म्यांमार में हिंसा
एक हफ्ते से म्यांमार दंगों की चपेट में है. जलते मस्जिद, टूटे फूटे घर और भागते हुए लोग. म्यांमार में मुसलमान और बौद्ध धर्म के लोग एक दूसरे से भिड़ रहे हैं.
सैकड़ों की मौत
एक हफ्ते से म्यांमार के मुसलमानों और बौद्ध धर्म मानने वालों के बीच दंगे चल रहे हैं. कम से कम 40 की मौत हो गई है और 12,000 लोग खतरे से बचने की कोशिश में अपने घरों से भाग गए हैं. सैन्य शासन के दौरान इस तरह के तनावों को दबाने की कोशिश की गई थी.
सेना का नियंत्रण
दंगे मेइकतिला शहर में शुरू हुए. दंगों के दौरान शहर के कई इलाकों और मस्जिदों को जला दिया गया. सरकार के इमर्जेंसी घोषित करने के बाद सेना वहां पहुंच गई है.
फैलती आग
बागो राज्य रंगून से 150 किलोमीटर की दूरी पर है. वहां भी दंगे बढ़ रहे हैं. चश्मदीदों का कहना है कि मोटरसाइकिल पर कुछ लोगों ने आकर वहां के मस्जिद को खत्म कर दिया. एक घंटे बाद वह चले गए.
शांति की अपील
सरकार ने टीवी पर धार्मिक चरमपंथ पर रोक लगाने की मांग की. सरकारी अखबार न्यू लाइट ऑफ म्यांमार में मुस्लिम, बौद्ध, हिंदू और ईसाई नेताओं की अपील को प्रकाशित किया गया. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे आपस में शांति और सद्भावना से रहें.
लोकतंत्र का काला चेहरा
म्यांमार के लोकतंत्र बनने के बाद यह पहले दंगे नहीं हैं. पिछले साल बौद्ध धर्म और रोहिंग्या मुसलमानों के बीच दंगों में 180 लोग मारे गए और एक लाख से ज्यादा लोगों को देश छोड़कर भागना पड़ा. विश्लेषकों का कहना है कि यह दंगें लोकतंत्र के बढ़ने के साथ साथ बढ़ेंगे.
संघर्ष की संभावना
म्यांमार में कई समुदाय हैं. मुसलमानों में से सात लाख 50 हजार लोग रोहिंग्या जाति के हैं. लेकिन औपचारिक तौर पर उन्हें अल्पसंख्यक नहीं माना गया है. उनका उत्पीड़न कई दशकों से होता आ रहा है.