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माओवादियों ने दूसरे बंधक को छोड़ा

१२ अप्रैल २०१२

माओवादी विद्रोहियों ने इटली के अगवा नागरिक को छोड़ दिया है. पाउलो बासुस्को को उड़ीसा में जंगलों से एक और साथी के साथ महीने भर पहले अगवा किया गया. राज्य सरकार इसके बदले में 5 विद्रोहियों को आजाद करने पर रजामंद हो गई है.

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तस्वीर: AP

पाउलो बासुस्को और इतालवी सैलानी क्लाउडियो कोलैंजेलो को पिछले महीने की 14 तारीख को उड़ीसा में ट्रेकिंग करने के दौरान माओवादियों ने अगवा कर लिया. कोलैंजेलो को तो 11 दिन बाद ही छोड़ दिया गया लेकिन पाउलो उनकी कैद में ही रहा. इस बीच सरकार के साथ विद्रोहियों की बातचीत चलती रही. छूटने के बाद बासुस्को ने बताया कि माओवादी उसके साथ अच्छी तरह पेश आए. राजधानी भुवनेश्वर में पत्रकारों से बातचीत में बासुस्को ने कहा, "मेरा स्वास्थ्य ठीक है, कोई चिंता की बात नहीं है. मुझे उड़ीसा से प्यार है. सबसे पहले मैं इटली जाना चाहता हूं ताकि अपने परिवार के लोगों से मिल सकूं." पाउलो बासुस्को भारत में 12 साल से ज्यादा वक्त से रह रहे हैं. वह उड़ीसा के तटवर्ती शहर पुरी से एक एडवेंचर टूरिज्म की एजेंसी चलाते हैं.

पुलिस ने बताया कि माओवादियों ने पाउलो को कंधमाल जिले के घने जंगलों में कैद कर रखा था. माओवादियों के एक दूसरे गुट ने तीन हफ्ते से सत्ताधारी बीजेडी के एक स्थानीय विधायक को भी अगवा कर रखा है. विधायक की रिहाई के लिए 30 और विद्रोहियों को रिहा करने की मांग सरकार से की गई है.

इटली के नागरिकों को माओवादी नेता सब्यसाची पाण्डा के गुट ने अगवा किया था. सब्यसाची पांडा की बीवी सुभाश्री दास उर्फ मिली को एक दिन पहले ही रिहा किया गया. उन पर 2003 में एक पुलिस मुठभेड़ में शामिल होने का आरोप था लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. पहले ऐसी खबर आई थी कि सब्यसाची पाण्डा की तरफ से बंधकों को छोडने के बदले सरकार से जिन सात लोगों की रिहाई मांगी गई है उनमें सुभाश्री का भी नाम था. हालांकि सुभाश्री इससे इनकार कर रही हैं. उनका कहना है, "मेरी रिहाई का माओवादियों की शर्त से कोई लेना देना नहीं है. मेरे खिलाफ केस में दम नहीं था इसलिए कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया." सुभाश्री ने इतालवी नागरिकों को अगवा करने की कार्रवाई की निंदा की और इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की भी पेशकश की. हालांकि अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी.

एनआर/एमजे(एपी, पीटीआई)

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