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मतभेदों के बीच बर्लिन में नाटो की बैठक

१४ अप्रैल २०११

लीबिया में सैनिक कार्रवाई पर मतभेदों के बीच बर्लिन में नाटो की बैठक हो रही है जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी शामिल होंगी. लीबिया में चल रही सैनिक कार्रवाई के खर्च के मसले पर पश्चिमी देशों में मतभेद हैं.

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तस्वीर: AP

बुधवार को वॉशिंगटन के पास एंड्रूज एयर फोर्स बेस से विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने उड़ान भरी. वह पहले बर्लिन आएंगी जहां नाटो की एक अहम बैठक होने वाली है. इस बैठक में शामिल होने के बाद क्लिंटन जापान और दूसरे देशों की यात्रा पर निकल जाएंगी.

लीबिया के नेता कर्नल मुअम्मर गद्दाफी को अपने ही लोगों के खिलाफ हमला करने से रोकने के लिए शुरू की गई सैन्य कार्रवाई अब ब्रिटेन और फ्रांस को चुभने लगी है. इन दोनों ने हमला बोलने में तो देर नहीं लगाई, लेकिन वे अब इस लड़ाई को लंबी खिंचते देख दूसरे देशों से सहयोग करने की अपील कर रहे हैं. दोनों देशों ने लीबिया में कार्रवाई के लिए और अधिक लड़ाकू विमानों की जरूरत बताई है.

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तस्वीर: AP

फ्रांस के विदेश मंत्री एलैं जुप्पे ने कहा कि जर्मन राजधानी बर्लिन में नाटो की बैठक के दौरान वह अपनी चिंता जाहिर करेंगे. यह बैठक गुरुवार और शुक्रवार को होगी. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान में जंग तेज कर दी है और इराक में सैन्य अभियान बंद करने के दावे किए जा रहे हैं. इसके बाद ओबामा प्रशासन चाहता है कि लीबिया पर चल रही सैन्य कार्रवाई के खर्च का बोझ यूरोपीय देश उठा लें.

आम लोगों पर हमले की निंदा

हिलेरी क्लिंटन ने इस बीच कहा है कि लीबिया से ऐसी खबरें आ रही हैं कि गद्दाफी की सेना आम लोगों पर जुल्म कर रही है. इससे अमेरिका चिंतित है. क्लिंटन ने कहा कि गद्दाफी शासन के नियंत्रण वाली मिलिशिया ने मोर्टार और भारी हथियारों से मिसराता के रिहायशी इलाकों पर गोलीबारी की है. क्लिंटन के मुताबिक खबर यह भी है कि गद्दाफी की सेना ने पानी की टंकी तोड़ दी है. सघन आबादी वाले इलाके के घरों में बिजली और पानी की सप्लाई रोक दी गई है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इलाज कराने जा रहे लोगों को ढूंढ ढूंढ कर निशाना बनाया जा रहा है. सैकड़ों लोगों को टैंक के दम पर बलपूर्वक घर से बाहर निकाल दिया गया है. उन्होंने इन कार्रवाइयों की निंदा करते हुए इन्हें तुरंत रोकने की मांग की है. क्लिंटन ने यह भी कहा कि अमेरिका इन कार्रवाइयों के आंकड़े रख रहा है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

हिलेरी क्लिंटन नाटो की बैठक में शामिल होने के बाद दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हो जाएंगी, जहां उनकी राष्ट्रपति ली म्यूंग बाक से बात होगी. इसके बाद वह जापान जा कर भूकंप और सूनामी से प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगी. अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि क्लिंटन जापान के साथ एकजुटता दिखाना चाहती हैं. जापान पर आया संकट दूसरे विश्व युद्ध के बाद देश के लिए सबसे बड़ी त्रासदी कहा जा रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए कुमार

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