मानव मल से होगी खाद्य सुरक्षा
३० नवम्बर २०१०द सॉयल एसोसिएशन ब्रिटेन की सबसे बड़ी ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन संस्था है. उसका कहना है, "अनुमानतः विश्व भर में मानवीय आबादी द्वारा परित्याग किए जाने वाले तीस लाख टन फॉसफोरस का सिर्फ 10 फीसदी वापस धरती में पहुंचता है."
फसल के विकास में फॉसफोरस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बीज बनने, जड़ विकसित होने और अनाज के विकसित होने में फॉसफोरस की पर्याप्त मात्रा की आपूर्ति जरूरी है. इस समय मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए फॉसफोरस का इस्तेमाल खाद के रूप में किया जाता है.
द सॉयल एसोसिएशन की रिपोर्ट का कहना है कि फॉसफेट की चट्टानों से मिलने वाला फॉसफोरस 2033 तक अपनी चोटी पर होगा. उसके बाद वह महंगा और दुर्लभ होता जाएगा. रिपोर्ट का कहना है, "हम फॉसफोरस की कमी, फसल उत्पादन के गिरने और उसके कारण खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ने की स्थिति का मुकाबला करने के लिए कतई तैयार नहीं हैं."
यूरोप में भी पहले मवेशियों के गोबर और मानव मल से फॉसफोरस वापस जमीन में पहुंचता था, लेकिन 19वीं सदी के मध्य से इसका स्थान खानों से निकलने वाले फॉसफोरस ने ले लिया. अब द सॉयल एसोसिएशन ने यूरोपीय संघ के नियमों में संशोधन की मांग की है ताकि भारी धातु के न रहने पर सीवेज से निकलने वाले कीचड़ बायोसॉलिड का इस्तेमाल हो सके.
यूरोप में मानव मल और औद्योगिक कचड़े सहित अन्य कचड़े को मिलाए जाने के कारण खेतों में बायोसॉलिड के इस्तेमाल पर रोक है. रिपोर्ट में कहा गया है, "भारी धातु के स्तर में हाल के सालों में गिरावट आई है और अब वे इतने कम हैं कि ऑर्गेनिक आंदोलन सफाई किए गए सीवेज कीचड़ के इस्तेमाल की अनुमति देने पर विचार कर सकता है, यदि वे सख्त मानकों का पालन करते हों."
द सॉयल एसोसिएशन की रिपोर्ट में लोगों के आहार में मांस का हिस्सा घटाने की मांग भी की गई है ताकि खानों से निकलने वाले फॉसफोरस की मांग कम की जा सके.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/महेश झा
संपादन: वी कुमार