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मंदिर के अतिक्रमण के चलते रेलवे स्टेशन को बंद करने की नौबत

समीरात्मज मिश्र
२९ अप्रैल २०२२

उत्तर प्रदेश में आगरा स्टेशन के पास सौ साल से भी पुराने राजा मंडी स्टेशन को बंद करने की नौबत आ गई है. वजह है स्टेशन पर स्थित एक मंदिर जिससे स्टेशन के आधुनिकीकरण और विस्तार का काम रुक गया है. देश भर में ऐसे कई मामले हैं.

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Indien l Tempel in Agra von der Schließung bedroht
उत्तर प्रदेश में राजा मंडी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक से लगा मंदिर तस्वीर: Ashok Lavania

उत्तर प्रदेश में आगरा डिवीजन के डीआरएम आनंद स्वरूप ने एक पत्र जारी करके बताया है कि राजा मंडी स्टेशन पर अवैध रूप से अतिक्रमण का कारण बन रहे चामुंडा देवी मंदिर को यदि वहां से नहीं हटाया गया, तो इस स्टेशन को बंद किया जा सकता है. उन्होंने लिखा है कि स्टेशन के कुछ हिस्से पर स्थित इस मंदिर की वजह से यात्रियों की आवाजाही में दिक्कत होती है. इसके अलावा रेलगाड़ियों की रफ्तार भी कम करनी पड़ती है जिससे ज्यादा दूरी वाली ट्रेनों के संचालन में समस्या आती है. डीआरएम आनंद स्वरूप ने यह जानकारी अपने टि्वटर हैंडल पर एक पत्र को ट्वीट करते हुए दी है.

आगरा रेल मंडल के तहत आने वाले राजा मंडी स्टेशन पर ही बहुत पुराना चामुंडा देवी मंदिर स्थित है. इस मंदिर का कुछ हिस्सा स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर आता है जिसकी वजह से यात्रियों को आने-जाने में परेशानी होती है. रेलवे विभाग ने कुछ समय पहले मंदिर को यहां से हटाने के लिए एक नोटिस भी चस्पा किया था और इसके लिए मंदिर प्रशासन को दस दिन का समय दिया गया था.

मंदिर को लेकर रेलवे का विवाद लंबे समय से चल रहा है. रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, मंदिर का क्षेत्रफल करीब 1700 जिसमें 600 वर्ग मीटर में मंदिर का भवन है जबकि 72 वर्ग मीटर का अवैध निर्माण प्लेटफॉर्म संख्या एक पर हुआ है. डीआरएम ने पत्र जारी कर कहा कि इसी 72 वर्ग मीटर अवैध निर्माण को हटाने के लिए कहा है. डीआरएम के मुताबिक यह न सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से खतरा है बल्कि कानूनी तौर पर भी गलत है.

150 के बजाय 30 किमी प्रति घंटा रह जाती है स्पीड

डीआरएम आनंद स्वरूप के मुताबिक, मंदिर की वजह से रेलवे लाइन को भी टेढ़ा करना पड़ा है जिसके कारण कोई भी ट्रेन यहां तीस किमी प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से नहीं गुजर पाती. उनके मुताबिक, हाई स्पीड ट्रेनों को यहां से गुजारने में समस्या होती है और उनका समय बर्बाद होता है. इन्हीं सबको देखते हुए आगरा रेल मंडल के प्रबंधक आनंद स्वरूप ने स्टेशन को बंद करने की चेतावनी दी है. आगरा-दिल्ली के इस रूट पर 150 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकती हैं, लेकिन मंदिर के कारण ट्रेन की गति 30 किमी प्रति घंटा ही रह जाती है. ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए राजामंडी स्टेशन का विस्तार होना है और मंदिर का यह अतिक्रमण इस विस्तार में बहुत बड़ी बाधा बना हुआ है.

रेलवे प्रशासन का कहना है कि इसके अलावा भी कई स्थानों और इमारतों से रेलवे अतिक्रमण हटाने का काम कर रहा है अनाधिकृत रूप से बने अन्य मंदिरों और मजारों को भी नोटिस दिया गया है. वहीं, चामुंडा देवी मंदिर के महंत का कहना है कि इससे पहले भी कई बार मंदिर को हटाने के लिए रेल प्रशासन ने नोटिस दिए हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. मंदिर प्रशासन मंदिर को वहां से न हटाने की जिद पर अड़ा है. ऐसे में स्टेशन को बंद करने की स्थिति आ सकती है.

