यूं लगाया अमेरिका ने ट्रैवल बैन
अमेरिका में आप्रवासियों और कुछ खास देश के लोगों के आने पर प्रतिबंध रहेगा. जानिए इस बैन के लिए क्या क्या पैंतरे अपनाए डॉनल्ड ट्रंप ने.
पूरा किया वादा
चुनाव प्रचार के दौरान डॉनल्ड ट्रंप ने कई वायदे किए थे जो नस्लवाद को बढ़ावा देते दिखते थे. राष्ट्रपति पद संभालने के बाद उन्होंने एक एक कर अपने वायदों को पूरा करना शुरू किया. ट्रंप ने सबसे पहले जो काम किए, ट्रैवल बैन उन्हीं में से एक है. 27 जनवरी 2017 को उन्होंने कार्यकारी आदेश 13769 पर दस्तखत किए.
मुस्लिम बैन
इस ट्रैवल बैन के अनुसार इराक, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन से आने वाले वाले लोगों पर 90 दिन के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके अलावा सीरिया से आने वाले शरणार्थियों पर पूरी तरह रोक लगी और दुनिया भर में कहीं से भी आने वाले शरणार्थियों को 120 दिन के लिए रोक दिया गया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे "मुस्लिम बैन" के रूप में देखा गया.
कड़ा विरोध
हजारों लोग ट्रंप के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे. न्यूयॉर्क के जेएफके एयरपोर्ट और लॉस एंजेलेस के एलएएक्स हवाई अड्डे पर भी खूब प्रदर्शन देखे गए. कई अमेरिकी नेताओं समेत नोबेल पुरस्कार विजेता, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी, कैथोलिक चर्च के पादरियों और यहूदी संस्थाओं ने भी ट्रंप के फैसले की आलोचना की. सबने माना कि यह मुसलमानों के साथ भेदभाव है.
दर्जनों मुकदमे
ट्रंप के आदेश के खिलाफ अमेरिका की अदालतों में करीब 50 मुकदमे दायर किए गए. पहले न्यूयॉर्क के एक जज ने फैसले पर अस्थाई रूप से रोक लगाई और फिर 9 फरवरी 2017 को वॉशिंगटन राज्य के जज ने भी देश भर में इस आदेश के पालन पर अस्थाई रोक लगा दी. सरकार ने इसके खिलाफ अपील की लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया.
नया आदेश
अदालती मुकदमों को देखते हुए ट्रंप प्रशासन ने आदेश में कुछ फेरबदल किए. इस बार कानून को ध्यान में रखा गया. अमेरिका में रहने वाले विदेशियों को अपने परिवारों से मिलने के लिए देश से बाहर जाने और वहां से लौटने की अनुमति मिली. इसके अलावा जिन लोगों को पहले से अमेरिका आने के लिए वीजा मिल चुका था, उसे भी रद्द नहीं किया गया.
कानूनी दांवपेच
अलग अलग अदालतों में मुकदमे चलते रहे. 15 मार्च 2017 को हवाई के एक जज ने नए आदेश पर अस्थाई रोक लगाई. वहीं मैरीलैंड में भी ऐसा ही हुआ. जून की शुरुआत में सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की और 26 जून 2017 को अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक रूप से खत्म करने का फैसला सुनाया. पूरे मामले पर आगे भी पेशियां होती रही.
फिर हुए बदलाव
सितंबर 2017 में ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर बदलाव किए. इस बार इराक और सूडान को प्रतिबंधित देशों की सूची से अलग किया गया और वेनेजुएला और उत्तर कोरिया जैसे गैर मुस्लिम देशों को इसमें जोड़ा गया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ट्रंप का सोचा समझा कदम माना गया ताकि प्रतिबंध को "मुस्लिम बैन" के रूप में ना देखा जाए.
अंतिम फैसला
26 जून 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने बैन को कायम रखने के पक्ष में फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बात के पुख्ता सबूत दिए हैं कि बैन राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लागू किया गया है. दुनिया भर में अमेरिकी अदालत के इस फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है.
जहरीला सांप
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की आप्रवासियों के बारे में क्या सोच है, इस पर कभी कोई संदेह नहीं रहा. वे खुल कर आप्रवासन के खिलाफ बोलते रहे हैं. एक समारोह में उन्होंने जहरीले सांप के बारे में कविता सुनाई और साफ तौर पर आप्रवासन से उसकी तुलना की. हालांकि यह भी सच है कि ट्रंप के दादा किसी जमाने में आप्रवासी बन कर ही जर्मनी से अमेरिका आए थे.