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मानवाधिकारों पर पीछे जा रही है दुनिया

२२ फ़रवरी २०१८

एमनेस्टी इंटरनेशनल की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियां अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए, "पीछे जाने का युग ले कर आई हैं."

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USA Chicago - Proteste gegen Trumps Einreisestopp
तस्वीर: picture-alliance/AA/B. S. Sasmaz

मानवाधिकारों की वकालत करने वाली एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, "ट्रंप के पीछे हटते कदमों ने मानवाधिकारों के मामले में एक खतरनाक उदाहरण पेश किया है जो दूसरी सरकारें भी अपना रही हैं." एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सिसी, फिलिपींस के राष्ट्रपति रोद्रिगो दुतेर्ते, वेनेज्वेला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो, रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत दूसरे नेता, "करोड़ों लोगों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं."

एमनेस्टी के महासचिव सलिल शेट्टी का कहना है, "अमेरिकी सरकार के साफ तौर पर नफरत भरे कदम ने जनवरी में कई मुस्लिम देशों के लोगों के अमेरिका आने पर रोक लगा दी और इसके साथ इस साल का एजेंडा तय हो गया जिसमें नेताओं ने नफरत की राजनीति को एक खतरनाक नतीजे तक पहुंचा दिया."

Bangladesch Rohingya-Flüchtlinge in Palong Khali
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Armangue

सलिल शेट्टी के मुताबिक, "हमने इसका नतीजा देखा कि समाज में नफरत और डर को बढ़ावा मिला और बलि का बकरा बने अल्पसंख्यक. म्यांमार में सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ बर्बर जातीय सफाए का अभियान चलाया." सलिल शेट्टी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर म्यांमार, इराक, दक्षिणी सूडान, सीरिया और यमन में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर "कमजोर प्रतिक्रिया" का आरोप लगाया.

एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन ने, "महिला अधिकारों के मामले में बहुत खराब नतीजे दिए, सार्वजनिक रूप से प्रताड़ना को समर्धन दिया गया और लाखों लोगों से स्वास्थ्य सेवा छीन ली गई." रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "इसके साथ ही मीडिया को कमजोर किया गया, गोरे लोगों की प्रभुसत्ता पर टालमटोल किया गया, ट्रांसजेंडर लोगों के साथ भेदभाव हुआ और छोटे हथियारों के निर्यात पर रोक को कमजोर करने की कोशिश हो रही है."

Deutschland Demo - Syrien Afrin - Konflikt Türkei-Kurden (Getty Images/J. McDougall)
तस्वीर: AFP/Getty Images

एमनेस्टी का यह भी कहना है कि इस तरह की "पीछे जाने की नीतियों" ने बहुत से लोगों को लंबे समय के संघर्ष में उतरने के लिए प्रेरित किया है. इसने कई सकारात्मक कदम भी दिखाए जैसे कि चिली में गर्भपात पर पूरी तरह से रोक को हटा लिया गया, ताइवान में शादी में बराबरी की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ाया गया और अबूजा और नाइजीरिया से लोगों को जबरन निकालने को रोकने की दिशा में "ऐतिहासिक प्रगति" हुई.

एमनेस्टी इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक मार्गरेट हुआंग का कहना है कि दुनिया भर में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए काम करने वाले लोग, "अमेरिका की तरफ उनके साथ खड़े होने के लिए देख सकते हैं, वो भी तब जबकि अमेरिकी सरकार नाकाम हो गई है."

रिपोर्ट में मानवाधिकारों के लिए अभिव्यक्ति की आजादी, फेक न्यूज से लड़ने के प्रति सरकारों की प्रतिबद्धता और सरकारों के अधिकार को चुनौती देने वाली संस्थाओँ पर हमले का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर आरोप लगाया गया है, "वह 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के नाम पर ऐसे कानून बना रही है जिनसे मानवाधिकारों को गंभीर खतरा पैदा हो गया है."

इसके साथ ही तुर्की के बारे में कहा गया है, "विरोध को निरंकुश तरीके से दबाया गया, पत्रकारों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और एमनेस्टी के कर्मचारी समेत मानवाधिकार के रक्षकों को निशाना बनाया गया."

एमनेस्टी ने यह भी कहा है कि तुर्की में अब भी दुनिया की सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी रह रही है जिसमें केवल सीरिया के ही 30 लाख से ज्यादा नागरिकों के नाम दर्ज हैं. बावजूद इसके वहां से लोगों को "जबरन वापस भेजने का खतरा मौजूद है." एमनेस्टी की रिपोर्ट में सीरिया की सीमाओं पर हो रहे युद्ध का भी जिक्र किया गया है.

एनआर/एके (डीपीए)