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यूक्रेन स्थित यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र में आग लगी

३ मार्च २०२२

यूक्रेनी नेताओं ने कहा है कि जेपरजिया परमाणु बिजली संयंत्र में आग लग गई है. इस संयंत्र को रूसी सेना ने घेर लिया था और इस पर लगातार गोलीबारी की जा रही थी.

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जेपरजिया स्थित परमाणु बिजली घर
जेपरजिया स्थित परमाणु बिजली घरतस्वीर: Zaporizhzhia Nuclear Authority/AFP

यूक्रेन के जेपरजिया में स्थित यूरोप के सबसे बड़े परमाणु बिजली संयंत्र में आग लगने की खबर है. रूसी गोलबारी के बाद यह आग लगी है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा है कि संयंत्र के इर्दगिर्द विकिरण के स्तर में कोई बदलाव नहीं देखा गया है.

जेपरजिया में रात भर से गोलाबारी हो रही थी. यूक्रेन के ऊर्जा मंत्रालय ने बताया कि आग संयंत्र के उस हिस्से में लगी है, जहां ट्रेनिंग दी जाती है. यह खबर लिखे जाने तक अग्निशमनकर्मी आग पर काबू पाने में कामयाब नहीं हो पाए थे. 

युद्ध से पहले ऐसा था जेपरजिया परमाणु बिजली घर
युद्ध से पहले ऐसा था जेपरजिया परमाणु बिजली घरतस्वीर: Photoshot/picture alliance

संयंत्र के निदेशक ने यूक्रेन24 नामक टीवी चैनल को बताया कि परिसर विकिरणों से सुरक्षित है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस घटना के बाद कहा कि रूस की गोलाबारी की वजह से परमाणु खतरा पैदा हो गया था.

खेरसॉन पर कब्जा

रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के एक अहम बंदरगाह पर कब्जा कर लिया है और एक दूसरे बंदरगाह पर घेरा डाल दिया है. रूसी सैनिक यूक्रेन को समुद्री किनारों से काटना चाहते हैं. रूसी सैनिकों का कहना है कि उन्होंने यूक्रेन के खेरसॉन पर नियंत्रण कर लिया है. स्थानीय यूक्रेनी अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की है.

काले सागर के इस तटवर्ती शहर की सरकारी इमारतों पर अब रूसी सैनिकों का कब्जा है. हालांकि स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि वो अब भी काम कर रहे हैं और जितना संभव है, आम लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. एक हफ्ते पहले शुरू हुए हमले के बाद रूस के कब्जे में जाने वाला यह यूक्रेन का पहला शहर है. खेरसॉन के बाद ऐसा लग रहा है कि रूसी सैनिकों ने मिकोलेव का रास्ता पकड़ लिया है. काले सागर के किनारे मौजूद यह शहर यूक्रेन का एक अहम बंदरगाह और जहाज बनाने का केंद्र है.

रूसी सैनिकों ने कई मोर्चों पर अपना हमला तेज कर दिया है. हालांकि सैनिकों और टैंकों का एक बड़ा दस्ता राजधानी कीव के बाहर कई दिनों से अटका हुआ है. गुरुवार को एक और रणनीतिक रूप से अहम बंदरगाह वाले शहर मारियोपोल के बाहरी इलाकों में भारी बमबारी हुई. यह शहर पूरी तरह से अंधेरे, अकेलेपन और डर में घिर गया है. शहर की बिजली और फोन लाइन मोटे तौर पर चली गई है. घरों और दुकानों में खाने और पानी की कमी है. फोन नहीं चलने के कारण राहतकर्मियों को यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि घायलों को कहां ले कर जायें.

 यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में हालत और भी खराब है. यहां पिछले तीन दिन से भारी बमबारी हो रही है. पूरा शहर धूल और धुएं से अटा पड़ा है. गिरती छतों और बमों की चपेट में आने से बचने के लिए लोग भाग कर ट्रेन स्टेशन पहुंच रहे हैं और ट्रेनों में सवार हो रहे हैं. उन्हें यह भी नहीं पता कि जाना कहां है.

