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लेखक आतिश तासीर का ओसीआई कार्ड रद्द

समीरात्मज मिश्र
८ नवम्बर २०१९

भारत सरकार ने चर्चित लेखक और पत्रकार आतिश तासीर का ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया यानी ओसीआई कार्ड रद्द कर दिया है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, तासीर ने अपने आवेदन में जरूरी सूचनाएं छिपाई थीं इसलिए ऐसा किया गया है.

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OCI Deutscher Reisepass Overseas Citizen of India Pass
फोटो सांकेतिक हैतस्वीर: DW/S. Burman

लोकसभा चुनाव से पहले आतिश तासीर का अमरीकी पत्रिका ‘टाइम' में एक लेख छपा था जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्होंने ‘डिवाइडर ऑफ इंडिया' बताया था. हालांकि गृह मंत्रालय का कहना है कि पत्रिका में छपे लेख और ओसीआई कार्ड रद्द करने की कार्रवाई का एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं है.

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, आतिश तासीर ने ओसीआई के लिए दिए आवेदन में अपने पिता के नाम का जिक्र नहीं किया है जो अति आवश्यक सूचना होती है. प्रवक्ता का कहना है कि इसके लिए उन्हें 21 दिन का समय भी दिया गया जबकि आतिश तासीर के मुताबिक, उन्हें इस भूल को सुधारने के लिए सिर्फ चौबीस घंटे दिए गए.

38 वर्षीय आतिश तासीर ब्रिटिश मूल के पत्रकार और लेखक हैं. उनकी मां चर्चित भारतीय पत्रकार तवलीन सिंह हैं जबकि उनके पिता पाकिस्तान के राजनेता और बड़े व्यवसायी थे. तासीर नई दिल्ली में पले-बढ़े हैं और उन्होंने तमिलनाडु के कोडईकनल से अपनी स्कूली पढ़ाई की है. अमरीकी पत्रिका टाइम के लिए वह स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर काम करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लेख लिखने की वजह से वह चर्चा में आए थे जिसे पत्रिका ने अपनी कवर स्टोरी बनाया था.

Autor Aatish Taseer
आतिश तासीर के पिता सलमान तासीर एक पाकिस्तानी थेतस्वीर: Aatish Taseer

बताया जा रहा है कि आतिश तासीर ने कथित तौर पर यह तथ्य छिपाया कि उनके पिता पाकिस्तानी थे. तासीर के पिता सलमान तासीर पाकिस्तान के पंजाब सूबे के गवर्नर थे जिनकी साल 2011 में उन्हीं के अंगरक्षक ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार, तासीर ओसीआई कार्ड के लिए अयोग्य हो गए हैं क्योंकि ओसीआई कार्ड किसी ऐसे व्यक्ति को जारी नहीं किया जाता है जिसके माता-पिता या दादा-दादी पाकिस्तानी हों.

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प्रवक्ता ने ट्वीट करके कहा है कि तासीर ने स्पष्ट रूप से बहुत बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं किया और जानकारी को छिपाया है. कानून के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति ने धोखे से, फर्जीवाड़ा करके या तथ्य छिपा कर ओसीआई कार्ड हासिल किया है तो कार्ड धारक का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा और उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा. इसकी वजह से भविष्य में भी उसके भारत में प्रवेश करने पर रोक लगा दी जाएगी.

हालांकि प्रवक्ता ने इस बात से साफ इनकार किया है कि सरकार टाइम पत्रिका में लेख लिखने के बाद से तासीर के ओसीआई कार्ड को रद्द करने पर विचार कर रही थी. दरअसल, इस बारे में एक दिन पहले एक न्यूज वेबसाइट ने इस तरह की खबर प्रकाशित की थी जिसका प्रवक्ता ने पूरी तरह से खंडन किया.

वहीं आतिश तासीर ने गृह मंत्रालय की बातों को गलत बताते हुए कहा है, "मंत्रालय ने मुझे सिर्फ एक दिन का समय दिया जबकि मैंने कुछ और समय मांगा." उनके मुताबिक, उसके बाद मंत्रालय की ओर से उन्हें कोई सूचना नहीं प्राप्त हुई. अपने जवाब के साथ आतिश तासीर ने अपने ईमेल की एक तस्वीर भी ट्वीट की है.

इस ईमेल के कुछ घंटों बाद ही आतिश तासीर ने अपने ओसीआई कोर्ड के रद्द होने की जानकारी दी और इस संबंध में मिली सूचना वाले ईमेल का स्क्रीनशॉट शेयर किया है. गृह मंत्रालय के ईमेल में नियमों का हवाला देते हुए ओसीआई पंजीकरण को रद्द करने की सूचना दी गई है और आतिश तासीर को अपना ओसीआई कार्ड न्यूयॉर्क स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास में जमा करने के लिए कहा गया है.

ओसीआई कार्ड भारतीय मूल के विदेशी लोगों को भारत आने, यहां रहने और काम करने का अधिकार देता है लेकिन इस कार्ड की वजह से उन्हें वोट देने और संवैधानिक पद प्राप्त करने जैसे नागरिक अधिकार नहीं मिलते. आतिश तासीर का कहना है कि उनके पास कई साल पीआईओ यानी पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन कार्ड है जिसे बाद में ओसीआई कार्ड में बदल दिया गया. उनका कहना है कि उनके पास भारत में बैंक खाते भी हैं और वो भारत में टैक्स भी भरते रहे हैं.

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भारतीय संसद ने साल 2003 में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कर विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया था जिसे ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया के नाम दिया गया है.

इसके अनुसार भारतीय मूल का कोई भी व्यक्ति जो संविधान लागू होने के बाद भारत या उसके किसी राज्य क्षेत्र का नागरिक रहा हो और जिसने पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर ली है, नागरिकता अधिनियम 1955 के अधीन पंजीकरण करा सकता है, यदि उसके देश में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है.

इस नए कानून के मुताबिक, पंजीकरण के बाद अगर व्यक्ति पांच साल में से एक साल भारत में रहता है तो उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है. वर्तमान में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया सहित 16 देशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को ओसीआई कार्ड के तहत दोहरी नागरिकता प्रदान की जा सकती है क्योंकि इन देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है.

पहले पीआईओ कार्ड और ओसीआई कार्ड अलग-अलग जारी किए जाते थे और दोनों में कुछ बुनियादी अंतर भी थे लेकिन साल 2015 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद पीआओ कार्ड को ओसीआई कार्ड में बदल दिया गया.

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