भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय: आपातकाल
भारत में इमरजेंसी सिर्फ एक बार लगी. लेकिन आज भी उसकी गूंज भारतीय राजनीति में बार बार सुनने को मिलती है. आखिरी क्यों लगानी पड़ी थी इमरजेंसी और इसका क्या नतीजा निकला, चलिए जानते हैं.
21 महीने तक रही इमरजेंसी
25 जून, 1975. यह तारीख भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काला धब्बा है. इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश में आपातकाल लगाया था जो 21 मार्च 1977 तक यानी कि 21 महीने तक चला. क्यों लगा आपातकाल और क्या रहा उसका असर?
क्यों लगता है आपातकाल?
आपातकाल की घोषणा कानून व्यवस्था बिगड़ने, बाहरी आक्रमण और वित्तीय संकट के हालत में की जाती है. भारत में आपातकाल का मतलब था कि इंदिरा गांधी जब तक चाहें सत्ता में रह सकती थीं. सरकार चाहे तो कोई भी कानून पास करवा सकती थी.
जेपी की चुनौती
गुजरात और बिहार में शुरू हुए छात्र आंदोलन का नेतृत्व भारतीय स्वतंत्रता सेनानी व लोकनायक जयप्रकाश नारायण कर रहे थे. हाई कोर्ट में चुनावी मुकदमा हारने के बाद 25 जून को रामलीला मैदान से उन्होंने इंदिरा गांधी को खुली चुनौती देते हुए उनसे इस्तीफा मांगा.
इंदिरा पर चुनाव धांधली का आरोप
12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को खारिज कर दिया और छः साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी. उन्हें वोटरों को घूस देने और सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल करने समेत कई मामलों का दोषी पाया गया. इस फैसले से इंदिरा बेचैन थीं.
महंगाई 20 फीसदी बढ़ी
महंगाई चरम पर थी. खाने-पीने के दाम 20 गुना बढ़ गए थे जिसकी वजह से सरकार की आलोचना शुरू हो गई. कांग्रेस के अंदरूनी गुटों ने सरकार की नीतियों का विरोध शुरू कर दिया था. इंदिरा सरकार चारों तरफ से पस्त थी.
25-26 जून की रात हुआ लागू
25 और 26 जून की रात राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के दस्तखत के साथ देश में आपातकाल लागू हो गया. अगली सुबह रेडियो पर इंदिरा ने कहा, "भाइयो और बहनो, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है. इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है."
छोटे-बड़े सभी नेताओं को हुई जेल
26 जून की सुबह होते-होते जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस समेत तमाम बड़े नेता गिरफ्तार किए जा चुके थे. कहा जाता है कि इतनी गिरफ्तारियां हुईं कि जेलों में जगह कम पड़ गई.
प्रेस की बिजली काट दी
आपातकाल का मतलब मीडिया की आजादी का छिन जाना था. जेपी की रामलीला मैदान में हुई 25 जून की रैली की खबर देश में न पहुंचे इसलिए दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली रात में ही काट दी गई.
जबरन कराई नसबंदी
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने पांच सूत्री एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया. इसमें नसबंदी, वयस्क शिक्षा, दहेज प्रथा को खत्म करना, पेड़ लगाना और जाति प्रथा उन्मूलन शामिल था. 19 महीने के दौरान देश भर में करीब 83 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करा दी गई.