कीव से 25 किलोमीटर दूर सैनिक कारवां

गुरुवार सुबह युक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रूस की जमीनी सेना रुक गई है और रूस ने हवाई हमलों का मुंह खोल दिया है. उन्हें यूक्रेनी रक्षा तंत्र से जवाब दिया जा रहा है. राष्ट्रपति ने कहा, "कीव ने मिसाइल और बम के हमले की एक और रात झेली है हमारा एयर डिफेंस काम कर रहा है. खेरसॉन, इज्युम और उन सारे शहरों ने जिन पर हवाई हमला हुआ है, उन्होंने कुछ भी नहीं छोड़ा है." कीव में मौजूद पत्रकारों ने भी बुधवार की रात कई मिसाइलों के धमाकों की आवाजें सुनी. कई मिसाइलों को यूक्रेन के एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से बेकार भी किया गया.

किसी वॉर फिल्म जैसा दिखने लगा है यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर खारकीव

इस बीच रूसी सैनिकों का करीब 65 किलोमीटर लंबा काफिला जो मंगलवार की सुबह यूक्रेन की तरफ बढ़ा था वह अब भी कीव के बाहर 25 किलोमीटर की दूरी पर खड़ा है. यूक्रेनी सैनिकों ने कीव में घुसने के रास्तों पर सख्त मोर्चेबंदी कर रखी है. आम लोगों ने भी हथियार उठा लिए हैं और इसमें 60 साल से ज्यादा की उम्र वाले बुजुर्ग भी हैं.

500 रूसी सैनिकों की मौत

अब तक कम से कम 227 आम लोगों की मौत दर्ज हुई है और 525 लोग घायल हुए हैं. ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त के हैं. आयुक्त ने माना है कि यह संख्या असल के मुकाबले बहुत कम है. यूक्रेन ने पहले कहा था कि 2000 से ज्यादा आम लोगों की मौत हुई है.

रूस ने युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार गुरुवार को बताया है कि उसके करीब 500 सैनिकों की मौत हुई है और लगभग 1600 सैनिक घायल हैं. यूक्रेन ने अपने सैनिकों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं दिया है. यूक्रेन के मिलिट्री जनरल स्टाफ ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि 9000 रूसी सैनिक युद्ध में हताहत हुए हैं. इसमें यह भी साफ नहीं किया गया है कि इसमें घायल सैनिकों की संख्या भी शामिल है या नहीं.

यूक्रेन पर हमले के कारण रूस पर लगे प्रतिबंधों का जर्मनी को भी होगा तगड़ा नुकसान

सात दिन की लड़ाई में यूक्रेन के करीब 2 फीसदी से ज्यादा लोग देश के बाहर जाने के लिए मजबूर हुए हैं. पूरे युक्रेन में ट्रेन स्टेशनों पर भारी भीड़ आ रही है. लोगों के हाथ में कंबल में लिपटे बच्चे हैं और वो पहिए वाली सूटकेस धकेलते हुए वहां पहुंचने की कोशिश में हैं जहां पहुंच कर वो शरणार्थी बन जाएंगे. तकरीबन 10 लाख से ज्यादा लोग जो यूक्रेन से हाल के दिनों में बाहर गए हैं उनमें कम से कम 200 अनाथ बच्चे भी हैं जो हंगरी पहुंचे हैं. उनकी मानसिक और शारीरिक स्थित ठीक नहीं है. इनमें से कई बच्चों ने बमबारी के दौरान घंटों तक जमीन के नीचे बने शेल्टरों में छिप कर जान बचाई है.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने 4.4 करोड़ की आबादी वाले यूक्रेन में इस युद्ध के कारण 40 लाख लोगों के शरणार्थी बनने की आशंका जताई है. यूरोपीय संघ ने इन लोगों को अस्थायी रेजिडेंट परमिट देन की बात कही है. इसके आधार पर इन्हें 27 देशों में पढ़ाई या काम करने का अधिकार मिल जायेगा. इस प्रस्ताव को अभी सदस्य देशों की मंजूरी मिलनी बाकी है, हालांकि सदस्य मोटे तौर पर इस मामले में सहमति जता चुके हैं.

