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यूनुस का आखिरी हथियार भी नाकाम

५ अप्रैल २०११

बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने ग्रामीण बैंक के मुखिया के पद से हटाए जाने के खिलाफ नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की याचिका ठुकरा दी है. इस प्रकार उनका आखिरी कानूनी हथियार भी काम नहीं आया.

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यूनुस की याचिका खारिजतस्वीर: picture alliance/dpa

सुप्रीम कोर्ट की अपील डिविजन की फुल बेंच में बांग्लादेश की सरकार और मोहम्मद यूनुस के बीच इस अदालती लड़ाई के आखिरी चरण के बारे में फैसला लिया गया. इससे पहले 8 मार्च को हाई कोर्ट ने उनके इस दावे को ठुकरा दिया था कि देश के सेंट्रल बैंक द्वारा उनकी बर्खास्तगी एक मनमाना और गैरकानूनी फैसला है. फैसले में कहा गया था कि 70 वर्षीय यूनुस ग्रामीण बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर की हैसियत से काम नहीं कर सकते हैं, क्योंकि बोर्ड ने बैंक के लिए रिटायरमेंट की निर्धारित उम्र 60 साल के बाद फिर से उनकी नियुक्ति के मामले में बांग्लादेश बैंक की अनुमति नहीं ली थी. यूनुस का कहना था कि ग्रामीण बैंक का एक विशेष दर्जा है और रिटायरमेंट का यह नियम उस पर लागू नहीं होता.

यूनुस को हटाए जाने के फैसले की देश और विदेश में भारी आलोचना हुई है. खासकर अमेरिका की ओर से इसकी काफी आलोचना की गई है. यूनुस के समर्थकों का आरोप है कि राजनीतिक बदला लेने की भावना से उनके खिलाफ यह कदम उठाया गया है. एक समझौता सूत्र के तहत मोहम्मद यूनुस ने संकेत दिया था कि वह ग्रामीण बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के प्रधान का पद स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. लेकिन बांग्लादेश सरकार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

ग्रामीण बैंक के 20 हजार कर्मचारी और 83.5 लाख ग्राहक हैं. जनवरी 2011 में माइक्रोक्रेडिट के रूप में बैंक की ओर से 60,400 करोड़ बांगलादेशी टाका दिए गए.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: ए कुमार

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