मिराज पर इतना भरोसा क्यों?
1999 के कारगिल युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना के मिराज विमानों ने एक बार फिर कश्मीर के ऊपर उड़ान भरते हुए कार्रवाई की है. ऊंचे इलाके में क्यों मिराज को ही ऐसी कार्रवाई के लिए चुना जाता है.
F-16 का जवाब
1980 के दशक में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एफ-16 लड़ाकू विमानों के सौदे के लिए बातचीत शुरू हुई. भारत ने एफ-16 से मुकाबला करने के लिए फ्रांस से संपर्क किया. टेस्टिंग के बाद भारतीय वायुसेना के लिए दासो कंपनी के मिराज-2000 फाइटर जेट लेने का फैसला किया गया.
इंटरसेप्टर फाइटर
एफ-16 के मुकाबले ज्यादा तेज गति से उड़ान भरने वाला मिराज छोटी दूरी के हमले करने के लिए मुफीद माना जाता है. एफ-16 की स्पीड 2,400 किमी प्रतिघंटा है, वहीं मिराज 2,530 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भरता है. ठिकानों या दूसरे लड़ाकू विमानों का पता लगाने में मिराज ज्यादा माहिर है.
छोटे अभियान का लड़ाकू विमान
मिराज बहुत ज्यादा हथियार नहीं ढो सकता है. साथ ही इस पर लगाए जाने वाले हथियार करीब 50 किलोमीटर के दायरे में मार सकते हैं. एफ-16 इसकी तुलना में ज्यादा चपल लड़ाकू विमान हैं.
कम खर्चीला
मिराज-2000, एफ-16 के मुकाबले करीब सात लाख डॉलर सस्ता भी है. हवाई युद्ध के मामले में मिराज, एफ-16 से पीछे बताया जाता है.
9 देशों के बेड़े में
मिराज का इस्तेमाल फ्रांस, भारत, ब्राजील, ताइवान, पेरु, मिस्र, यूएई, ग्रीस और कतर की सेना करती है.
कारगिल युद्ध में मिराज
1999 में कारगिल की पहाड़ियों में छिड़े सैन्य संघर्ष के दौरान मिराज ने जबरदस्त प्रदर्शन किया. लेजर गाइडेड बॉम्बिंग सिस्टम से लैस मिराज ने 500 से ज्यादा उड़ानें भरी.
नए मिराज
कारगिल की लड़ाई के बाद सन 2000 में भारतीय वायुसेना ने नए और उन्नत मिराज-200Hs विमान खरीदने के फैसला किया. 2007 में आधुनिक एवियोनिक्स और रडार से लैस विमान भारत को मिले.
प्रोडक्शन लाइन बंद
अब दासो ने मिराज की प्रोडक्शन लाइन बंद कर दी है. भारत समेत नौ देशों की वायु सेनाएं अब भी इन विमानों का इस्तेमाल कर रही हैं. मिराज के पुराने मॉडलों को अब अपग्रेड किया जाता है.
मिराज के बाद राफाल
मिराज की प्रोडक्शन लाइन बंद होने के बाद भारत ने फ्रांसीसी कंपनी दासो से राफाल विमान खरीदना चाहा. 2012 में 126 विमानों का सौदा भी हुआ, जो तमाम लेट लतीफी के बाद रद्द कर दिया गया. अब भारत तैयार 36 राफाल खरीद रहा है.