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यूक्रेन से सीजफायर लेकिन घरेलू मोर्चे पर संघर्ष झेलता रूस

२७ जुलाई २०२०

छह सालों से पूर्वी यूक्रेन में जारी संघर्ष पर रोक लगाते हुए रूस और यूक्रेन ने युद्धविराम लागू कर दिया है. लेकिन रूस के उत्तर में पुतिन प्रशासन के खिलाफ तीन हफ्ते से जारी विरोध प्रदर्शन थम नहीं रहे हैं.

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Ukraine, Luhansk I Soldaten an der Front zu Novotoshkivske
लुहांस के पोस्ट पर तैनात यूक्रेनी सेना का जवान. तस्वीर: Reuters/Ukrainian Defence Ministry/I. Rybakova

यूक्रेन के पूर्व में स्थित डोनेस्क और लुहांस इलाकों में रूस-समर्थित अलगाववादी यूक्रेनी सेना के साथ लड़ती आई है. इसके पहले भी सीजफायर के दो दर्जन से अधिक प्रयास विफल हो चुके हैं. इस स्थाई युद्धविराम की घोषणा से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. दोनों कार्यालयों से मिली आधिकारिक जानकारी में बताया गया है कि दोनों ही नेताओं ने शांति की ओर बढ़ने के एक दूसरे के प्रयासों की तारीफ की और पुतिन ने जेलेंस्की से मौजूदा शांति समझौते का सही तौर पर पालन करने की अपील की.

हाल ही में पुतिन ने ऐसी खबरों पर चिंता जताई थी जिसमें मिंस्क शांति समझौते के कुछ हिस्सों पर फिर से बातचीत करने और इसी साल के अंत कर यूक्रेन में स्थानीय चुनाव कराए जाने की चर्चा थी. पुतिन ने कहा था कि यह दोनों कदम समझौते का उल्लंघन करने वाले होंगे. 9 दिसंबर, 2019 को पेरिस में हुए आखिरी यूक्रेन सम्मेलन में बहुत लंबे दौर के प्रयासों के बाद जाकर मिंस्क शांति समझौते पर सहमति बनी थी. इसके बावजूद, यूक्रेन अक्टूबर में डोनेस्क और लुहांस इलाकों को छोड़कर पूरे देश में स्थानीय चुनाव कराने की योजना बना रहा है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Ukrainian Presidential Press Office


संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अब तक इस संघर्षरत इलाके में करीब 13,000 लोगों की जान जा चुकी है. रूस हमेशा से इसमें सीधे तौर पर अपना हाथ होने से इनकार करता आया है. फिर भी अब दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति को आने वाले यूक्रेन संकट सम्मेलन के लिए एक जरूरी शर्त माना जा रहा था. 
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों भी कह चुके हैं कि वे पुतिन और जेलेंस्की को इस पर साथ लाना चाहते हैं.

रूस के अपने पूर्वी हिस्से में हालात चिंताजनक

करीब तीन हफ्ते से यहां पुतिन-विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. एक लोकप्रिय गवर्नर की गिरफ्तारी के बाद से यह विरोध शुरु हुआ. इन पर सरकारी रोक के बावजूद रविवार को हजारों की तादाद में लोग सुदूर पूर्वी शहर खाबारोव्स्क में सड़कों पर उतरे. उनकी मांग है कि गिरफ्तार गवर्नर को रिहा किया जाए, जिसे पुतिन सरकार ने राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया है.

गिरफ्तार गवर्नर सर्गेई फुरगाल पर लोगों की हत्या करवाने का आरोप लगाकर इसी महीने हिरासत में ले लिया गया था. क्रेमलिन का कहना है कि इसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं जबकि गवर्नर के समर्थकों का मानना है कि उन्हें सिर्फ इसलिए फंसाया जा रहा है क्योंकि वे पितिन के राजनीतिक आलोचक हैं. 2018 में हुए चुनाव में फुरगाल एक पुतिन-समर्थक उम्मीदवार को हरा कर गवर्नर बने थे. अब प्रदर्शनकारी उन्हें रिहा करने की मांग से आगे बढ़कर पुतिन के इस्तीफे की मांग करने लगे हैं. पिछले 20 सालों से रूस पर राज कर रहे पुतिन के सामने ऐसी स्थिति कम बार ही बनी है. 

क्रेमलिन और रूस का सरकारी मीडिया अब तक इन विरोध प्रदर्शनों को जानबूझ कर नजरअंदाज कर रहा है. फिर भी इन विरोध प्रदर्शनों की आग रूस के दूसरे हिस्सों में फैल रही है. राजधानी मॉस्को में खाबारोव्स्क के प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए करीब बीस लोगों ने गिरफ्तारी दी है.

आरपी/आईबी (डीपीए)

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