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समाज

मोबाइल में कौन सी इमोजी रहेगी ये तय करने वाली महिला कौन

अविनाश द्विवेदी
४ जून २०२१

फिलहाल जेनिफर डेनियल कोरोना के बाद की दुनिया इमोजी के जरिए दिखाने के मिशन पर हैं. वे कहती हैं, 'ऐसी इमोजी का पहले से मौजूद कोई नमूना नहीं है. यह न सिर्फ मेरे लिए बल्कि इंसानी संवाद के भविष्य के लिए भी उत्साह भरा काम है.

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Emoji Emojis
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Alexander

हम अब केवल बोलकर बातें नहीं करते, रोजाना काफी बातें मैसेज या चैट में लिखकर भी होती हैं. और ऐसी बातचीत में भावनाओं को खुलकर जाहिर करने के लिए इमोजी सबसे बड़ा सहारा होती है. इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर भी हम अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए जमकर इमोजी का इस्तेमाल करते हैं. कहा जाता है कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर प्रभावशाली होती है, वैसे ही एक इमोजी उस बात को आसानी से जाहिर कर देती है, जिसके लिए हमें सैकड़ों अक्षर टाइप करने पड़ते.
अगर आप भी इमोजी के शौकीन हैं तो आपने यकीनन ध्यान दिया होगा कि पिछले कुछ सालों में कई नई इमोजी हमारे चैटिंग की-बोर्ड में शामिल की गई हैं. इनका मकसद हमारी डिजिटल बातचीत में लैंगिक, उम्र से जुड़े और नस्लीय भेदभाव को मिटाना है. वैसे अगर आप ध्यान न दे सके हो तो अभी अपना चैटिंग की-बोर्ड खोलिए और इमोजी के 'स्माइली एंड पीपल' सेक्शन में सांता क्लॉज को खोजिए.

महिला-पुरुष और बिना जेंडर वाले सैंटा को बनाने वाली कौन?

आपको इमोजी में तीन तरह के सैंटा मिलेंगे. एक मर्द (मिस्टर क्लॉज), एक महिला (मिसेज क्लॉज) और एक ऐसा सैंटा जिसे स्पष्ट तौर पर महिला या पुरुष दोनों नहीं समझा जा सकता यानि मक्स क्लॉज (अपनी लैंगिक पहचान व्यक्त न करने वाले व्यक्ति के लिए संबोधन). इन अलग-अलग जेंडर वाले सैंटा की त्वचा के रंग को भी आप अपने मनमुताबिक बना सकते हैं. यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि सभी जेंडर और नस्ल वाले लोगों को चैटिंग की-बोर्ड में जगह दी जा सके.

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तस्वीर: DW/R. Shirmohammadi

अब सवाल यह उठता है कि दुनिया में जितनी तरह के लोग हैं, सबकी चैटिंग की-बोर्ड में जगह बन सके इसके लिए अपना दिमाग कौन खर्च करता है. तो उस महिला का नाम है जेनिफर डेनियल. वर्तमान में जेनिफर 'इमोजी सबकमेटी फॉर द यूनिकोड कंसोर्टियम' की प्रमुख हैं. यही संस्था हमारे चैट बॉक्स की इमोजी डिजाइन करने के लिए जिम्मेदार है. जेनिफर समानता को बढ़ाने वाली और विचारोत्तेजक इमोजी की पक्की समर्थक हैं. मिस्टर क्लॉज, मिसेज क्लॉज और मक्स क्लॉज वाली इमोजी के पीछे उन्हीं का दिमाग है.

अब कोरोना के बाद की दुनिया के लिए इमोजी बना रहीं जेनिफर

फिलहाल जेनिफर कोरोना महामारी के बाद की दुनिया को एक इमोजी के जरिए दिखाने के मिशन पर हैं. इसके लिए वे न सिर्फ साधारण लोगों से सुझाव ले रही हैं बल्कि अपने काम में आम लोगों की सलाह भी ले रही हैं. वे पूछ रही हैं कि वे जो डिजाइन बना रही हैं, वे महामारी के बाद के माहौल को दिखाने में सक्षम हैं या नहीं. जेनिफर कहती हैं, 'ऐसी इमोजी का पहले से मौजूद कोई नमूना नहीं है. यह न सिर्फ मेरे लिए बल्कि इंसानी बातचीत के भविष्य के लिए भी उत्साहभरा काम है.'

हाल ही में उनका एक इंटरव्यू इकॉनॉमिक टाइम्स पर प्रकाशित हुआ. जिसमें 'इमोजी हमारे लिए इतनी जरूरी क्यों हैं' सवाल के जवाब में जेनिफर का कहना था, 'मेरी समझ कहती है कि हम 80% समय बिना कुछ बोले खुद को व्यक्त करते हैं. जब हम बोलते भी हैं तो इसके कई तरीके होते हैं. हम चैटिंग उस तरह करते हैं, जैसे हम बातचीत करते हैं. इस दौरान हम अनौपचारिक और लापरवाह होते हैं. इस दौरान आप टाइप करते-करते थकें तो इमोजी से अपनी बात कह दें.'

बाथरुम के सिंबल में महिला का स्कर्ट पहने होना राजनीतिक?

इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "शुरुआत में जब चैटिंग की-बोर्ड में इमोजी शामिल की गई तो लोगों के मन में गलत विचार आया कि यह हमारी भाषा को खराब करेगी. कोई नई भाषा सीखना कठिन होता है और इमोजी भी एक नई भाषा ही थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि यह उसी भाषा का हिस्सा थी, जिसे हम पहले से बोलते आ रहे थे. आपके साथ-साथ इमोजी में भी बदलाव होता है. आप जैसी बातचीत करते हैं और जिस तरह खुद को व्यक्त करते हैं, यह भी वैसी ही हो जाती है. आप आज उपलब्ध 3000 इमोजी को देख सकते हैं, जिनका मतलब आपकी उम्र, जेंडर और इलाके के हिसाब से बदलता रहता है."

जेनिफर से एक सवाल यह भी पूछा गया कि क्या प्रेग्नेंट पुरुष की इमोजी और बच्चे के कपड़े के नीले या गुलाबी रंग के न होने की वजह राजनीतिक है? तो उन्होंने जवाब दिया, "आप ध्यान दें कि कुछ सालों पहले तक कितने लोग महिला-पुरुष से अलग तीसरे जेंडर के लिए अलग सर्वनाम का प्रयोग करते थे? इसमें तेजी से बदलाव हुआ है. छवि अराजनीतिक नहीं होती, वह हमेशा राजनीतिक होती है. बाथरूम को दिखाने वाली इमोजी (सिंबल सेक्शन में ग्रे रंग की दूसरी) को देखिए, महिला स्कर्ट क्यों पहने हुए है? मैं समझती हूं कि ऐसा इसलिए है ताकि लोगों को आसानी से समझ आ जाए. लेकिन क्या इस तरह की छवि का प्रयोग राजनीतिक है या यह राजनीतिक है कि कभी किसी छवि को जैसा बना दिया गया था, वैसे ही इस्तेमाल करते रहा जाए?"