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मजदूर घर पहुंचे भी नहीं और महाराष्ट्र के उद्योग मुश्किल में

क्रिस्टीने लेनन
२७ मई २०२०

कोरोना संकट में जब लॉकडाउन हुआ तो मजदूरों की चिंता किसी ने नहीं की. इस बीच महाराष्ट्र से लाखों प्रवासी कामगार वापस घर को जा चुके हैं. कामगारों के इस रिवर्स माइग्रेशन से राज्य के औद्योगिक केंद्रों में चिंता है.

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Indien Wanderarbeiter verlassen Neu Delhi wegen der Corona Pandemie
लौट रहे हैं प्रवासी कामगारतस्वीर: Reuters/A. Abidi

महाराष्ट्र की पहचान भारत के अग्रणी औद्योगिक राज्य के रूप में होती है. देश की जीडीपी में लगभग 15 फीसदी का योगदान देने वाला यह राज्य कोरोना वायरस और इसके चलते लागू किए गए देशव्यापी तालाबंदी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. तालाबंदी ने प्रवासी कामगारों से काम छीन लिया तो राज्य की औद्योगिक पहचान पर खतरा भी मंडराने लगा है. राज्य की औद्योगिक इकाईयों में देश के अलग अलग क्षेत्रों से आकर लोग काम करते हैं. राज्य के कुल कामगारों में 20 फीसदी कामगार बाहरी हैं. लाखों मजदूर अपने अपने घरों को लौटने लगे है. जो अभी नहीं जा पाए हैं, वह भी जाने की जुगत में हैं.

उद्योगों में मैनपावर की कमी

देश में प्रवासी मजदूरों की संख्या 10 करोड़ के आसपास है. महाराष्ट्र के उद्योग धंधों में कितनी संख्या में दूसरे राज्यों से आए प्रवासी मजदूर काम करते हैं, इस बारे में सरकार के पास भी कोई सटीक आंकड़ा नहीं है. एक अनुमान के अनुसार ऐसे कामगारों की संख्या 70 लाख से अधिक है. ये कामगार रियल इस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्सटाइल मिलों में काम करते हैं. इसके अलावा लाखों ऐसे लोग भी हैं जो घरेलू नौकर, सुरक्षा गार्ड और सब्जी विक्रेता जैसे काम करते हैं. राज्य में लगभग 3 लाख रेहड़ी पटरी वाले हैं, जिनमें से अधिकतर प्रवासी हैं. ऑटो-टैक्सी चलाने या छोटा व्यवसाय करने में माहिर ये लोग स्वतंत्रता के पहले से ही यहां आर्थिक गतिविधियों का हिस्सा रहे हैं. राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख कहते हैं कि 20 लाख से ज्यादा प्रवासी कामगारों ने अपने गृह प्रदेश जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. इससे कहीं अधिक कामगार पहले ही अपने गृह राज्यों को वापस जा चुके हैं. प्रवासी मजदूरों के जाने से राज्य की औद्योगिक इकाईयों में मैनपावर की कमी हो गई है.

Indien Maharashtra-Chefminister Uddhav Thackeray legt Eid ab
उद्धव ठाकरेतस्वीर: IANS

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मैनपावर की कमी को स्वीकार करते हुए स्थानीय लोगों से सामने आने का अनुरोध किया है. जेम्स एंड ज्वेलरी काउंसिल के अनुसार मुंबई में 3 लाख बंगाली कारीगर हैं जो गोल्ड इंडस्ट्री से जुड़े हैं. इसमें से 50 फीसदी लोग गांव जा चुके हैं, जबकि बाकी लोगों को सोना कारोबारियो ने अपने प्रयासों से रोक रखा है. कामगारों के जाने से रियल इस्टेट में भी संकट गहरा गया है. महाराष्ट्र में लाखों प्रवासी मजदूर रियल इस्टेट और इससे जुड़े उद्योगों के जरिए अपना जीवनयापन करते हैं. इनमें से आधे से अधिक लोग अब लौट चुके हैं. स्वाभिमान टैक्सी रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष केके तिवारी बताते हैं कि मुंबई में लगभग 5 लाख ड्राइवर हैं जिनमें से 40 फीसदी जा चुके हैं. उनका कहना है, "स्थिति सामान्य होने के बाद ऑटो और टैक्सी चालकों की कमी महसूस होगी."

कामगारों की कमी को पूरा करने का प्लान

राज्य सरकार रिवर्स माइग्रेशन से अंजान नहीं है. राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई का कहना है कि उद्योग क्षेत्र में कर्मचारियों की कमी की दूर करने के लिए कामगार विनिमय ब्यूरो बनाया जाएगा. इसके साथ ही अल्पकालीन प्रशिक्षण केंद्र शुरू किए जाएंगे. ब्यूरो उद्योगों को मजदूर उपलब्ध कराएगा. प्रवासी कामगारों की जगह स्थानीय लोग ले पाएंगे इसमें उद्योग जगत को संदेह है. लॉकडाउन से उद्योग और व्यापार को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. मजदूरों की कमी से अब इसके चरमराने की नौबत आ सकती है.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार का कहना है कि उद्योग अपना काम काज बहाल करने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में मजदूर अपने मूल स्थानों को जा चुके हैं. शरद पवार ने महाराष्ट्र में औद्योगिक गतिविधियां फिर शुरू करने के लिए श्रमिकों की व्यवस्थित वापसी की योजना की वकालत की है. नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अनुराग कटियार का कहना है कि रेस्तरां इंडस्ट्री को अब स्थानीय लोगों के भरोसे ही चलाना पड़ेगा. वह कहते हैं कि मुंबई जैसे शहरों में नए कामगारों को ढूंढना चुनौतीपूर्ण होगा.

Indien Chef der Nationalistischen Kongresspartei (NCP), Sharad Pawar
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साथ शरद पवारतस्वीर: IANS

संकट को अवसर में बदलने की कोशिश

लॉकडाउन के बाद रिवर्स माइग्रेशन ने राज्य की औद्योगिक तस्वीर को बदल कर रख दिया है. राज्य के प्रधान सचिव भूषण गगरानी ने कहा है कि लॉकडाउन की वजह से राज्य की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है. इसे पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा है. उनके अनुसार मुंबई और पुणे को छोड़कर राज्य के अन्य सभी जिलों में 56,600 उद्योग-धंधों को शुरू करने की अनुमति दी गई है. यहां कामगारों की कमी के चलते कारखाने पूरी क्षमता के साथ काम कर पाने में असमर्थ हैं. उद्योग मंत्री सुभाष देसाई का कहना है कि कोरोना संकट के कारण उद्योग क्षेत्र में मराठी युवाओं के लिए नए अवसर पैदा हुए हैं. इसलिए मराठी नौजवानों को नए मौके का फायदा उठाना चाहिए.

उद्योग क्षेत्र में आगामी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने नीतियां और योजना तैयार की है. इसमें प्रवासी कामगारों की भरपाई के साथ राज्य के युवाओं रोजगार मुहैया कराने की कवायद की गयी है. राज्य ऐसी कंपनियों का स्वागत करने को तैयार है जो कोरोना संकट के चलते चीन से निकल रही है. इन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए जमीन, सड़क और अन्य सुविधाएं तैयार रखा गया है. इसके अलावा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने का फैसला किया है. नए उद्योगों को कागजी कार्रवाई से बचाने के लिए एक महालाइसेंस सुविधा शुरू की गई है. इसी तरह बड़े निवेशकों को उद्योगमित्र की सुविधा दी जाएगी जो कुछ कुछ रिलेशनशिप मैनेजर की तरह सभी जरूरी मदद करेगा.

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