरोसा है और क्वालिटी में निश्चित तौर पर अंतर है. "इसलिए हम उसी तरह से ब्रेड बनाते हैं जैसे मेरे दादा बनाया करते थे."

एमजे/एनआर (एएफपी)

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