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भारतीय बनेगा डॉयचे बैंक का सीईओ !

१० जुलाई २०११

भारत में जन्मे अंशु जैन जर्मनी के मशहूर डॉयचे बैंक के अगले सीईओ की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं. वह जोसेफ अकरमन की जगह ले सकते हैं और जल्द ही अगले सीईओ के नाम का एलान होने वाला है.

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डॉयचे बैंक के अंशु जैनतस्वीर: picture alliance/dpa

सीईओ की रेस आखिरी चरण में पहुंच गई है और समझा जाता है कि सुपरवाइजरी बोर्ड ने जैन के नाम को हरी झंडी दिखा दी है. अकरमन 2013 के शुरू में रिटायर होने वाले हैं. उसके बाद अंशु जैन इस जगह पर बैठ सकते हैं. डॉयचे बैंक की सुपरवाइजरी बोर्ड को इस बात का भरोसा है कि 48 साल के अंशु जैन बैंक को नई दिशा दे सकते हैं. वह फिलहाल लंदन में कार्यरत हैं और बैंक के निवेश वाले हिस्से को देखते हैं.

Vorstandsvorsitzende der Deutschen Bank Josef Ackermann Flash-Galerie Doktortitel
तस्वीर: AP

लेकिन मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि जैन के सामने सबसे बड़ी बाधा उनका जर्मन भाषा नहीं जानना है. इस वजह से वह जर्मनी की राजनीति और मीडिया से सहज तरीके से पेश नहीं आ पाएंगे. जैन के साथ युर्गेन फिटशेन का नाम भी सीईओ के नाम के लिए चल रहा है. एक धड़े का मानना है कि शुरू में जैन और फिटशेन को संयुक्त रूप से पद दिया जा सकता है. सुपरवाइजरी बोर्ड का मानना है कि फिटशेन को बैंक के मैनेजमेंट की अच्छी समझ है और उनके नेताओं से प्रगाढ़ संबंध रहे हैं.

मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि सुपरवाइजरी बोर्ड जैन और फिटशेन के नाम संयुक्त सीईओ के लिए प्रस्तावित कर सकता है, जिस पर बोर्ड को अगले हफ्ते फैसला करना है. पिछले हफ्ते एक्सेल वेबर ने स्विट्जरलैंड के यूबीएस में जाने का एलान कर दिया है. जर्मन बुंडेसबैंक से अचानक वेबर के इस्तीफे के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि हो सकता है कि वह डॉयचे बैंक में चले आएं. लेकिन उनके यूबीएस जाने के बाद जैन का रास्ता साफ हो गया है.

Deutsche Bank
तस्वीर: picture alliance/dpa

सीईओ के पद के लिए ह्यूगो इनसाइगर और राइनर नेस्के के नाम भी सामने आए लेकिन वे अंशु जैन के सामने बहुत फीके हैं. 62 साल के फिटशेन की भी सीमाएं हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका अनुभव जैन जैसा नहीं है. वैश्विक बैंकिंग और लेन देन के जमाने में डॉयचे बैंक प्रबंधन अपनी कमान ऐसे व्यक्ति को नहीं दे सकता, जिसके पास अंतरराष्ट्रीय अनुभव न हो.

रिपोर्टों का अनुमान है कि जब तक अंशु जैन धाराप्रवाह जर्मन बोलने लगें और जर्मन राजनीति के लोगों को समझने लगें, तब तक दोनों मिल कर कामकाज चला सकते हैं.

वैसे मैनेजमेंट की दुनिया की बहुत पुरानी कहावत है कि घोड़े की लगाम दो सवारों के हाथ में नहीं होनी चाहिए. जैन 1990 के दशक में बैंक ऑफ अमेरिका के मेरिल लिंच से डॉयचे बैंक में आए और इसके बाद उन्होंने निवेश बैंकिंग में झंडे गाड़ दिए. जिस वक्त अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश में कमी आ रही थी, जैन की मेहनत का नतीजा रहा कि डॉयचे बैंक ने नई बुलंदियां छुईं. पिछले साल जुलाई में वह बैंक के निवेश प्रमुख बने और पिछले साल उन्होंने बैंक के लिए 28.9 अरब यूरो की कमाई की, जो कुल राजस्व के तीन चौथाई से ज्यादा है.

दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से पढ़ाई करने के बाद अंशु जैन ने अमेरिका के मैसेचूसेट्स में वित्त प्रबंधन की पढ़ाई की. उन्होंने पहले वित्त विश्लेषक के तौर पर अमेरिका में काम शुरू किया और बाद में बैंक ऑफ अमेरिका चले गए. अंशु जैन मूल रूप से राजस्थान की राजधानी जयपुर के रहने वाले हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः एस गौड़