मुरली मनोहर जोशी के रुख से बीजेपी पसोपेश में
२९ दिसम्बर २०१०प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएसी के सामने पेश होने का प्रस्ताव रखा जिसे भारतीय जनता पार्टी ने जल्द ही खारिज कर दिया लेकिन लोक लेखा समिति (पीएसी) चेयरमैन होने के नाते मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो मनमोहन सिंह को बुलाया जा सकता है.
मुरली मनोहर जोशी का यह रुख उनकी पार्टी को नागवार गुजरेगा जो लगातार 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच जेपीसी को सौंपे जाने पर अड़ी है. बीजेपी का कहना है कि सिर्फ जेपीसी ही जवाबदेही तय कर सकती है और नीतिगत फैसलों की समीक्षा कर सकती है.
पीएसी जांच में मुरली मनोहर जोशी ने तेजी दिखाई है लेकिन पार्टी उनके रुख से उत्साहित नहीं है. जोशी का कहना है कि पीएसी एक स्वतंत्र संस्था है और यह कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) की रिपोर्ट के दायरे से आगे बढ़कर भी जांच कर सकती है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकार को करीब 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने जेपीसी की मांग में कोई कमी न लाने का संकेत देने के लिए सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर का सहारा लिया. "पीएसी का दायरा जेपीसी से बिलकुल अलग है. पीएसी सिर्फ खातों की जांच करती है जबकि जेपीसी जवाबदेही और शासन से जुड़े मुद्दों की जांच कर सकती है." पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने कह दिया है कि 2जी मामले में बीजेपी जेपीसी से कम किसी बात के लिए राजी नहीं होगी.
भारतीय जनता पार्टी और मुरली मनोहर जोशी के बीच बढ़ती दूरी पर राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि पीएसी चेयरमैन होने के नाते वह अपने कर्तव्य के प्रति जागरुक हैं. वह अपना काम कर रहे हैं लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं कहा है कि जेपीसी का गठन नहीं होना चाहिए.
पीएसी के सामने प्रधानमंत्री के पेश होने पर सुषमा स्वराज ने कहा है कि लोकसभा के नियमों के तहत पीएसी प्रधानमंत्री छोड़िए, किसी मंत्री तक को नहीं बुला सकती. इसलिए प्रधानमंत्री की पेशकश का कोई मतलब नहीं है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: एन रंजन