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भारत से टकराव की राह पर मालदीव

८ फ़रवरी २०१८

राजनैतिक संकट के बीच मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुला यामीन ने अपने मंत्रियों को चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब भेजा है. लेकिन यामीन ने भारत की साफ तौर पर अनदेखी की है.

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Nepal SAARC Gipfel in Kathmandu 2014
तस्वीर: Getty Images/N. Shrestha

संकट में घिरे मालदीव के राष्ट्रपति ने अपने दूत उन देशों में भेजे हैं, जहां लोकतंत्र के लिए बहुत ज्यादा सम्मान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई विपक्षी नेताओं की रिहाई के फैसले से नाराज अब्दुल्ला यामीन ने विदेशों से समर्थन जुटाने के लिए आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद को बीजिंग भेजा है. विदेश मंत्री मोहम्मद आसीम पाकिस्तान रवाना हुए हैं और कृषि और मत्स्य पालन मंत्री सऊदी अरब पहुंचे हैं. यामीन को लग रहा है कि इन देशों के समर्थन से वह विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट को दबा सकेंगे.

राष्ट्रपति कार्यालय की वेबसाइट के मुताबिक, "कैबिनेट के सदस्यों को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन गय्यूम के निर्देश पर मित्र देशों में भेजा गया है, वे मौजूदा हालात की जानकारी देंगे."

क्या है 1988 का ऑपरेशन कैक्टस

1988 में ऑपरेशन कैक्टस के जरिये मालदीव की तख्तापलट को रोकने वाले भारत ने अब तक इस विवाद में सीधे दखल नहीं दिया है. लेकिन यामीन ने जिस तरह दूत न भेजकर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र की अनदेखी की है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. संयुक्त राष्ट्र समेत इन देशों ने मालदीव के राष्ट्रपति से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने के लिए कहा है. लेकिन यामीन ने कोर्ट के फैसले को मानने के बजाए देश में 15 दिन के लिए इमरजेंसी लगा दी और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया.

Malediven Präsident Abdulla Yameen verhängt Notstand
अब्दुल्ला यामीनतस्वीर: picture-alliance/AP Photo

नई दिल्ली में तैनात मालदीव के राजदूत के मुताबिक भारतीय विदेश मंत्रालय के साथ तारीखों पर सहमति न बन पाने की वजह से कोई मंत्री नई दिल्ली नहीं भेजा गया है.

लक्जरी टूरिस्ट रिजॉर्टों के लिए विख्यात मालदीव अब दक्षिण एशिया में भारत और चीन की होड़ का इलाका बन चुका है. अब्दुल यामीन के कार्यकाल में मालदीव चीन के काफी करीब आया है. वह चीन के वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट में भी शामिल हुआ है.

भारतीय तट से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर 1,200 द्वीपों वाले देश मालदीव के नई दिल्ली के साथ बड़े गहरे रिश्ते रहे हैं. अब तक दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी साझेदारी चली आ रही थी. बीते 10 साल में यह काफी कमजोर पड़ी है. मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने चीन पर मालदीव में जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है. लंदन में निर्वासन में रह रहे नशीद ने भारत से सीधे सैन्य दखल की मांग की.

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत मालदीव में 1988 की तरह सीधे सैन्य दखल के बजाए दूसरे विकल्प तलाश रहा है. नई दिल्ली कूटनीतिक और आर्थिक दबाव के जरिये संकट को हल करना चाहती है. इस बीच चीन ने बाकी देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे मालदीव के भीतरी मामले में दखल न दें.

ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)