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मुस्लिम महिलाओं को जोड़ने के लिए बीजेपी की नई रणनीति

२७ जून २०१९

लोकसभा चुनाव में सफलता के बाद बीजेपी सदस्यता अभियान में जुटने जा रही है. इस अभियान में मुस्लिम महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति बनाई गई है. बीजेपी ने कुछ विषयों को लेकर मुस्लिमों के बीच जाने का फैसला किया है.

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Kopftuch Symbolbild
तस्वीर: Imago/J. Jeske

इन मुद्दों के जरिए उत्तर प्रदेश की मुस्लिम महिलाओं को भरोसा दिलाया जाएगा कि उनकी हितैषी सिर्फ और सिर्फ बीजेपी ही है. सदस्यता अभियान को लेकर हुई बैठक में अल्पसंख्यक, विशेषकर मुस्लिम महिलाओं को अधिक से अधिक संख्या में बीजेपी से जोड़ने के प्रस्ताव पर सहमति बनी है. बीजेपी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हैदर अब्बास चांद ने इस बारे में कहा, "बीजेपी मुस्लिमों के लिए कभी अछूत नहीं रही है. हमने इस समुदाय के लोगों को पार्टी से जोड़ा है. बड़ी संख्या में खुद लोग अब हमसे जुड़ रहे हैं. साथ ही और लोगों को जोड़ने का भी निर्णय लिया गया है."

चांद ने आईएएनएस को बताया, "तीन तलाक का मुद्दा मुस्लिम महिलाओं को बीजेपी के करीब लाने में काफी मददगार साबित हुआ. अन्य राज्यों में भी बीजेपी मुसलमानों को प्रत्याशी बना चुकी है. इससे इस वर्ग को विश्वास हो गया है कि बीजेपी उनके भविष्य की चिंता कर रही है. लिहाजा हम सदस्यता अभियान के दौरान अपना मुख्य फोकस अल्पसंख्यक, विशेष कर मुस्लिम महिला वर्ग पर रखना चाहते हैं."

चांद ने बताया कि अशिक्षित महिलाओं और तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को जागरूक किया जाएगा और घर-घर जाकर मोदी सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के हित में चल रहीं योजनाओं के बारे में लोगों को बताया जाएगा. उन्होंने बताया, "हमने एक जिले में 10 हजार मुस्लिम महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा है. पूरे प्रदेश में लगभग पांच लाख मुस्लिम महिलाओं को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. यह अभियान छह जुलाई से चलाया जाना है. मेरे नेतृत्व में एक लाख 35 हजार नये सदस्य बने थे, जिसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं."

अवध क्षेत्र की मीडिया प्रभारी रुखशाना नकवी ने आईएएनएस से कहा, "तीन तलाक विरोधी कानून का बहुत अच्छा असर हुआ है. अन्य योजनाओं का भी मुस्लिम महिलाओं पर बहुत अच्छा असर हुआ है. यहां पर हर बूथ पर अल्पसंख्यक महिलाओं ने बीजेपी को ही वोट दिया है. अब हर रोज हमारे पास बीजेपी से जुड़ने के लिए फोन आ रहे हैं."

उन्होंने बताया, "मेरे पास 16 जिलों का प्रभार है और लगभग हर जिले से एक हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है. मुस्लिम महिलाएं बहुत ज्यादा प्रताड़ित हैं, इनकी खबर किसी दल ने नहीं ली है. सभी सिर्फ वोट बैंक के लालच में अपने को मुस्लिम हितैषी बताने में जुटे हैं. इस बार खासकर मुस्लिम महिलाओं को बीजेपी सरकार से लाभ हुआ है और अब  वे बीजेपी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही हैं."

रुखशाना मानती हैं कि मुस्लिम महिलाओं में जागरूकता काफी बढ़ी है. अल्पसंख्यक मोर्चा की रशीदा बेगम ने कहा, "हाल के दिनों में मदरसा बोर्ड में नाजनीन अंसारी को सदस्य, सौफिया अहमद को अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य एवं आसिफा जमानी को उर्दू एकेडमी का चेयरमैन बनाए जाने समेत मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी सरकार में बढ़ाने से उनका झुकाव तेजी से पार्टी की तरफ हो रहा है. पहली बार कोई सरकार मुस्लिम महिलाओं के हक हुकूक की बात कर रही है."

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आईएएनएस/एए

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