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सऊदी अरब पर उठे सवाल

ईशा भाटिया७ सितम्बर २०१५

शरणार्थी संकट के बीच अंतरराष्ट्रीय मीडिया सवाल उठा रहा है कि सीरिया की मदद करने के लिए रईस सऊदी अरब क्यों आगे नहीं आ रहा. जानिए क्या क्या लिख रहे हैं अखबार.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Messinis

ऑनलाइन अखबार हफिंगटन पोस्ट ने सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत के नाम लेख के शीर्षक में देते हुए कड़े शब्दों में कहा है कि ये देश अब भी कुछ नहीं कर रहे. अखबार ने लिखा है, "सऊदी अरब और फारस की खाड़ी के अन्य अरब देश ना केवल सीरिया के करीब हैं, बल्कि वे अत्यंत धनी भी हैं. तेल समृद्ध राष्ट्र कुवैत में पांच अरबपति बसते हैं, जबकि संयुक्त अरब अमीरात की आबादी काफी रईस है, अकेले दुबई शहर में ही नौ अरबपति रहते हैं. ये देश, जिन्होंने अब तक शरणार्थियों की मदद के लिए कुछ भी नहीं किया है, इनकी हैरान करने वाली दौलत लोगों की नजरों से बची नहीं रही है." अखबार ने ह्यूमन राइट्स वॉच के केनेथ रॉथ के ट्वीट को जगह दी है जो सऊदी अरब के रवैये को दिखाता है.

इसी तरह वॉशिंगटन पोस्ट ने भी निंदा करते हुए लेख का शीर्षक दिया है, "अरब दुनिया के सबसे धनी देश सीरियाई शरणार्थियों की मदद के लिए कुछ भी नहीं कर रहे." अखबार ने लिखा है, "यूरोप के कुछ देशों की इसलिए आलोचना हो रही है क्योंकि वे कम संख्या में शरणार्थियों को आश्रय दे रहे हैं या फिर मुसलमानों और ईसाइयों में भेद कर रहे हैं. लेकिन एक ऐसा भी तबका है, जिसे यकीनन ज्यादा करना चाहिए पर उसकी ओर अब तक इतना क्रोध केंद्रित नहीं है. वे हैं सऊदी अरब और फारस की खाड़ी के रईस देश. और तो और ये देश पूरी तरह निरपराध भी नहीं है. काफी हद तक सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत सीरिया के संकट के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ खड़े हुए इस्लामी कट्टरपंथियों को आर्थिक मदद प्रदान की थी." यहां भी केनेथ रॉथ के ट्वीट को जगह दी गयी है. रॉथ का एक अन्य कार्टून वाला ट्वीट भी सऊदी पर केंद्रित है.

अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, "खाड़ी के देशों के पास दुनिया की सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय है. उनके नेता बहुत भावुक स्वर में सीरिया के शरणार्थियों के हालात बयान करते हैं और उनका सरकारी न्यूज मीडिया भी सीरिया के युद्ध की बिना रुके रिपोर्टिंग करता है. लेकिन जब लाखों सीरियाई शरणार्थी यूरोप पहुंचने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं या फिर मारे जा चुके हैं, तब खाड़ी के देशों ने बहुत ही छोटी संख्या में शरणार्थियों को लेने की सहमति दिखाई है. और खाड़ी के रईस नागरिकों ने - अपनी सरकार की जानकारी के साथ या उसके बिना - सीरिया में जिहादियों को आर्थिक मदद पहुंचाई है, अमेरिकी अधिकारी तो यही बताते हैं."

इसके अलावा सीबीसी की नताशा फताह ने एक ग्राफिक ट्वीट कर शरणार्थियों के आंकड़ों की ओर ध्यान दिलवाया है. इसे भी ऑनलाइन अखबारों में जगह दी जा रही है.