मैर्केल का मतदान
चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू चुनाव में सबसे आगे हैं. लेकिन सरकार बनाने की राह अभी बहुत आसान नहीं है.
जीत का जश्न
मैर्केल और उनकी पार्टी सीडीयू को 2013 चुनाव में जीत मिली लेकिन पुराने गठबंधन साथी एफडीपी के साथ सरकार नहीं बन पाएगी. अब भी सीडीयू को पूर्ण बहुमत मिल सकता है लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें गठबंधन के लिए पार्टी ढूंढनी होगी.
जश्न से मातम तक
सीडीयू और उसकी सहायक सीएसयू के चुनाव नतीजों के एलान के साथ साथ समर्थकों ने चीख चिल्लाकर अपनी खुशी जाहिर की. लेकिन उनकी साथी पार्टी एफडीपी की हार ने खुशी में पानी फेर दिया.
संसद से गायब
लिबरल पार्टी एफडीपी को 4.7 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं. इस कमजोर प्रदर्शन का मतलब है कि 1949 के बाद से पहली बार वह संसद में शामिल नहीं होंगे. जर्मनी में पांच फीसदी से कम वोट वाली पार्टी संसद तक नहीं पहुंचती.
दूर खिसकता सपना
सोशल डेमोक्रैट्स के नेता पेयर श्टाइनब्रुक ग्रीन पार्टी के साथ गठबंधन बनाना चाहते थे. लेकिन उनकी पार्टी और ग्रीन पार्टी, दोनों मिलकर भी सरकार नहीं बना सकते.
हरे भरे नहीं रहे
पिछले चुनावों के मुकाबले ग्रीन पार्टी को बहुत कम वोट मिले. अब सोशल डेमोक्रैट्स के साथ सरकार बनाने का भी मौका नहीं.
अलग तरह की जीत
वामपंथी पार्टी डी लिंके को पिछले चुनावों के मुकाबले तीन प्रतिशत कम वोट मिले लेकिन इस बार उन्होंने ग्रीन पार्टी को पीछे छोड़ दिया और जर्मनी की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
पहली बार संसद में?
अपने पहले चुनावों में आल्टेरनाटीवे फ्युअर डॉयचलैंड पार्टी के पास लगभग पांच प्रतिशत वोट हैं लेकिन क्या वह संसद में आ पाएगी. पार्टी ने यूरो क्षेत्र की नीतियों के खिलाफ वोटरों का समर्थन हासिल किया.
विश्वास भरा मतदान
चांसलर अंगेला मैर्केल ने बर्लिन के हुंबोल्ट विश्वविद्यालय में अपना वोट डाला.
प्रवासियों के वोट
जर्मनी में करीब पांच करोड़ 60 लाख वोटर विदेशी मूल के हैं. प्रवासी अब संसद में भी शामिल हैं. हेसेन प्रांत में ग्रीन पार्टी के तारिक अल वजीर इस बार चुनाव लड़ रहे हैं. इनके पिता यमन के हैं.