दूसरे दौर की बातचीत

यूक्रेन के अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल रूस के साथ युद्धविराम पर बातचीत शुरू हो गई है. यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मिखाइलो पोडल्याक इसका नेतृत्व कर रहे है. इससे पहले पोडोल्याक ने ट्वीटर पर जानकारी दी कि वो बातचीत में शामिल होने के लिए दूसरे सदस्यों के साथ हैलीकॉप्टर में बैठ चुके है. उनके साथ प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसद डेविड अराखामिया ने कहा है कि वो रूस के साथ मानवीय गलियारे पर बातचीत करना चाहते हैं. बातचीत शुरू होने से पहले रूसी विदेश मंत्री ने कहा है कि रूसी सैनिक यूक्रेन के सैनिक ठिकानों को ध्वस्त करने की कार्रवाई में जुटे रहेंगे. उनका यह भी कहना है कि यूक्रेन पर शासन कौन करेगा यह यूक्रेन के लोग तय करेंगे.

रूस ने प्राकृतिक गैस को बनाया हथियार

रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की कर रहे हैं. उनका कहना है कि बातचीत के प्रस्तावों में सैन्य तकनीकी, मानवीय, अंतरराष्ट्रीय और राजनीतिक मसले शामिल हैं. बेलारूस और रूस के मुताबिक यह बातचीत बेलारूस के ब्रेस्ट इलाके में होगी जिसकी सीमा पोलैंड से लगती है.

रूस में आखिरी बचे उदारवादी रेडियो स्टेशन एखो मोस्कवी बंद हो गया है. रेडियो के संपादक का कहना है कि यूक्रेन में जंग की कवरेज को लेकर उस पर बहुत दबाव आ गया था जिसके बाद कंपनी बोर्ड को भंग करने का फैसला किया गया है. यह स्टेशन रूस में समाचार और सम सामयिक विषयों के प्रसारण का प्रमुख केंद्र था. मंगलवार को इसका प्रसारण बंद होने के बाद भी यह यूट्यूब पर चल रहा था. रूस की स्वतंत्र मीडिया पर कई सालों से सरकार दबाव बनाती आ रही है. बहुत से चैनल और प्रसारण केंद्र पहले ही बंद हो चुकी हैं.

रूसी लोगों पर युद्ध का असर

रूस पर लगे पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण वहां काम करने वाली बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने अपना काम समेटना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही रूस के बेहद अमीर लोगों पर भी होगा. इन लोगों की संपत्तियां यूरोपीय देशों में हैं और ये अपने बच्चों को यूरोप के महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने भेजते हैं. फ्रेंच अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने इगोर सेचिन के एक यॉट को जब्त कर लिया है. इगोर सेचिन व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी और रूस की प्रमुख तेल कंपनी रोजनेफ्ट के मालिक हैं.

'पापा को कीव में ही छोड़ आए हैं'

इस बीच रूस के एक और रईस रोमान अब्रामोविच ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि वो फुटबॉल क्लब प्रीमियर लीग चेल्सी को बेचने की कोशिश में हैं. यह सौदा कम से कम 2.5 अरब डॉलर का होगा. अब्रामोविच ने क्लब की बिक्री से मिलने वाले पैसे को यूक्रेन के युद्ध पीड़ितों की मदद के लिए देने का एलान किया है.

रूस के आमलोगों पर भी प्रतिबंधों का असर दिख रहा है. ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम काम नहीं कर रहा है और एटीएम मशीनों से भी पर्याप्त नगदी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में लोगों को खरीदारी करने में दिक्कत हो रही है. आने वाले दिनों में यह परेशानी और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है. रूबल की कीमत घट गई है और चीजों की महंगाई काफी ज्यादा बढ़ गई है.

एनआर/एडी(रॉयटर्स, एपी, एएफपी)