भ्रष्टाचार नहीं रोका अब हर्जाने की मांग
३० जुलाई २००८जर्मनी के आर्थिक इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि पूर्व मैनेजरों से हर्जाना मांगा गया हो. जर्मनी में ठेका पाने के लिए रिश्वत देने पर प्रतिबंध है. लेकिन सीमेंस में अधिकारियों ने कई सालों तक इसके लिए दो नंबरी खाता खोलकर कंपनी को आर्थिक रूप से नुकसान पहुँचाया और आला अधिकारी आंखें मूंदे रहे.
नुकसान का आयाम छोटा नहीं है. 1.3 अरब यूरो की हेराफेरी हुई. जुर्माने, वकील और सलाहकारों पर अब तक 1.9 अरब यूरो का ख़र्च हुआ है, और अभी इसका कोई अंत नहीं नज़र आ रहा है. मामले को निबटने में वर्षों लग सकते हैं. सीमेंस ने हर्जाने की न कोई रकम बताई है और न ही यह कि मुक़दमा कब किया जाएगा.
अपनी पहली प्रतिक्रिया में हाइ प्रोफ़ाइल उद्योगपति रहे हाइनरिष फ़ॉन पियरर ने गहरा अफ़सोस व्यक्त किया है. उनके वक़ील विनफ़्रीड ज़ाइबर्ट ने एक बयान जारी कर कहा है, स्वाभाविक रूप से वे आरोपों और घोषित कार्रवाईयों का प्रतिरोध करेंगे.
सोमवार को सीमेंस भ्रष्टाचार कांड से जुड़े पहले मुक़दमे में म्युनिख़ की अदालत ने दूरसंचार विभाग के एक पूर्व मैनेजर को 49 मामलों में लगभग पांच करोड़ यूरो का गबन करने और इस धन को दो नंबरी खातों में डालने के लिए दो साल निलंबित क़ैद की सज़ा सुनाई थी और 1 लाख 8 हज़ार यूरो का जुर्माना किया था.
न्यायाधीश पेटर नॉल ने अपने फ़ैसले में सीमेंस के ज़िम्मेदार अधिकारियों के व्यवहार की भी आलोचना की. सालों तक ठेका पाने के लिए रिश्वत देने की व्यवस्था से आंखें मूंदने को उन्होंने संगठित ग़ैरज़िम्मेदारानापन की संज्ञा दी. बचाव पक्ष के वक़ील ज़ालफ़ेल्ड ने कहा कि सारी व्यवस्था तभी संभव है जब या तो विभाग का या उद्यम का नेतृत्व इसकी अनुमति दे.
पूर्व अधिकारियों पर क्षतिपूर्ति का मुक़दमा उनकी प्रबंधन और निगरानी की अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा न करने की सज़ा देने के लिए किया जा रहा है, जिसके कारण भ्रष्टाचार कांड संभव हुआ. जर्मनी की प्रमुख कंपनियों में से एक सीमेंस में 1.3 अरब यूरो के भ्रष्टाचार कांड का पर्दाफाश होने के बाद तत्कालीन प्रमुख क्लाउस क्लाइनफ़ेल्ड को इस्तीफ़ा देना पड़ा था.
हर्जाने की मांग का मतलब यह नहीं है कि उद्यम के भूतपूर्व निदेशकों को रिश्वत देकर आर्डर लेने की प्रथा के बारे में पता था. लेकिन टुईबिंगेन विश्वविद्यालय के आर्थिक क़ानून विशेषज्ञ प्रो. मथियास हाबरज़ाक का कहना कि निदेशकों को अपने विभाग को नियम से नहीं चलाने के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है.
शेयरधारियों की प्रतिनिधि डानिएला बैर्गडोल्ट ने सीमेंस निगरानी परिषद के फ़ैसले को उचित ठहराया है. उन्होंने इसे जर्मन अर्थव्यवस्था के लिए सांकेतिक महत्व का बताते हुए कहा है कि यह मामला दिखाता है कि भ्रष्ट मैनेजरों के साथ भविष्य में क्या होगा.