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मैंने तो लेख लिखा ही नहीं: तस्लीमा नसरीन

२ मार्च २०१०

निर्वासन में रह रहीं बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा कि उन्होंने कर्नाटक के किसी अख़बार के लिए लेख नहीं लिखा है. अपने कथित लेख पर कर्नाटक में हिंसा को उन्होंने समाज में तनाव फैलाने की सोची समझी कोशिश कहा.

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तस्लीमा नसरीनतस्वीर: dpa

नसरीन ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने कर्नाटक के किसी अख़बार के लिए कोई लेख नहीं लिखा है. उनके मुताबिक़, "सोमवार को कर्नाटक में जो घटना हुई, उससे मुझे धक्का लगा. मुझे पता चला कि कर्नाटक के एक अख़बार में छपे मेरे लेख के कारण यह सब हुआ, लेकिन मैंने अपने जीवन में कभी कर्नाटक के किसी अख़बार के लिए नहीं लिखा है."

कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के गृह नगर शिमोगा में हुई हिंसा में दो लोग मारे गए जिनमें से एक की मौत पुलिस की गोली से हुई. नसरीन कहती हैं, "इस तरह लेख छापना घटिया बात है. अपने लेखन में मैंने कहीं भी यह नहीं कहा है कि पैग़ंबर मोहम्मद बुरक़े के ख़िलाफ़ थे. इसलिए यह मनगढंत कहानी है."

नसरीन ने इस लेख को अपनी छवि ख़राब करने की सोची समझी कोशिश बताया है. उनका कहना है, "मुझे संदेह है कि यह मेरी छवि को नुक़सान पहुंचाने और मेरे लेखन का दुरुपयोग कर समाज में तनाव फैलाने की कोशिश है. मैं दुआ करती हूं कि शांति क़ायम हो."

सुरक्षा कारणों से नसरीन भारत में किसी गोपनीय स्थान पर रह रही हैं. वह पिछले महीने भारत लौटीं और उनके पास इस साल अगस्त तक का वीज़ा है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अपने जारी बयान से अलावा वह कुछ और नहीं कहेंगी.

इस बीच मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा है कि लेख के विरोध में सोमवार को हुए मुसलिम समुदाय के प्रदर्शनों के बाद शिमोगा और हासन में स्थिति सामान्य हो गई है. राज्य विधानसभा में उन्होंने बताया, जिन लोगों ने क़ानून को अपने हाथ में लिया, उनके साथ सख़्ती से पेश आया जाएगा. मुख्यमंत्री ने बताया कि दोनों ही शहरों में सोमवार रात के बाद कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है. अख़बार के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया और 103 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा मोंढे