मछली पकड़ने में भी चीन सबसे आगे
चीन मछलियां पकड़ने के मामले में सिरमौर बन कर उभरा है. कतार में मौजूद दूसरे दस देशों के आंकड़ों को जोड़ कर भी उससे पार नहीं पाया जा सकता है.
चीन के मछुआरों ने 2016 में मछली पकड़ने के लिए समंदर में करीब 1.7 करोड़ घंटे गुजारे. चीन के बाद मछली पकड़ने में ताइवान का नंबर आता जिसके मछुआरों ने समंदर में करीब 22 लाख घंटों तक मछली पकड़ी.
मछुआरे ज्यादातर चीन के दक्षिणी तट से जुड़े इलाकों में ही मछली पकड़ते हैं. हालांकि वे अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के दूर दराज के इलाकों तक भी मछली पकड़ने जाते हैं.
ग्लोबल फिशिंग वॉच ने बीते पांच सालों के आकंड़े जमा कर उनका विश्लेषण किया है. दूर दराज के इलाकों में मछली मारने के लिए चीन के पास दुनिया का सबसे विशाल बेड़ा है. इसमें 2500 से ज्यादा नावें हैं.
मछली पकड़ने वालों का सब जगह स्वागत नहीं होता. देशों के आर्थिक जोन में मछली पकड़ने वाले बड़े जहाजों को जाने की अनुमति नहीं होती. संयुक्त राष्ट्र ने इसकी सीमा किनारों से 200 किलोमीटर तक रखी है.
पिछले साल चीनी मछुआरों के जहाजों को अवैध रूप से मछली पकड़ने के लिए सेनेगल, गिनी, सिएरा लियोन, गिनिया बिसाउ में पकड़ा गया. 2016 में तो अर्जेंटीना के तटरक्षक बल ने एक चीनी जहाज को डुबो भी दिया था.
चीन के तट से लगते इलाकों और उत्तरी और दक्षिण यूरोप के सागर जल में बड़ी संख्या में मछलियां मिलती हैं. आंकड़े बताते हैं कि करीब 55 फीसदी समुद्री इलाकों में मछली पकड़ी जाती है. धरती की खेती से इसकी तुलना करें तो करीब यह उससे करीब चार गुना ज्यादा है.
चीन में दुनिया की एक तिहाई मछली का उत्पादन होता है. चीन के कुल मछली उत्पादन का करीब दो तिहाई घरेलू स्तर पर तालाब, टैंक और नदियों से पकड़ी गई मछली के रूप में होता है. बाकी का हिस्सा समुद्री इलाकों से पकड़ी गई मछलियों से पूरा होता है.
मछली और मछली से बनी दूसरी चीजों के निर्यात में चीन 2016 में दूसरे नंबर पर रहा था. यहां यूरोपीय संघ सबसे आगे है जबकि भारत सातवें नंबर पर है. भारत और चीन के बीच में नॉर्वे, वियतनाम, अमेरिका, और थाईलैंड हैं. अमेरिका इनका सबसे बड़ा आयातक देश है.
चीन, स्पेन, ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया समुद्री इलाकों में सबसे ज्यादा मछली पकड़ने वाले देश हैं. समुद्र से मछली पकड़ने में इन देशों की करीब 85 फीसदी हिस्सेदारी है.