भीषण थी कोहिमा और इम्फाल की जंग
२२ दिसम्बर २०१६अमेरिकी सेना अब भी हिमालय में अपने सैनिकों के अवशेष खोज रही है. हिमालय की पहाड़ियों में 70 साल पहले कई अमेरिकी वायुसैनिक लापता हो गए. अब पूर्वोत्तर भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश के पास कुछ अवशेष मिले हैं. अमेरिकी डिफेंस पीओडब्ल्यू ने सितंबर में अपनी एक टीम अरुणाचल प्रदेश भेजी. टीम द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लापता हुए बी-24 लिबरेटर प्लेन के अवशेष खोजने गई. 1944 में क्रैश हुए उस विमान में आठ लोग सवार थे.
स्थानीय लोगों की मदद से सर्च पार्टी ने कुछ जगहों पर खोजबीन की. इस दौरान टीम को कई इंसान अवशेष मिले. हड्डियां भी मिली. पास में विमान का मलबा भी बरामद हुआ. महीनों की जांच के बाद दिसंबर में अमेरिकी दूतावास ने कहा, "साइट पर पहुंचने के बाद टीम को कई और इंसानी अवशेष मिले, ऐसा माना जा रहा है कि ये गुम हुए अमेरिकी सैनिकों के हैं." भारत सरकार की अनुमति लेने के बाद इन अवशेषों को खास लैब में भेजा जाएगा.
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने बर्मा पर कब्जा कर लिया था. बर्मा पर कब्जा करते ही जापान ने मित्र सेनाओं की जमीन पर मौजूद सप्लाई चेन काट दी. इसके बाद जापानी सेना पूर्वोत्तर भारत के नगालैंड और मणिपुर में दाखिल हो गई. कोहिमा-इम्फाल रोड पर जापानी सेना का नियंत्रण हो गया. जापानी सेना को रोकने के लिए मित्र सेनाओं के पास हवाई हमले के अलावा कोई विकल्प नहीं था. वहीं जमीन पर जापान को आगे बढ़ने से रोकने की जिम्मेदारी कोहिमा में ब्रिटिश इंडियन फौज के पास थी.
4 अप्रैल से 22 जून 1944 तक कोहिमा में भयंकर युद्ध हुआ. इसे बैटल ऑफ कोहिमा के नाम से भी जाना जाता है. मार्च से जुलाई 1944 तक इम्फाल (बैटल ऑफ इम्फाल) में भी भीषण लड़ाई चली. ये युद्ध निर्णायक साबित हुए. दोनों जगह करीब 80,000 सैनिक मारे गए. इन हारों ने दक्षिण एशिया में जापान का आगे बढ़ना रोक दिया. इसके बाद जापानी सेना के पैर उखड़ने लगे.
पूर्वोत्तर भारत और बर्मा के संघर्ष के दौरान मित्र सेनाओं ने 6,50,000 टन तेल और गोला बारूद की सप्लाई की. ज्यादातर सप्लाई विमानों के जरिये की गई. सप्लाई पहुंचाने के मिशन को "द हम्प" नाम दिया गया था. चीन-बर्मा-भारत हंप पायलट एसोसिएशन के मुताबिक पूर्वी हिमालय में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 590 विमान क्रैश हुए और 1,650 से ज्यादा लोग मारे गए.
ओएसजे/एमजे (एएफपी)