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मोटापे और शराब से जा रही हैं बेशुमार जानें

२८ अक्टूबर २००९

स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बस पांच बातों का ध्यान रखने से दुनिया भर में करोड़ों लोगों को कम उम्र में होने वाली मौत से बचाया जा सकता है. साथ ही उनकी जीवन प्रत्याशा यानि जीने की उम्र औसतन पांच साल तक बढ़ सकती है.

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किस काम की ऐसी मस्तीतस्वीर: picture-alliance/ dpa

संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक़ कुपोषण, असुरक्षित यौन संबंध, शराब, गंदगी और उच्च रक्तचाप की वज़ह से हर साल कम उम्र में ही डेढ़ करोड़ लोगों की मौत हो जाती है. वहीं ग़रीब देशों के लोगों को पर्याप्त अनाज न मिलने की वज़ह से उनकी सेहत को बड़ा ख़तरा है. अमीर देशों में मोटापा और ज़्यादा वज़न से स्वास्थ्य पर बुरा असर पर रहा है. दुनिया भर में कुपोषण की तुलना में मोटापे के कारण लोगों की ज़्यादा मौतें हो रही हैं.

जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने उन स्वास्थ्य ख़तरों के बारे में बताया जिससे सबसे ज़्यादा मौतें होती हैं. दुनिया भर में उच्च रक्त चाप से तक़रीबन 13 प्रतिशत, तंबाकू के सेवन से 9 प्रतिशत, डायबिटिज़ से 6 प्रतिशत, मोटापे और ज्यादा वजन से पांच प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है.

ख़ास ख़तरे

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ग्लोबल हेल्थ रिस्क रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर के लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित ख़ास खतरों का सामना करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले 24 ख़तरों का परीक्षण किया गया है. इन खतरों को जानने के बाद स्वास्थ्य संबंधी नीतियों में सुधार कर इन्हें किफ़ायती और ज़्यादा प्रभावी बनाया जा सकता है. हालांकि रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि ध्रूमपान, मोटापा और ज़्यादा वज़न की समस्या अधिक अमीर देशों में है. दुनिया भर में फैली बीमारियों के शिकार तीन चौथाई ग़रीब और विकासशील देशों में है. स्वास्थ्य संबंधी इन ख़तरों को समझना ज़रूरी है जिससे वैश्विक स्वास्थ्य सुधार के लिए कारगर नीतियां बनाई जा सकें.

स्वास्थ वैश्विक मुद्दा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शोध में 2004 के आंकड़ों का उपयोग किया है. स्वास्थ्य सभी देशों के लिए ख़ास मुद्दा बनता जा रहा है, साथ ही विकासशील देशों के लोग सेहत संबंधी खतरों का दोगुना बोझ झेल रहे हैं. सबसे ज़्यादा ग़रीब देश अब भी मूल रूप से ग़रीबी, कुपोषण, असुरक्षित यौन संबंध और प्रदूषित पानी और स्वच्छता संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं. उच्च रक्त चाप, कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और शारीरिक गतिविधियों में कमी जैसे कारण इन रोगों के अनुपात में वृद्धि के लिए ज़िम्मेदार हैं.

रिपोर्टः रॉयटर्स/सरिता झा

संपादनः आभा मोंढे