1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

म्यामांर में लोकतंत्र का सूर्योदय

३१ मार्च २०१२

सैन्य शासन की लंबी रात से जाग कर म्यामार लोकतंत्र का गवाह बन रहा है. रविवार को 45 सीटों की लिए मतदान होना है. पहली बार चुनाव मैदान में नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची भी हैं.

https://p.dw.com/p/14Voc
तस्वीर: dapd

इन चुनावों को लोकतंत्र की पहली परीक्षा कहा जा रहा है. शनिवार देर रात तक मतदान से संबंधित तैयारियां जारी रहीं. 45 सीटों के लिए बनाए गए सैकड़ों पोलिंग स्टेशनों पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. साथ ही अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को किसी भी पोलिंग स्टेशन पर जाकर मतदान की निगरानी करने की छूट है. 17 पार्टियों के 160 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.

मतदान सुबह छह बजे से लेकर शाम चार बजे तक होगा. अनुमान है कि 68 लाख मतदाता बढ़ चढ़कर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. तीन सदनों वाली म्यांमार की संसद में 1,160 प्रतिनिधि होते हैं. चुनाव के चलते देश में उत्सव का माहौल है. यंगून में कई जगहों पर बड़ी बड़ी स्क्रीनें लगाई गई हैं. इन पर चुनाव के ताजा नतीजे देखे जा सकेंगे.

नजरें सू ची पर

म्यांमार और दुनिया भर की नजरें पिछड़े इलाके कावह्मू पर लगी है. पूर्व राजधानी यंगून से दो घंटे की दूरी पर बसे कावह्मू से विपक्षी नेता और 66 साल की आंग सान सू ची चुनाव मैदान में हैं. नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की सू ची छह गाड़ियों के साथ अपना प्रचार करती रहीं. उनकी पार्टी 44 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. म्यांमार में सट्टा लगाना गैरकानूनी है लेकिन सटोरिये अनुमान लगा रहे हैं कि सू ची करीब 32 सीटें जीतेंगी.

सू ची की पार्टी अगर सभी सीटें भी जीते तो भी संख्या के हिसाब से वह संसद में कुछ नहीं कर सकती है. लेकिन सू ची का संसद में पहुंचना ही अपने आप में लोकतंत्र की विजय का संदेश होगा.

साल भर पहले म्यांमार में सू ची का नाम लेना खुद को मुश्किल में डालने के लिए काफी था, लेकिन इन दिनों उनकी तस्वीरों वाली टी-शर्ट्स जगह जगह दिखाई पड़ रही हैं. लाल रंग की टी शर्ट में सू ची की तस्वीर है और लिखा गया है, 'हमारी जीत जरूरी है.'

Symbolbild Investitionen Chinas in Birma
तस्वीर: AP

म्यांमार में बदलाव

1990 और 2010 में हुए चुनावों के दौरान सू ची को म्यांमार की सैन्य सरकार ने घर में नजरबंद रखा. 1990 में एनएलडी की जीत हुई लेकिन सैन्य सरकार ने पार्टी को सत्ता में आने से रोक दिया और सूची को नजरबंद कर दिया. 2010 में धांधली का आरोप लगाते हुए सू ची की पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार किया.

लेकिन अगस्त 2011 में म्यांमार के नए राष्ट्रपति थिन सेन ने सू ची से बातचीत शुरू की और उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में आने का न्योता दिया. साथ ही म्यांमार सरकार ने लोकतंत्र की राह में आगे बढ़ते हुए कई अन्य कदम भी उठाए. भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ के कई देशों ने म्यांमार में शुरू हुए सुधारों की प्रशंसा की है. इस बात की तसदीक खुद म्यांमार जाकर सू ची से गले मिलने वाली अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी कर चुकी हैं.

रिपोर्ट: एएफपी, एपी, रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी