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समाज

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआई जांच

आमिर अंसारी
२९ अक्टूबर २०२०

ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है कि राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ हाई कोर्ट किसी मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे. भ्रष्टाचार के कथित मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.

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तस्वीर: Imago/Hindustan Times

भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई द्वारा जांच के आदेश को चुनौती देते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मंगलवार, 27 अक्टूबर को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज कर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के आदेश दिए थे.

एक पत्रकार ने वीडियो में इसी साल जून महीने में त्रिवेंद्र सिंह रावत पर आरोप लगाया था कि 2016 में जब वे बीजेपी के झारखंड प्रभारी थे, तब उन्होंने एक व्यक्ति को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने के लिए 25 लाख रुपये की रिश्वत ली थी और रुपए अपने रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर कराए थे. आरोप लगाने वाले पत्रकार का नाम उमेश कुमार शर्मा है और हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाई कोर्ट के जज ने अपने आदेश में कहा, "राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, सच को उजागर करना सही रहेगा. यह राज्य के हित में होगा कि संदेह साफ हो जाए."

इस आदेश के खिलाफ रावत ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पीटिशन दायर की है. रावत के मीडिया कोऑर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत ने कहा, "सरकार हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करती है और जांच में तथ्य स्पष्ट हो जाएंगे." दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे किसी भी जांच के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, "यह एक कानूनी मामला है. इसे केवल कानूनी प्रक्रिया से ही सुलझाया जा सकता है जो सब कुछ स्पष्ट कर देगा."

"सरकार की आलोचना राजद्रोह नहीं"

हाई कोर्ट ने पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ दायर राजद्रोह के मामले को भी रद्द करने का आदेश दिया है. उमेश शर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 124-ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज किया था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार की आलोचना राजद्रोह नहीं होता है. उसने कहा, "सरकार की आलोचना कभी राजद्रोह नहीं हो सकता है. लोकतंत्र में असहमति की आवाज का सम्मान होना चाहिए. राजद्रोह जैसी धारा लगाकर असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश होती है तो यह लोकतंत्र को कमजोर करेगा."

सीबीआई जांच के आदेश के बाद राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश गंभीर है और रावत को पद छोड़ देना चाहिए ताकि उनके खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच का रास्ता साफ हो सके.

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