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यूएई के खिलाफ कतर ने दर्ज की शिकायत

१२ जून २०१८

पिछले एक साल से प्रतिबंधों की आंच झेल रहे कतर ने अब अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत का दरवाजा खटखटाया है. कतर का कहना है कि यूएई उसके नागरिकों के साथ भेदभाव की नीति अपना रहा है.

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Den Haag Friedenspalast Internationaler Gerichtshof
तस्वीर: picture-alliance/Daniel Kalker

खाड़ी में बसा छोटा सा देश कतर पिछले एक साल से प्रतिबंधों की आंच झेल रहा है. लेकिन अब कतर ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पर मानवाधिकारों के हनन के आरोप लगाया है. कतर इस मामले में संयुक्त अरब अमीरात को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ले गया है. आंतकवाद को प्रोत्साहन देने का आरोप लगाते हुए जून 2017 में संयुक्त अरब अमीरात समेत सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र ने कतर के खिलाफ प्रतिबंध लगाने साथ ही बॉयकॉट की घोषणा की थी. इसके बाद इन देशों ने कतर के साथ सभी तरह के राजनयिक संबंधों और परिवहन समझौते तोड़ लिए थे. 

कतर आंतकवाद संबंधी सभी आरोपों को बेबुनियाद बताता रहा है. कतर का कहना है कि इन देशों का मकसद उसकी स्वायत्ता को छीनना है. आईसीजे में दायर अपनी याचिका में कतर ने कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात उसके खिलाफ ऐसे प्रतिबंधों की अगुवाई कर रहा है. कतर सरकार ने जारी बयान में कहा, "इन प्रतिबंधों के चलते कतर के नागरिकों और यहां रहने वाले लोगों के मानवाधिकार प्रभावित हो रहे हैं." लेकिन यूएई ऐसा नहीं मानता. यूएई के विदेश मंत्री अनवर गर्गश ने अपने ट्वीट में कतर के ऐसे आरोपों को खारिज किया है. साथ ही इसे कतर का एक झूठ बताया है.

कतर सरकार के मुताबिक यूएई उसके नागरिकों के साथ भेदभाव की नीति अपना रहा है. कतर के लोगों पर यूएई जाना प्रतिबंधित है, साथ ही वह यूएई से गुजर भी नहीं सकते. यूएई ने अपने नागरिकों को कतर छोड़ने के आदेश भी दे दिए हैं, साथ ही कतर के लिए एयरस्पेस और समुद्री बंदरगाह बंद कर दिए हैं. 

Karte Countries that severed ties with Qatar ENG

कतर का तर्क है कि यूएई का ये कदम, "इंटरनेशनल कनवेंशन ऑन द ऐलिमिनेशन ऑफ ऑल फॉर्म्स ऑफ रेसियल डिस्क्रीमेशन" (CERD) का हनन है. इस कनवेंशन के अंतर्गत किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता है. यूएई और कतर दोनों ही देशों ने इस कनवेंशन पर दस्तखत किए हैं. लेकिन सऊदी अरब, बहरीन और मिस्र इस कनवेंशन में शामिल नहीं है.

एक साल में खाड़ी देशों ने कतर का क्या बिगाड़ा

अपनी शिकायत में कतर ने यहा भी कहा कि यूएई उसके नागिरकों से अभिव्यक्ति का अधिकार छीन रहा है. इसी के तहत मीडिया कंपनी अल-जजीरा का स्थानीय दफ्तर भी यूएई ने बंद कर दिया है. कतर ने आईसीजे से अपील की है कि वह यूएई को सीईआरडी के नियम-कानूनों को मानने का आदेश दे. इसके अलावा कतर ने यूएई से हर्जाने के रूप में मुआवजे की भी मांग की है. लेकिन इसमें कितनी राशि शामिल है उसका कोई विवरण अब तक सामने नहीं आया है.

एए/ओएसजे (रॉयटर्स)