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"भारतीय विकास दर 5% से भी कम"

९ अक्टूबर २०१२

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी है कि भारत की आर्थिक विकास दर इस साल पांच फीसदी से भी कम हो जाएगी. आईएमएफ के मुताबिक भारतीय सरकार निवेशकों का विश्वास हासिल करने में अभी भी संघर्ष कर रही है.

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तस्वीर: AP

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी है कि भारत की आर्थिक विकास दर इस साल पांच फीसदी से भी कम हो जाएगी. आईएमएफ के मुताबिक भारतीय सरकार निवेशकों का विश्वास हासिल करने में अभी भी संघर्ष कर रही है.

आईएमएफ ने नए सर्वे में कहा है कि 2013 में विकास दर बढ़ सकती है बशर्ते सुधार लागू हों. ताजा वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे में आईएमएफ ने 2012 के लिए भारत की विकास दर कम आंकी है. संगठन के मुताबिक इस साल यह दर सिर्फ 4.9 फीसदी ही रहेगी और कहा है कि "बाजार और निवेश में वर्तमान में जारी धीमापन बना रहेगा."

हालांकि 2011 में भारत की विकास दर 6.8 आंकी गई थी लेकिन साल भर में यह गिर कर 5.5 फीसदी रह गई. यह तीन साल की सबसे कम विकास दर है.

निवेशकों का भारतीय बाजार में विश्वास लगातार जारी घोटालों, पिछली तारीख से टैक्स लेने और गर्मियों में बिजली ब्लैकआउट के कारण गिरा है. रिपोर्ट में कहा गया है, "विकास दर 2012 के शुरुआती आधे साल में अनुमान से ज्यादा कमजोर हुई है. इसका कारण सरकारी कारणों से निवेश में देरी और लाल फीताशाही और साथ ही व्यापारिक माहौल में गिरावट है."

विश्वास गिरने का एक और कारण है बढ़ता हुआ घाटा. कहा गया है कि 2012 में घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.8 फीसदी होगा. फिर 2013 में यह कम हो कर 3.3 हो सकता है. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2013 में भारत की विकास दर तेज तो होगी लेकिन सरकार के अनुमान जितनी नहीं.

हाल ही में सरकार ने एक साथ कई आर्थिक सुधार किए हैं. इनमें रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी भी शामिल है. इसके अलावा बीमा और पेंशन को भी सरकार विदेशी निवेश के लिए खोलना चाहती है. रिपोर्ट के मुताबिक, "हाल में किए गए सुधारों के कारण बाहरी स्थिति और विश्वास में सुधार आएगा. इससे सकल घरेलू उत्पाद 2013 में बढ़ कर छह प्रतिशत कर पहुंच सकता है."

भारत के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नई दिल्ली में सोमवार को कहा, "कोई कारण नहीं कि चारों तिमाही में विकास दर 5.5 प्रतिशत पर ठहर जाए." वित्त मंत्री ने दर में बढ़ोतरी की उम्मीद भी जताई. वैसे पूरे एशिया की विकास दर 2012 के शुरुआती छह महीनों में कमजोर रही. इसका मुख्य कारण बाहरी मांग में कमी और चीन की आर्थिक गति धीमी होना है.

विकसित देशों में निर्यात कम होने के कारण एशिया और चीन में विकास दर पर असर हुआ है. दर गिरने का एक कारण इलाके में उपभोग कम होना भी है, खासकर भारत और चीन में. शुक्रवार और शनिवार को टोक्यो में आईएमएफ की सालाना बैठक हो रही है और इससे पहले रिपोर्ट जारी की गई है.

आईएमएफ के मुताबिक, "बाहरी और आंतरिक खतरे के सही संतुलन के लिए नीतियां चाहिए. बाहरी खतरे ज्यादा दबाव डालते हैं." अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की भविष्यवाणी है कि एशिया में 2012 के दौरान आर्थिक विकास की दर साढ़े पांच फीसदी रहेगी और 2013 में यह 5.75 प्रतिशत हो जाएगी. यह अप्रैल के आंकड़ों से 0.5 प्रतिशत कम है.

मुद्रा कोष को उम्मीद है कि चीन की अर्थव्यवस्था 2012 के 7.75 से बढ़ कर अगले साल 8.25 हो जाएगी. और भारत की विकास दर पांच से छह फीसदी के बीच रहेगी.

एएम/एमजे (रॉयटर्स,डीपीए)

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