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भुट्टो, गब्बर और भगवान भी चुनाव मैदान में

३ फ़रवरी २०१२

मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा क्षेत्र से जब डाक्टर प्रमोद कुमार अन्ना ने नामांकन दाखिल किया तो कचहरी के आस पास अन्ना जिंदाबाद और अन्ना जीतेगा जैसे नारे बुलंद होने लगे. खबर निकली तो टीम अन्ना के कान खड़े हुए.

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आगरा के भुट्टोतस्वीर: DW/Suhail Waheed

सक्रिय सदस्य अरविंद केजरीवाल को टीवी कैमरों के सामने कहना पड़ा कि ये वह अन्ना नहीं हैं. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अमर सिंह वाले राष्ट्रीय विचार मंच के इस प्रत्याशी को अन्ना का नाम इस्तेमाल करने की इजाजत टीम अन्ना ने नहीं दी है. उधर डाक्टर प्रमोद का कहना है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में मशहूर हो गए अन्ना से प्रभावित होकर उन्होंने अपने नाम में अन्ना नहीं जोड़ा है. उन्हें बचपन से ही अन्ना पुकारा जाता रहा है.

Bhimrao Ambedkar, Uttar Pradesh
बीएसपी के अंबेडकरतस्वीर: Suhail Waheed

नाम के इस फेर में अक्सर लोग फंसते रहे हैं और तरह तरह की गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं. इस चुनाव में बहराइच जिले की बलहा विधानसभा छेत्र से बीजेपी के टिकट पर सावित्री बाई फुले चुनाव लड़ रही हैं. सावित्री बाई का नाम महाराष्ट्र में बेहद सम्मान से लिया जाता है. उन्होंने 19वीं शताब्दी के शुरू में महाराष्ट्र में महिलाओं की शिक्षा के सुधार के लिए ज़बरदस्त काम किया.

लखनऊ में मायावती ने दलित संतों और महापुरुषों की जो मूर्तियां लगवाई हैं, उनमें सावित्री बाई की मूर्ति भी है. यही नहीं मायावती ने सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना भी चला रखी है, जिसके तहत साइकिल और 10,000 रुपये की राशि गरीब छात्राओं को दी जाती है. लेकिन सावित्री बाई फुले नाम की महिला बीजेपी से चुनाव लड़ रही है.

Mayawati, Uttar Pradesh, Wahlen
ये मायावती वो मायावती नहींतस्वीर: Suhail Waheed

मायावती की पार्टी क्यों सबसे ज्यादा ताकतवर होकर पिछले चुनाव में सामने आई. इस राज को उनके एक विधायक ने यूं खोला, "बहिनजी पार्टी की मीटिंग में कहती हैं कि जब अमेरिका उनकी पार्टी में मौजूद हो तो उन्हें किस बात की चिंता." ये अमेरिका कोई और नहीं अमेरिका प्रधान हैं जो गाजीपुर जिले की सैदपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

ये पिछला चुनाव भी बीएसपी से ही जीते थे. अपना नाम रखे जाने की कहानी बताते हैं कि दलित होने के बावजूद गांव में सबसे ज्यादा खेती थी. पिताजी का शुमार पैसे वालों में होता था . पिताजी अक्सर कहते थे कि तुझे बहुत बड़ा आदमी बनना है , एक दिन मैंने पूछ लिया कि कितना बड़ा तो बोले अमेरिका जितना... बस उसी दिन से वह मुझे अमेरिका बुलाने लगे. फिर बीएचयू में वकालत की डिग्री लेने के बाद राजनीती में आ गया. ग्राम प्रधान चुना गया तो नाम के आगे प्रधान लगा लिया.

सबसे दिलचस्प मामला मायावती का है, अब ये कांग्रेस के टिकट पर लखीमपुर जिले की श्रीनगर सीट से चुनाव लड़ रही हैं. कभी ये भी बीएसपी में हुआ करती थीं लेकिन तब इन्होंने अपना नाम बदल कर माया प्रसाद कर लिया था क्यूंकि पार्टी में एक ही मायावती रह सकती थीं. अब इन्हें हर जगह अपने दोनों नाम लिखना पड़ता है.

