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मिस्र में जनमत संग्रह में हिंसा

१५ जनवरी २०१४

देश में नया संविधान बनाने के मुद्दे पर मिस्र में जनमत संग्रह कराया जा रहा है. होस्नी मुबारक की सत्ता जाने के बाद मिस्र में अस्थिर हालात हैं और सेना प्रमुख देश के नए राष्ट्रपति बनना चाहते हैं.

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तस्वीर: Reuters

बुधवार को इस जनमत संग्रह का दूसरा और आखिरी दिन है. सुबह सात बजे इसके लिए वोटिंग की शुरुआत हो गई. हालांकि पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी की पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड ने इस जनमत संग्रह का विरोध किया है लेकिन समझा जाता है कि इसे संवैधानिक स्वीकृति मिल जाएगी. लगभग एक साल तक देश के प्रमुख रहने के बाद मुर्सी को पिछले साल गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है.

मुर्सी के राष्ट्रपति रहते हुए भी संविधान का एक खाका तैयार किया गया था. लेकिन ताजा जनमत संग्रह के बाद उस खाके को खारिज कर दिया जाएगा. पिछला जनमत संग्रह 64 फीसदी से पारित किया गया था और ताजा वोटिंग में अभी तक सिर्फ 33 फीसदी लोगों ने मतदान किया है.

मंगलवार को शांतिपूर्ण मतदान की रिपोर्टें आईं लेकिन बुधवार को कई जगहों से हिंसा और अशांति की खबरें आ रही हैं. मीडिया के मुताबिक राजधानी काहिरा के बाहर मुर्सी समर्थकों और पुलिस के साथ मुठभेड़ में नौ लोगों की मौत हो गई. मुस्लिम ब्रदरहुड के कुछ लोगों को मतदान में बाधा पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. कुल 250 लोगों को हिरासत में लिया गया है. राष्ट्रपति मुर्सी के सत्ता छोड़ने के बाद से मिस्र में हुई हिंसा में 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लोग भी शामिल हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मेरी हार्फ का कहना है कि हिंसा की खबरों से उनका देश चिंतित है लेकिन साथ ही वह "स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की रिपोर्टों का इंतजार" कर रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह बात पक्की हो जाती है कि मिस्र ने संविधान में बदलाव के लिए जनमत संग्रह कराया है और लोकतांत्रिक परिवर्तन की तरफ बढ़ रहा है, तो उसके 1.5 अरब डॉलर की रोकी गई मदद की राशि को रिलीज कर दिया जाएगा.

मिस्र की मीडिया ने मंगलवार को जनमत संग्रह के पहले दिन की वोटिंग का स्वागत किया है. सरकारी अखबार अल गमहूरिया ने लिखा है कि कुछ अपराधी जरूर इसका विरोध कर रहे होंगे लेकिन मिस्र की जनता ने अपना भविष्य लिखने का फैसला किया है.

मिस्र की सेना के लिए यह जनमत संग्रह खास मायने रखता है, जिसके प्रमुख अब्दुल फतह अल सिसी की नजर राष्ट्रपति पद पर है. अगर बहुत बड़ी संख्या में लोग मतदान में हिस्सा लेते हैं, तो उनका रास्ता आसान हो सकता है. देश के कामचलाऊ राष्ट्रपति अदली मंसूर का कहना है कि इस वोटिंग के बाद देश में संसदीय और राष्ट्रपति पद का चुनाव भी कराया जाएगा. वोटिंग की संख्या को लेकर भ्रम बना हुआ है लेकिन सेना के ताकतवर रूप और इस जनमत संग्रह में उसकी भूमिका को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि संविधान में बदलाव जरूर किया जाएगा.

एजेए/एमजे (एपी, एएफपी)

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