देश भर में विकास और विस्तार के रास्ते में दिखते हैं मंदिर-मजार

भारत में रेलवे स्टेशनों के बीचोंबीच, रेलवे लाइनों के किनारे और कई बार तो दो प्लेटफॉर्म्स के बीच मजार और मंदिर दिख जाते हैं. ये निर्माण कई साल पहले हुए हैं और कुछ पर तो श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी लगती है. लेकिन कई बार इन धार्मिक स्थलों की वजह से न सिर्फ यात्रियों को परेशानी होती है बल्कि कानून-व्यवस्था के लिए भी विकट स्थिति पैदा हो जाती है.

धार्मिक स्थलों के नाम पर अतिक्रमण या सरकारी जमीन पर कब्जे के ढेरों उदाहरण देखने में आते हैं और कई बार जब उन्होंने हटाने की कोशिश होती है तो धर्म का हवाला देकर लोग विरोध भी करते हैं. हालांकि विरोध को दरकिनार करते हुए अकसर इस तरह के निर्माण ढहाए जाते हैं. हाल ही में दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुए दंगों के बाद वहां भी मस्जिद के अवैध अतिक्रमण को बुलडोजर से ढहा दिया गया जबकि मंदिर के अतिक्रमण को भी स्थानीय लोगों ने खुद ही साफ कर दिया. सरकारी बुलडोजर मंदिर के अतिक्रमण को इसलिए नहीं ढहा सका था कि तब तक सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर पर रोक लगा दी थी.

Indien l Zerstörungen in Jahangirpuri trotz Gerichtsanordnung
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में बीते दिनों अतिक्रमण के खिलाफ हुई कार्रवाई की झलकतस्वीर: Sameeratmaj Mishra

शहरों के सुंदरीकरण और सड़कों को चौड़ा करने के लिए भी कई बार इस तरह के अवैध अतिक्रमण गिराने पड़ते हैं. चार साल पहले प्रयागराज में कुंभ के दौरान शहर के सैकड़ों मंदिरों और मजारों को ढहाया गया था जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था. लेकिन प्रशासन का दावा था कि सिर्फ उन्हीं मंदिरों, मस्जिदों और मजारों को हटाया गया जो अवैध तरीके से बने हुए थे.

कुछ राज्यों में कानूनी तौर पर पहल

उत्तर प्रदेश में पिछले साल योगी आदित्यनाथ सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए नया कानून बनाने की तैयारी की थी. इस तरह के कानून राजस्थान और मध्य प्रदेश में बने हुए हैं और यूपी में राज्य विधि आयोग ने राज्य सरकार से इस बारे में सिफारिश की थी. आयोग ने एक साल तक विभिन्न राज्यों में लागू व्यवस्थाओं का अध्ययन करके इसके लिए अलग कानून बनाए जाने का प्रारूप तैयार किया है और कानून का सख्ती से अनुपालन कराने के लिए दंड तय किए जाने की भी अहम संस्तुति की गई है.

प्रारूप में कहीं भी अवैध तरीके से अतिक्रमण कर किसी धार्मिक स्थल को बनाए जाने के मामलों में दोषियों के खिलाफ तीन साल तक की सजा का भी प्रावधान किए जाने की सिफारिश की गई है. प्रतिवेदन में यह भी कहा गया है कि मंदिर, मस्जिद, मजार जैसे अन्य धार्मिक ढांचों का निर्माण कर सार्वजनिक भूमि पर कब्जा करने, आवागमन के मार्ग में बाधा उत्पन्न करने और शुरुआत में छोटा ढांचा बनाने के बाद उसे बड़ा करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है.

इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने साल 2009 में राज्य सरकारों को सार्वजनिक स्थानों पर बने धार्मिक स्थलों को हटाने व प्रतिस्थापित करने तथा अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए स्पष्ट नीति बनाकर कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन जून 2016 को राजमार्गों, सार्वजनिक सड़कों, गलियों, फुटपाथ और सड़क किनारे जैसी जगहों पर किसी भी धार्मिक संरचना और निर्माण करके अतिक्रमण न करने का निर्देश दिया था. इस मामले में शासन ने पिछले साल आदेश जारी कर ऐसे सभी अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए थे.