चल रहे हैं बालीवुड के नाम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को तीन दशक पहले फांसी दी जा चुकी है. भुट्टो को उनके लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए याद किया जाता है. लेकिन उनके नाम के एक शख्स आगरा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से मैदान में मौजूद हैं. वह बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसी पार्टी में एक गब्बर भी हैं. फैजाबाद जिले की बीकापुर सीट से प्रत्याशी हैं. नाम फिरोज खान है. बालीवुड के फिरोज खान वाला. लेकिन फिर भी शोले के गब्बर कहलाना पसंद करते हैं. पर चेहरे से क्रूर कतई नहीं दिखते.

Mayawati, Uttar Pradesh, Wahlen
कैसी कैसी मायातस्वीर: Suhail Waheed

बीएसपी में गब्बर ही नहीं बाबर भी हैं. ये सहसवान से लड़ रहे हैं, नाम मीर हादी अली है पर बाबर अली से जाने जाते हैं. बात यहीं पर ख़त्म नहीं होती. एक कालिया भी इस पार्टी में मौजूद है. इनका नाम भूपेन्द्र सिंह यादव उर्फ कालिया है और ये गुन्नौर से लड़ रहे हैं.

बालीवुड के बाद धर्म के क्षेत्र में चलिए, तो यहां एक भगवान हैं, जो खैरागढ़ से लड़ रहे हैं. इनका पूरा नाम भगवान सिंह कुशवाहा है. हो राम खुर्जा से लड़ रहे हैं तो धू राम चौधरी चरखारी में बीजेपी की उमा भारती से टक्कर ले रहे हैं.

पिछले चुनाव में इटावा जिले की लखना सीट से डाक्टर भीम राव आंबेडकर ने चुनाव जीता था. इस बार परिसीमन में वह सीट गायब हो गई तो डाक्टर आंबेडकर चुनाव मैदान में नहीं हैं. उनकी कमी विजय कुमार आंबेडकर पूरी कर रहे हैं, जो सलोन से चुनाव लड़ रहे हैं. पार्टी में अमेरिका ही नहीं क्रांतिकारी भी हैं. जगदीशपुर से लड़ रहे हैं इनका नाम श्रीराम क्रांतिकारी है. बाराबंकी से संग्राम सिंह हैं, महदेवा से दूधराम तो खलीलाबाद से मशहूर आलम मैदान में हैं.

लिंग भेद का संकट

दूसरी पार्टियों के प्रत्याशी भी अपने नाम से लोगों को कम नहीं चौंका रहे हैं. मसलन समाजवादी पार्टी से बलिया सीट पर नारद राय मैदान में हैं. लखीमपुर की निघासन सीट से एक दरोगा जी प्रत्याशी हैं. कानपुर के सीसमाऊ से हनुमान खड़े हैं.

प्रत्याशियों के नामों में फूल भी खूब जड़ा हुआ है. हाथरस से गेंदा मैदान में हैं, तो चंदौसी से गुलाबो. कांग्रेस के फूल सिंह नगीना से हैं, तो कुन्नु बाबा सहसवान से लड़ रहे हैं. कुछ नाम ऐसे हैं, जो लिंग भेद का संकट भी खड़ा कर रहे हैं. पनियारा सीट से तलत अजीज मैदान में हैं, लेकिन ये महिला प्रत्याशी हैं. लखनऊ छावनी से सुरेश चौहान हैं नाम से लगता है कि पुरुष होंगे पर हैं महिला. गोंडा के तरब गंज से एक पुरुष प्रत्याशी का नाम मंजू सिंह है.

उपनामों की भी खूब चर्चा इस चुनाव में है. आगरा ग्रामीण सीट से बीजेपी प्रत्याशी ओम प्रकाश चलनी वाले के नाम से जाने जाते हैं. झांसी से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे ब्रजेन्द्र व्यास डम डम महाराज के रूप में विख्यात हैं. बीजेपी के टिकट पर कुशीनगर से खड़े जगदीश मिश्र बाल्टी बाबा हैं तो चौरावन से ख्याली राम हैं. ज्वाला बिलासपुर सीट से तो हसनपुर सीट से खडग वंशी मैदान में हैं.

रिपोर्टः एस वहीद, लखनऊ

संपादनः ए जमाल

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