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मिजोरम में लगी ऑस्ट्रेलिया जैसी आग, 5,800 एकड़ जंगल नष्ट

प्रभाकर मणि तिवारी
२९ अप्रैल २०२१

देश के पूर्वोत्तर में जंगल में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. इस साल अब तक ऐसी करीब एक दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं. मिजोरम में आग पर काबू पाने के तमाम उपाय किए जा रहे हैं. केंद्र ने भी राज्य सरकार से बात की है.

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Indien Agartala | Grenzstreit Tripura - Mizoram
तस्वीर: T. Debbarma

बीते तीन-चार दिनों से लगी आग पर अब काफी हद तक काबू पा लिया गया है. यह आग राज्य के दो जिलों के छह शहरों और गांवों तक पहुंच गई थी. लेकिन वहां इसमें किसी के मरने या घायल होने की सूचना नहीं है. इस पर पूरी तरह काबू पाने के लिए वायु सेना की भी मदद ली जा रही है.

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस आग से छह जिलों में फैले करीब 5,800 एकड़ जंगल नष्ट हो गए हैं. पर्यावरणविदों ने इलाके में लगी आग पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे साफ है कि हम अपने संवेदनशील प्राकृतिक क्षेत्रों को बचाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं.

कैसे लगी आग?

म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा से सटे मिजोरम के लुंगलेई जिले में इस आग की शुरुआत हुई थी. उसके बाद यह धीरे-धीरे आसपास के जिलों में भी फैलने लगी. उसके बाद सोमवार को केंद्र ने मुख्यमंत्री जोरमथांगा से इस मुद्दे पर बात की और उनको इस पर काबू पाने में हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिया. राज्य सरकार ने लगातार फैली आग पर काबू पाने के लिए भारतीय वायुसेना से भी सहायता मांगी और उसके दो हेलीकॉप्टरों को आग बुझाने में लगाया गया. लेकिन बावजूद उसके आग धीरे-धीरे शहरी इलाकों और बस्तियों में फैलने लगी.

राज्य के आपदा प्रबंधन और पुनर्वास विभाग के अवर सचिव मालसातलुआंगा फान्चून बताते हैं, "आग से छह जिले—चंफाई, लुंगलेई, नाथियाल, लॉन्गतलाई, सेरछिप और खावजाल बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. हालांकि इसमें किसी की मौत की खबर नहीं है. लेकिन फायर ब्रिगेड के 11 कर्मचारी इसमें घायल हो गए हैं.”

मिजोरम के 85 फीसदी हिस्से में जंगल है. इस वजह से गर्मी के सीजन में इलाके में अक्सर आग लगती रही है. इस साल नगालैंड के अलावा मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर जंगल में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं.

मालसातलुआंगा बताते हैं, "इस आग से जंगल को भारी नुकसान पहुंचा है और करीब 5,800 एकड़ जंगल पूरी तरह नष्ट हो गए हैं. आग का असर इलाके के 53 गांवों पर पड़ा है. इसमें कई मकान नष्ट हो गए हैं और 20 पालतू पशुओं की मौत हो गई है. कई लोगों को शिविरों में ले जाया गया है.”

उनका कहना है कि कुछ इलाकों में आग अब भी सुलग रही है. राज्य में पहले से ही कोरोना का प्रकोप है. अब इस आग ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. नुकसान के विस्तृत ब्यौरे का इंतजार किया जा रहा है. अधिकारी ने बताया कि लुंगलेई में आग ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. आग लगने के कारणों की राज्य सरकार जांच कराएगी. आग के मानव जनित होने का भी अंदेशा जताया जा रहा है.

लुंगलेई स्थित आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम. मिजाएल बताते हैं कि आग पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है लेकिन गांव के कुछ बिना आबादी वाले हिस्सों में यह अब भी सुलग रही है. हम वहां नजदीकी निगाह रख रहे हैं. तेज हवाओं और सूखे मौसम की वजह से वहां आग भड़क सकती है. उन्होंने बताया कि आग से खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है. लेकिन किसी व्यक्ति के मरने या घायल होने की सूचना नहीं है. प्रभावित परिवारों को शरणार्थी शिविर में रखा गया है.

पर्यावरणविदों की चिंता

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या का समाधान और अधिक व्यापक होना चाहिए. इलाके में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.

एक विशेषज्ञ डॉ. जतीन कुमार बनर्जी कहते हैं, "हर साल किसी न किसी जंगल में भीषण आग लगती है और हर बार हम ऐसी आपदा का सामना करने के लिए तैयार नहीं होते हैं. मिजोरम में हर साल बारिश के सीजन से पहले पानी की कमी रहती है. साथ ही सरकार का पूरा ध्यान कोरोना पर है. इससे आग लगने की स्थिति में समस्या गंभीर हो जाती है.”

डॉ. बनर्जी का कहना है कि पूर्वोत्तर में आग से जंगल का नष्ट होने का पर्यावरण पर बेहद प्रतिकूल असर होता है.

एक अन्य पर्यावरण विशेषज्ञ के. लालसामा कहते हैं, "इलाके में अकेले इसी साल आग लगने की छोटी-बड़ी करीब एक दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं. लेकिन लगता है सरकार या संबंधित अधिकारियों ने उनसे कोई सबक नहीं सीखा है. हालांकि कोरोना का बढ़ता प्रकोप भी इस ओर से उदासीनता की एक प्रमुख वजह हो सकता है. लेकिन ऐसे खतरों के प्रति भी सतर्क रहना होगा. बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं इलाके की जैव-विविधता और पर्यावरण को ऐसा नुकसान पहुंचा सकती हैं जिनकी भरपाई संभव नहीं है.”

मिजोरम के कुल क्षेत्रफल में 85.41 फीसदी जंगल है. लेकिन वर्ष 2002 से 2020 के दौरान आग लगने और पेड़ों की अवैध कटाई की वजह से इसमें 4.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

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