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समाज

महबूबा मुफ्ती के आक्रामक तेवर, बोलीं जारी रहेगा संघर्ष

१४ अक्टूबर २०२०

पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के ठीक पहले राज्य के नेताओं को केंद्र सरकार ने नजरबंद कर दिया था. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी शामिल थीं. अब मुफ्ती को भी छोड़ दिया गया है.

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तस्वीर: Getty Images/S. Hussain

मंगलवार 13 सितंबर को नजरबंदी से रिहाई के फौरन बाद महूबबा मुफ्ती ने एक ऑडियो संदेश जारी कर अपने सख्त तेवर जाहिर कर दिए हैं. जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत महूबबा को नजरबंद किया गया था. पिछले साल नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला समेत अन्य नेता भी नजरबंद कर दिए गए थे. जिनमें कांग्रेस के भी कुछ नेता शामिल थे. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को महूबबा मुफ्ती की नजरबंदी पीएसए के तहत खत्म कर दी.

अपनी रिहाई के बाद महबूबा ने ऑडियो संदेश जारी किया है और कहा कि, "5 अगस्त 2019 के काले दिन का काला फैसला हर वक्त मेरे दिल पर वार करता है." मुफ्ती ने 1.23 मिनट के ऑडियो संदेश में कहा, "मैं आज एक साल से भी ज्यादा अरसे के बाद रिहा हुई हूं. इस दौरान 5 अगस्त, 2019 के काले दिन का काला फैसला, हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता है और मुझे अहसास है कि यही कैफियत जम्मू-कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी. हम में से कोई भी शख्स उस दिन की डाकाजनी और बेइज्जती को कतई भूल नहीं सकता."

केंद्र सरकार पर अनुच्छेद 370 खत्म करने को लेकर हमला करते हुए उन्होंने आगे कहा, "अब हम सबको यह इरादा करना होगा कि दिल्ली दरबार ने 5 अगस्त को जो गैर-कानूनी, गैर-लोकतांत्रिक, गैर-कानूनी तरीके से हमसे छीन लिया, उसे वापस लेना होगा. बल्कि उसके साथ-साथ मसले कश्मीर, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर में हजारों लोगों ने अपनी जानें न्योछावर कीं, उसको हल करने के लिए हमें अपनी जद्दोजहद जारी रखनी होगी. मैं मानती हूं कि ये राह कतई आसान नहीं होगी लेकिन मुझे यकीन है कि हम सब हौसला बनाए रखेंगे."

ट्विटर पर जारी ऑडियो संदेश में मुफ्ती ने देशभर की जेलों में बंद जम्मू-कश्मीर के लोगों को रिहा करने की भी मांग की. महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की अकेली ऐसी बड़ी नेता थीं, जिन्हें इतने लंबे समय तक हिरासत में रखा गया था. पीडीपी के कार्यकर्ता अपनी नेता की रिहाई से खुश हैं और आगे की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. पीडीपी के प्रवक्ता वाहिद पारा ने डीडब्ल्यू को बताया कि महबूबा मुफ्ती जल्द ही मीडिया से मुखातिब होंगी और अपनी बात को राज्य और देश के सामने रखेंगी.

उनके मुताबिक, "एक लंबे अरसे के बाद उनकी रिहाई हुई है और सियासत अब शुरू होगी. हमें अपनी बात रखने का लोकतांत्रिक अधिकार है और उसे कोई छीन नहीं सकता है." पारा कहते हैं कि मुफ्ती की रिहाई के बाद लोगों के मन में उम्मीद जगी है और पार्टी ही नहीं जनता को भी हिम्मत मिली है.

महबूबा मुफ्ती की रिहाई का स्वागत कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने किया है. कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर मुफ्ती के नजरबंदी से रिहा होने पर खुशी जताई है. वहीं उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर कहा, "मुझे यह सुनकर खुशी हुई कि महबूबा मुफ्ती को एक साल से भी अधिक समय तक हिरासत में रखे जाने के बाद रिहा किया गया. उनको लगातार हिरासत में रखना एक मजाक था और लोकतंत्र के बुनियादी उसूलों के खिलाफ था."

बीते 31 जुलाई को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पीएसए के तहत महबूबा की नजरंबदी को तीन महीने और बढ़ा दिया था. महबूबा की रिहाई से आने वाले दिनों में घाटी में नई सियासी रणनीति बनती दिख रही है. ऐसा संभावना है कि तमाम दल केंद्र के फैसले के खिलाफ लामबंद होंगे. विकल्पों पर बोलते हुए पारा कहते हैं, "हम बाहर जाएंगे और लोगों से संवाद करेंगे और अगर सरकार दोबारा लोगों को बंद करना चाहें तो बंद कर दें. हमें एक साथ ही सबकुछ करना पड़ेगा. जैसा माहौल है उसके हिसाब से जो भी करना होगा साथ (राजनीतिक दलों को) मिलकर करना होगा."

महबूबा जब नजरबंद की गईं थी तब उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ही ट्विटर के जरिए उनकी बात रख रही थीं और सरकार के फैसले की आलोचना करती थीं. उन्होंने पूरे समय ट्विटर के माध्यम से देश और दुनिया भर में अपनी मां की आवाज पहुंचाई.

इल्तिजा ने ही महबूबा को हिरासत में रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और दो दिन बाद इस मामले पर सुनवाई भी होने वाली थी. पिछली सुनवाई 29 सितंबर को हुई थी और कोर्ट ने सवाल किया था कि और कितने समय के लिए उन्हें हिरासत में रखा जाएगा. एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सुनवाई के लिए जवाब तैयार था लेकिन फैसला लिया गया कि उन्हें अगली सुनवाई से पहले ही रिहा कर देना बेहतर है.

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