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अमेरिका ने लगाया वीजा नियमों से छेड़छाड़ का आरोप

अपूर्वा अग्रवाल
२४ अप्रैल २०१७

एच1बी1 वीजा पर सख्त अमेरिकी रुख ने भारतीय आईटी कंपनियों को परेशानी में डाला हुआ है. अब अमेरिका ने देश की प्रमुख आईटी कंपनियों टीसीएस, इंफोसिस और कॉग्निजेंट पर गलत ढंग से वीजा हासिल करने का आरोप लगाया है.

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USA Wisconsin Trump
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/S. Wescott

अमेरिका ने अपनी शिकायत दर्ज कराते हुये टीसीएस, इंफोसिस और कॉग्निजेंट जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों पर एच1बी1 वीजा का अधिक हिस्सा पाने के लिये लॉटरी सिस्टम में अधिक आवेदन देने का आरोप लगाया है. अधिकारियों के मुताबिक ट्रंप प्रशासन इसकी जगह मेरिट आधारित इमीग्रेशन पॉलिसी लाना चाहती है.

पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान एक अधिकारी ने कहा था कि आउटसोर्सिंग करने वाली बड़ी कंपनियां लॉटरी सिस्टम का दुरुपयोग कर रही हैं. अधिक वीजा पाने के लिए वे वीजा सिस्टम में ढेर सारे आवेदन दे देती हैं जिससे उनकी लॉटरी निकलने की गुंजाइश बढ़ जाती है. व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर जारी टेक्स्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है, "ऐसी कंपनियों के नाम आप जानते ही होंगे. टाटा, इंफोसिस और कॉग्निजेंट जैसी कंपनियों को सबसे अधिक वीजा मिलता है क्योंकि वे बड़ी संख्या में आवेदन देती हैं." जब उनसे पूछा गया कि क्यों वह सिर्फ भारतीय कंपनियों का ही जिक्र कर रहे हैं तो उन्होंने साफ कहा कि एच1बी1 वीजा सबसे ज्यादा टीसीएस, इंफोसिस और कॉग्निजेंट को ही मिलता है.

इस मसले पर टीसीएस और कॉग्निजेंट ने कोई प्रतिक्रया नहीं दी है. वहीं इंफोसिस ने कहा कि वह एच1बी1 मसले पर पहले ही अपनी प्रतिक्रिया दे चुकी है और फिलहाल कंपनी इसमें कुछ भी नया नहीं जोड़ना चाहती. इंफोसिस ने पहले जारी अपने बयान में कहा था कि "वह अपने अमेरिकी कारोबारी साथियों को तकनीकी सहायता देने, कर्मचारियों को सशक्त और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये प्रतिबद्ध हैं और इसके लिये वह स्थानीय स्तर पर निवेश करती रहेगी और इसमें अमेरिकी प्रतिभाओं की भर्ती भी शामिल है."