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भारतीय परमाणु प्लांटों की सुरक्षा पर सवाल

१५ मार्च २०११

जापान में नाभिकीय प्रलय रोकने के प्रयासों के बीच भारत में पश्चिमी तट पर नियोजित एक विशाल परमाणु बिजलीघर की परियोजना को समाप्त करने की फिर से नई मांगें की जा रही हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

महाराष्ट्र प्रांत में नियोजित जैतपुर परमाणु बिजलीघर दुनिया के सबसे बड़ा परमाणु बिजलीघरों में से एक होगा और छह रिएक्टरों में 9,600 मोगावाट बिजली का उत्पादन करने की योजना है. परमाणु बिजलीघरों में नाभिकीय ईंधन वाली छड़ों को ठंडा करने के लिए काफी मात्रा में पानी की जरूरत होती है.

इसलिए प्लांट आम तौर पर समुद्रों के किनारे बनाए जाते हैं. भारत 2050 तक अपनी बिजली की जरूरतों का 25 फीसदी परमाणु बिजलीघरों में बनाना चाहता है. उसके कई दूसरे परमाणु बिजलीघर समुद्री तटों पर स्थित हैं.

लेकिन जैतपुर पावर प्लांट बनाने की योजना का स्थानीय निवासियों और पर्यावरणवादियों ने भारी विरोध किया है. उनकी चिंताएं सिर्फ जमीन खोने और पर्यावरण से ही संबंधित नहीं हैं, वे विकिरण के खतरे के अलावा पर्यावरण के हिसाब से संवेदनशील पश्चिमी घाट क्षेत्र में इको संतुलन बिगड़ने की शिकायत कर रहे हैं.

जापान में भूकंप के बाद पैदा हुई मुश्किलों ने जैतपुर के विरोधियों के लिए अनुकूल परिस्थिति पैदा कर दी है.

टॉक्सिक लिंक्स पर्यावरण गुट के राजीव बेतने कहते हैं, "हमारे लिए और भारत सरकार के लिए जापान आंख खोलने वाला है." वे कहते हैं, "जैतपुर के निवासी जापान की तस्वीरें देखने के बाद डर गए हैं."

पिछले साल जैतपुर में 10,000 से अधिक लोगों ने परमाणु बिजलीघर बनाने की योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जिसमें मछुआरों, किसानों और उनके परिवारों ने भाग लिया था और अपना घरबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाकर बसने से मना कर दिया था.पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस का कहना है कि 2013 में शुरू होनेवाली निर्माण योजना को रोकने की जरूरत है.

भारतीय परमाणु विशेषज्ञों ने प्लांट के बारे में आश्वासन दिए हैं और कहा है कि उसे भूकंप या सूनामी से खतरा नहीं है. भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के भूतपूर्व प्रमुख अनिल काकोदकर ने कहा, "मैं यह नहीं कहता कि सूनामी नहीं हो सकता लेकिन उसकी तीव्रता उतनी ऊंची नहीं होगी."

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ 2008 में परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत ने परमाणु बिजलीघर बनाने की योजना पर तेजी से अमल शुरू कर दिया है. तब से फ्रांस, रूस, अमेरिका और जापान की कंपनियों के बीच भारत को परमाणु संयंत्र बेचने के लिए भारी प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है.

फ्रांस की अरेवा कंपनी ने जैतपुर के लिए पहले दो रिएक्टरों की सप्लाई के लिए सवा 9 अरब डॉलर का कांट्रैक्ट किया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एस गौड़

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