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मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का नोटिस नामंजूर

२३ अप्रैल २०१८

भारत के उप राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग खारिज कर दी है. सात विपक्षी दलों ने "कदाचार" का आरोप लगा कर महाभियोग के लिए याचिका दायर की थी.

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Dipak Mishra Oberster Richter von Indien
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ इस तरह की मांग की गई है. उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि विपक्षी दलों के आरोप "ना तो उचित हैं ना ही स्वीकार करने योग्य." उपराष्ट्रपति के फैसले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को थोड़ी राहत मिली है. सरकार ने इसे "बदले की याचिका" कहा था.

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने की याचिका पर राज्य सभा के 64 सदस्यों ने दस्तखत किए थे. इस याचिका में उन पर संवेदनशील मामलों के आवंटन में निरंकुश तरीके से ताकत का इस्तेमाल करने के आरोप लगाए गए थे. खासतौर से जस्टिस लोया की मृत्यु और मेडिकल कॉलेजों की ओर से न्यायपालिका से जुड़े लोगों को रिश्वत देने के मामलों का इसमें जिक्र किया गया था. जास्टिस लोया बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे और संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई. 

Indien Venkaiah Naidu in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

उप राष्ट्रपति नायडू ने बयान जारी कर कहा है, "न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारत के संविधान की आधारभूत नीति है और मौजूदा मामले में इसको कमजोर करने की गंभीर प्रवृत्ति है. सारे तथ्यों को संपूर्णता में देखने के बाद मेरा दृढ़ विचार है कि इन बिंदुओं पर नोटिस को स्वीकार करना ना तो नियमानुकूल है ना ही इच्छा रखने योग्य या यथोचित."

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि उसे उप राष्ट्रपति नायडू के फैसले से कोई हैरानी नहीं हुई है. दीपक मिश्रा इस साल जनवरी में तब सुर्खियों में आ गए जब सुप्रीम कोर्ट में उनसे जूनियर चार वरिष्ठ जजों ने केसों के बंटवारे में उनकी भूमिका की आलोचना की और न्यायपालिका में नियुक्तियों को लेकर सवाल उठाए. दीपक मिश्रा को बीते साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और वे इस साल अक्टूबर में रिटायर हो जाएंगे. उनके दफ्तर ने महाभियोग के प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है.

क्या है किसी जज के खिलाफ महाभियोग का मतलब?

सुप्रीम कोर्ट के जज को कदाचार या अक्षमता के आरोप में सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश से हटाया जा सकता है. इसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करना होता है. भारत में अब तक किसी मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग नहीं चला है.

एनआर/एमजे(रॉयटर्स)