मिस्र में इमाम सिखा रहे हैं कट्टरपंथ से दूरी
१ जून २०१५काहिरा में पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक की नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी एनडीपी के मुख्यालय को गिराने का काम शुरू हो गया है. अप्रैल 2011 में मुबारक के तख्तापलट के बाद से इस इमारत को गिराने की बात होती रही है. जहां एक तरफ लोग इसे मिस्र में मुबारक काल का पूर्ण अंत मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ कार्यकर्ता इसे अरब वसंत की निशानी के तौर पर संभाल कर रखने की पैरवी करते हैं. लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सिसी की सरकार ने इसे हटाने का फैसला किया है. इमारत को पूरी तरह गिराने में तीन महीने का वक्त लगेगा.
अल सिसी ने 2013 में देश से मुस्लिम ब्रदरहुड के निर्वाचित शासन का अंत किया. लेकिन राष्ट्रपति चुने जाने के बावजूद अब उन पर देश में तानाशाही के आरोप लगने लगे हैं, जिनसे वे इंकार करते हैं. अल सिसी के शासन करने के तरीके के लिए भले ही उनकी कड़ी आलोचना हो रही हो लेकिन इस्लामी कट्टरपंथ को ले कर उनका रवैया तारीफ भी बटोर रहा है. कट्टरपंथ से जंग वे केवल सिपाहियों और हथियारों से ही नहीं, बल्कि धर्म और जागरूकता से जीतना चाहते हैं. उन्होंने मिस्र की अल अजहर यूनिवर्सिटी से अपील की है कि इमाम क्लासरूम में ही इस्लाम की सही परिभाषा सिखाएं.
शिक्षा के जरिए धार्मिक क्रांति
अल अहजर 1,000 साल पुरानी यूनिवर्सिटी है और इसे इस्लामिक शिक्षा का मुख्य केंद्र माना जाता है. अल अजहर कॉन्फ्रेंस के दौरान टीवी पर दिए एक भाषण में अल सिसी ने इस्लाम में "धार्मिक क्रांति" लाने की मांग की. उन्होंने कहा कि कट्टरपंथ "पूरी दुनिया के लिए परेशानी, डर, मौतों और तबाही का सबब बन गया है." अल सिसी ने कहा कि इसे बदलने की जरूरत है और ऐसा स्कूलों, मस्जिदों और बातचीत के जरिए किया जा सकता है, "आप सब इमाम अल्लाह के आगे जिम्मेदार हैं. पूरी दुनिया आपकी राह ताक रही है, इंतजार कर रही है कि कब आप कुछ कहेंगे क्योंकि यह देश टुकड़े टुकड़े हो रहा है."
अल अहजर मस्जिद का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ. यह मिस्र की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है. सन 1171 तक यह शिया इस्लाम का केंद्र भी रही. फातिमी खिलाफत के अंत के बाद यह सुन्नी मस्जिद में तब्दील हो गयी. आज अल अजहर यूनिवर्सिटी की शाखाएं एशिया और अफ्रीका के कई देशों में हैं जहां 4,50,000 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं. इसके अलावा मिस्र में 9,000 से ज्यादा स्कूल भी अल अजहर से जुड़े हुए हैं, जहां बीस लाख से भी ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं.
धर्म के करीब, कट्टरपंथ से दूर
अल सिसी की मांग को देखते हुए अल अजहर के विद्वानों ने पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव तो किए हैं लेकिन जानकारों का मानना है कि ये काफी नहीं हैं. अल अजहर भविष्य में एक ऑनलाइन फोरम भी तैयार करना चाहता है, जहां कट्टरपंथियों के बयानों की आलोचना की जा सके लेकिन यूनिवर्सिटी का भी मानना है कि यह एक चुनौतीपूर्ण काम है जिसमें काफी वक्त लग सकता है. इस बीच यूनिवर्सिटी ने अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है जहां कट्टरपंथी विचारधारा के जवाब में वीडियो डाले जाते हैं.
वहीं पश्चिमी देशों में जानकारों का कहना है कि अल सिसी का इरादा तो नेक है लेकिन वे इसे अमल में लाने की उनके पास कोई पुख्ता योजना नजर नहीं आती है. अल सिसी खुद बेहद धार्मिक हैं. उनके माथे पर सालों से नमाज के दौरान सजदे करने के कारण निशान दिखाई पड़ता है. उनकी मुहिम धर्म के करीब और कट्टरपंथ से दूर जाने की है. हाल ही में उन्होंने कहा, "हमें और तेजी से, और प्रभावशाली तरीके से आगे बढ़ना होगा"
आईबी/एमजे (रॉयटर्स)