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शिक्षा

यूट्यूब पर हिट है ये इंजीनियरिंग क्लास

महेश झा
२२ मार्च २०१८

कहीं शिक्षक और प्रशासक इस बात के लिए परेशान हैं कि छात्र उनकी क्लास में हाजिरी बजाएं तो पश्चिम के प्रोफेसर छात्रों को सीखने का माहौल देने के लिए किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/U. Deck

कोलोन में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर मार्टिन बोने ऐसे ही प्रोफेसर हैं. लेक्चर देकर क्लास से चले जाने और छात्रों को अपनी किस्मत पर छोड़ देना उनकी फितरत नहीं. जब उन्होंने देखा कि उनकी क्लास भरी रहती है तो उन्होंने अपना लेक्चर यूट्यूब पर डालना शुरू किया. जब से वे ऐसा कर रहे हैं, उनके सब्जेक्ट में परीक्षा पास करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गई है.

मार्टिन बोने को पढ़ाते हुए देखिए तो पता चलेगा कि वे क्यों लोकप्रिय हैं. उनके लेक्चर को इस बीच 37 लाख मिनट देखा गया है. यानि सात साल से ज्यादा. प्रोफेसर बोनेट के छात्रों और दूसरे छात्रों ने उनके लेक्चरों को इतने समय तक देखा है. वह भी मैटेरियल इंजीनियरिंग जैसे सूखे विषय पर. इससे उनके लेक्चर की लोकप्रियता और उसकी जरूरत का अंदाजा लगता है.

प्रोफेसर बोने का मानना है कि वीडियो के लेक्चर क्लास में आने से ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहे हैं क्योंकि छात्र कुछ नहीं समझने पर उसे दोबारा सुन सकते हैं, या फिर वीडियो को रोककर किसी किताब की मदद ले सकते हैं. क्लास में ऐसा संभव नहीं है. क्लास का लेक्चर वनवे की तरह होता है. समझे तो ठीक, नहीं समझे तो तुम्हारी किस्मत.

कोलोन के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने वाले मार्टिन बोने के दिमाग में लेक्चर का वीडियो बनाने का आयडिया पांच साल पहले आया. एक तो क्लास में छात्रों की भीड़ और दूसरे उन्होंने सोचा कि उनका लेक्चर सुनने के लिए छात्रों को घंटों पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बैठकर कॉलेज आना पड़ता है. उनका समय और पैसा बर्बाद होता है, क्यों न उन्हें घर पर ही लेक्चर उपलब्ध करा दिया जाए.

उन्होंने यूनिवर्सिटी के शिक्षा विभाग से सलाह ली, और फ्लिप्ड क्लासरूम के कंसेप्ट के साथ वापस लौटे. इसका मतलब है कि छात्र घर पर वीडियो की मदद से लेक्चर सुनते हैं और कॉलेज में उस ज्ञान का इस्तेमाल करते हैं. नया सीखने का नायाब तरीका. कॉलेज में ज्ञान को बढ़ाने का पर्याप्त अवसर.

Deutschland Studentin im Hörsaal einer Universität
यूनिवर्सिटी का लेक्चर हॉलतस्वीर: Fotolia/Eisenhans

वीडियो की मदद से पढ़ाने का फायदा ये है कि छात्र पूरी तैयारी के साथ क्लास में आते हैं और प्रोफेसर के साथ विषय पर बहस कर सकते हैं, सवाल पूछ सकते हैं, अपनी जानकारी दूसरों के साथ बांट सकते हैं, समस्याओं पर चर्चा कर सकते हैं. फ्लिप क्लासरूम से पहले मैटिरियल साइंस के इंट्रोडक्टरी कोर्स में आधे छात्र फेल हो जाते थे, अब सिर्फ 10 प्रतिशत फेल हो रहे हैं.

जर्मनी के शिक्षा संस्थानों में छात्रों की संख्या बढ़ रही है. क्लासरूम भरे भरे रहते हैं. ऐसे में वीडियो लेक्चर उससे निबटने का रास्ता दिखा रहे हैं. आखेन की तकनीकी यूनिवर्सिटी जैसी कुछ यूनिवर्सिटियां पहले भी ऑनलाइन लेक्चर की सुविधा दे रही थी, लेकिन वह सिर्फ उन लेक्चरों के लिए संभव था जिन्हें रिकॉर्ड किया जाता था. अब कई यूनिवर्सिटियों में वीडियो लेक्चर यानि फ्लिप्ड क्लासरूम के सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है.