मेक्सिको के ड्रग कार्टेल क्या आतंकवादी हैं?
२९ नवम्बर २०१९इसमें कोई शक नहीं कि मेक्सिको के ड्रग कार्टेल ने आतंक फैला रखा है अब यह चाहे लोगों की भीड़ पर हथगोले फेंकना हो या पुलों से सिर कटी लाशों को लटका देना या फिर शहर की सड़कों पर गोलीबारी करना. हाल ही में उन्होंने अमेरिकी मेक्सिको की दोहरी नागरिकता वाले 9 मॉरमॉन समुदाय की महिलाओं और बच्चों की नृशंस हत्या कर दी. डॉनल्ड ट्रंप ने इसी घटना के बाद मौजूदा कदम उठाने का एलान किया है.
हालांकि मेक्सिको के लोग कम से कम एक बात पर बिल्कुल सहमत हैं कि उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति की मदद नहीं चाहिए. जानकार भी मानते हैं कि नशीली दवाओं के अवैध कारोबार में जुटे संगठनों को आतंकवादी घोषित करने से जमीनी हालात को बदलने में शायद ही कोई मदद मिले.
जानकारों का कहना है कि सिनालोआ या जालिस्को न्यू जेनरेशन जैसे कार्टेल उन संगठनों से अलग हैं जिन्हें अमेरिका ने विदेशी आतंकवादी संगठनों के रूप में काली सूची में डाल रखा है. इस सूची में शामिल अल कायदा, इस्लामिक स्टेट, ईटीए, एफएआरसी (द रेवॉल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेज ऑफ कोलंबिया) समेत बाकी के 68 संगठनों के राजनीतिक और धार्मिक लक्ष्य हैं जबकि ड्रग कार्टेल का एक ही मकसद है पैसा कमाना.
मेक्सिको के पूर्व विदेश मंत्री और प्रमुख शिक्षाविद योर्ग कास्तानेदा का कहना है, "मेक्सिको के कार्टेलों की तुलना एफएआरसी से नहीं की जा सकती. यह पहली बार है जब अमेरिका ने माफिया गुटों को इस सूची में शामिल करने के लिए कदम उठाया है. इन संगठनों का कोई राजनीतिक मकसद नहीं है."
इसी महीने 4 नवंबर को ला लिनिया ड्रग कार्टेल के कथित सदस्यों ने उत्तरी मेक्सिको के एक दूरदराज के इलाके में तीन एसयूवी पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इन गाड़ियों में तीन मॉरमॉन परिवारों के 17 लोग सवार थे. बंदूकधारियों ने गोलीबारी कर तीन महिलाओं और छह बच्चों की हत्या कर दी. इनमें 8 महीने के दो जुड़वां बच्चे भी थे. इसके साथ ही एक गाड़ी को उसकी सवारियों समेत आग के हवाले कर दिया. इसके बाद उन परिवारों में एक लेबारोंस परिवार के प्रमुख सदस्यों ने अमेरिका राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस को एक याचिका भेजी और मेक्सिको के कार्टेलों को आतंकवादी संगठन घोषित करने का आग्रह किया. याचिका में कहा गया, "उनकी बेलगाम हिंसा की कार्रवाइयों और हत्याएं हमारी सीमाओं को लांघ रही हैं और एक अंतरराष्ट्रीय संकट पैदा हो गया है. ये लोग आतंकवादी है और अब वक्त आ गया है कि इसे मान लिया जाए."
इसके बाद से मेक्सिको में एक राजनीतिक बहस छिड़ गई है. सोशल मीडिया और हैशटैग में "ट्रेटर्स" और "लेबारोंस मेक्सिको से बाहर जाओ" जैसे ट्रेंड वायरल हो रहे हैं. हालांकि बहुत से लोग इन परिवारों के साथ भी खड़े हुए हैं और नशीली दवाओं के कारण होने वाली हिंसा को आंतकवाद घोषित करने की मांग कर रहे हैं. गुआंजुआतो के गवर्नर और वामपंथी प्रधानमंत्री के विरोधी डिएगो सिनहुए रोड्रिग्ज का कहना है, "वो आतंक भड़काने की ही तो कोशिश करते हैं. अंगभंग कर शवों को लोगों के सामने पेश कर के लोगों के मन में आतंक पैदा किया जाता है."
हालांकि मोटे तौर पर मेक्सिको ने इन संगठनों को आतंकवादी घोषित करने के ट्रंप के दबाव के आगे झुकने से मना कर दिया है. इससे पहले ट्वीटर के जरिए जब ट्रंप ने मेक्सिको के "ड्रग कार्टेल के खिलाफ जंग छेड़ने और पृथ्वी पर से उन्हें मिटा देने की पेशकश की" थी तब भी उसे मेक्सिको ने ठुकरा दिया था. मेक्सिको अमेरिका में किसी भी सैन्य या दूसरी तरह की दखल को अपना अपमान समझता है. मेक्सिको ने 1848 में अमेरिका से जंग में अपनी आधी जमीन खो दी थी और उसकी यादें उसके जहन में अब भी बिल्कुल ताजा है. अमेरिका के खिलाफ उसके मन में पलती नाराजगी की वजहों में यह एक प्रमुख मुद्दा है.
विदेश मंत्री मारसेलो इबरार्ड ने ट्रंप के बयान को "राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन" बताया है. मेक्सिकोक के थिंक टैंक सीएएसईडीई से जुड़े कार्लोस रोड्रिग्ज उलोआ का कहना है, "मेक्सको का राष्ट्रीय इतिहास विस्तारवादी, मगरूर, धोखा देने वाले, साम्राज्यवादी अमेरिका के प्रसंगों से बना है." हालांकि जानकार यह भी मान रहे हैं कि यह बहस मुख्य रूप से सांकेतिक ही है. अमेरिका अगर मेक्सिको के कार्टेलों को काली सूची में डाल देता है तो भी जमीन पर ज्यादा कुछ नहीं बदलेगा. इसकी वजह यह है कि दोनों देश उनके खिलाफ पहले से ही सुरक्षा और आर्थिक मोर्चों पर भारी सहयोग कर रहे हैं.
कास्तानेदा के मुताबिक, अमेरिका के हवाई जहाज ड्रग इनफोर्समेंट एजेंसी (डीईए) के अभियानों के तहत बीते 25 सालों से मेक्सिको के इलाके में उड़ान भर रहे हैं. उन्होंने कहा, "डीईए के एजेंट स्थाई रूप से वहां मौजूद हैं,. मेक्सिको के मरीन सैनिकों के साथ अमेरिकी सैनिक भी उनके मिशनों में जा रहे हैं...यह सब तो पहले से ही हो रहा है." कास्तानेदा का कहना है, "अगर अमेरिका मेक्सिको से कहेगा, 'मैं कल ड्रोन भेजना चाहता हूं,'...मेक्सिको यही कहेगा, 'हां, आगे बढ़िए.' इसे आक्रमण कहने की जरूरत नहीं है."
एनआर/आरपी (एएफपी)
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